नई दिल्ली. हरियाणा के नूंह में हुई कार्रवाई को लेकर जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में अर्जी दाखिल की है. जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने उन लोगों के पुनर्वास के लिए निर्देश देने की मांग की है जिनके घर पिछले कुछ दिनों में हरियाणा के नूंह जिले में राज्य में सांप्रदायिक हिंसा में छह लोगों के मारे जाने के बाद सरकारी अधिकारियों द्वारा तोड़ दिए गए थे.
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी में जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने कहा है कि बुलडोजर ऑपरेशन के पीड़ितों के पुनर्वास की व्यवस्था हो और उन्हें मुआवजा दिया जाए. साथ ही दोषी सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए. सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने अदालत से अनुरोध किया है कि सभी राज्यों को बुलडोजरों से अवैध विध्वंस से बचने के निर्देश जारी किए जाएं या उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए.
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जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने कहा- बुलडोजर चलाना गैरकानूनी है
कोर्ट में दाखिल अर्जी में जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने यह भी कहा है कि बुलडोजर चलाना गैरकानूनी है, चाहे बुलडोजर किसी भी धर्म के लोगों की संपत्ति पर चले. कथित आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चलाना या सिर्फ इसलिए कि ऐसी इमारत से कथित तौर पर पथराव किया गया था, दोषसिद्धि से पहले की सजा के समान है जो कानूनी रूप से गलत है. इस तरह की कार्रवाई को रोकने के लिए निर्देश जारी होने चाहिए.
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हिंसा के बाद 37 जगहों पर 57.5 एकड़ जमीन को अवैध कब्जे से कराया गया मुक्त
गौरलब है कि नूंह में सांप्रदायिक झड़पों के बाद अधिकारियों ने लगातार चौथे दिन भी बुलडोजर अभियान चलाया था. इस दौरान एक तीन मंजिला होटल को भी गिरा दिया गया था. इस होटल की छत से शोभायात्रा पर पथराव हुआ था. नूंह के डीसी धीरेंद्र खडगटा ने बताया था कि कुल 162 अवैध रूप से बनाए गए स्थाई और 591 अस्थाई ढांतों को अब तक गिराया गया है. 37 जगहों पर 57.5 एकड़ जमीन को अवैध कब्जे से मुक्त किया गया है.
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FIRST PUBLISHED : August 09, 2023, 00:21 IST