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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 2024 में उत्तर प्रदेश की फूलपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की अटकलों के बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को लेकर भी सियासी चर्चाएं तेज हैं। दलित वोटरों को साधने के लिए कांग्रेस खरगे को कर्नाटक के गुलबर्गा के साथ-साथ यूपी की इटावा या बाराबंकी सीट से उतार सकती है।
दरअसल, दिल्ली की कुर्सी पर कब्जाने का रास्ता यूपी से ही होकर जाता है। यूपी ने कई प्रधानमंत्री दिए। मोदी खुद वाराणसी से सांसद हैं। ऐसे में विपक्षी दल भाजपा विरोधी वोटों की घेराबंदी करने में जुट गए हैं। इसी क्रम में विपक्ष बड़े नेताओं को यूपी से मैदान में उतारने की तैयारी में है। हालांकि यह देखने दिलचस्प होगा कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का इस पर क्या स्टैंड होता है?
मल्लिकार्जुन खरगे कांग्रेस के दलित चेहरा माने जाते हैं। ऐसे में कांग्रेस उत्तर प्रदेश में दलित वोटबैंक को दोबारा से हासिल करने की जुगत भिड़ा रही है। मल्लिकार्जुन खरगे को इटावा व बाराबंकी सीट से चुनाव लड़ाने को लेकर चर्चा तेज हैं। हालांकि खरगे किस सीट से उतरेंगे यह भविष्य के गर्भ में है।
खरगे के उतरने से फायदा
कांग्रेस खरगे को यूपी से उतारकर दलित वोटरों में पैठ बनाना चाहती है। कांग्रेस दलितों का विश्वास जीतना चाह रही है। माना जा रहा है कि इस दांव से सालों से यूपी कमजोर पड़ी कांग्रेस संजीविनी मिल सकती है। राजनीतिज्ञ विशेषज्ञों का मनाना है कि अगर ऐसे होता है तो इसे मजबूत करने की स्ट्रैटजी माना जाना चाहिए। यूपी में 22 फीसदी दलित वोटर हैं, जो किसी भी दल का खेल बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखते हैं।
नीतीश फूलपुर से चुनाव लड़े तो कितना डालेंगे असर
नीतीश कुमार 2024 में यूपी की फूलपुर सीट से चुनाव लड़ते हैं तो यूपी में कुर्मी वोटरों को अपने पक्ष में करके वे बीजेपी के वोटबैंक में सेंध लगा सकते हैं। साथ ही सपा के साथ गठजोड़ से उन्हें यादव और मुस्लिम वोटरों का भी साथ मिलने का अनुमान है। नीतीश के फूलपुर से चुनाव लड़ने से यूपी में भी यादव, मुस्लिम, पटेल-कुर्मी और ओबीसी गठजोड़ का माहौल बन सकता है। इसका फायदा सिर्फ जेडीयू ही नहीं बल्कि यूपी के प्रमुख दल सपा और कांग्रेस को भी मिल सकता है। इससे बीजेपी को फूलपुर समेत कुछ सीटों पर कड़ी टक्कर मिल सकती है।