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खेल मंत्रालय ने रविवार को कहा कि निलंबित भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के पास सीनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप आयोजित करने का कोई अधिकार नहीं है और निकाय द्वारा आयोजित किसी भी प्रतियोगिता को “अस्वीकृत” और “गैर-मान्यता प्राप्त” माना जाएगा। पिछले महीने डब्ल्यूएफआई के चुनाव होने के तीन दिन बाद मंत्रालय ने नियमों के कई उल्लंघनों का हवाला देते हुए खेल निकाय को निलंबित कर दिया था और फिर भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) ने महासंघ के दैनिक मामलों के प्रबंधन के लिए तीन सदस्यीय तदर्थ पैनल का गठन किया था।
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हालाँकि, निलंबित डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष संजय सिंह ने कहा कि वे जल्द ही राष्ट्रीय चैंपियनशिप का आयोजन करेंगे और उन्होंने जोर देकर कहा कि वे न तो नव-निर्वाचित निकाय और न ही तदर्थ पैनल के निलंबन को मान्यता देते हैं।
मंत्रालय ने एक पत्र में कहा ‘मंत्रालय के संज्ञान में आया है कि आपने पुणे में 29-31 जनवरी 2024 तक सीनियर नेशनल रेसलिंग चैंपियनशिप 2023 के आयोजन के संबंध में भारतीय कुश्ती महासंघ के लेटरहेड पर दिनांक 06.01.2024 को एक परिपत्र संख्या डब्ल्यूएफआई/सीनियर नेशनल/महाराष्ट्र/2024 जारी किया है। इस मंत्रालय के दिनांक 24.12.2023 के आदेश के अनुसार, आपके पास ऐसा परिपत्र जारी करने या भारतीय कुश्ती महासंघ के लेटरहेड का उपयोग करने का कोई अधिकार नहीं है जिसमें आप युवा मामले और खेल मंत्रालय से संबद्धता का दावा करते हैं।’
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तदर्थ पैनल ने घोषणा की थी कि वह 2-5 फरवरी तक जयपुर में सीनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप की मेजबानी करेगा।
भारतीय कुश्ती में पिछले एक साल में अभूतपूर्व शक्ति संघर्ष देखने को मिला है। यौन उत्पीड़न के आरोपी बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय के विरोध में, बजरंग पुनिया ने अपना पद्मश्री और विनेश फोगाट ने अपना अर्जुन पुरस्कार और खेल रत्न लौटा दिया है।
वहीं जिस दिन संजय ने WFI अध्यक्ष का चुनाव जीता, उसी दिन साक्षी मलिक ने कुश्ती छोड़ दी थी।