Monday, December 16, 2024
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नैनो यूरिया के उत्पादन से खाद के आयात में आने लगी गिरावट, जानें मोदी सरकार ने सब्सिडी पर कितना खर्च किया


नई दिल्ली. देश में नैनो यूरिया के उत्पादन का असर दिखना शुरू हो गया है. इसके उत्पादन से जहां देश के किसानों को सस्ती दरों पर खाद मिल रहा है वहीं, भारत सरकार के राजस्व में बढ़ोतरी हो रही है. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की आंकड़ों के मुताबिक पिछले कुछ महीनों से यूरिया के आयात में भारी कमी आई है. बता दें कि देश में 2021 में नैनो यूरिया का उत्पादन शुरू हुआ था. देश में अभी सालाना 5 करोड़ बोतल नैनो यूरिया का उत्पादन हो रहा है. मोदी सरकार ने साल 2025 तक इसे 44 करोड़ बोतल उत्पादन करने का लक्ष्य रखा है. खास बात यह है कि सरकार की नई गैस नीति से नैनो यूरिया का उत्पादन पर भारी असर पड़ने जा रहा है. हाल ही में मोदी सरकार ने नई गैस नीति का ऐलान किया था.

जानकारों की मानें तो मोदी सरकार की नई गैस नीति से खाद के उत्पादन में मदद मिलेगी. यूरिया के उत्पादन लागत में गैस कीमत की हिस्सेदारी 80 प्रतिशत से अधिक होती है. इसी का नतीजा है कि नैनो यूरिया के उत्पादन में बढ़ोतरी का असर दिखने लगा है. मोदी सरकार के मुताबिक, पिछले तीन महीनों से खाद (कच्चा व मैन्यूफैक्चर्ड) के आयात में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले लगातार गिरावट हो रही है.

इस साल जनवरी में खाद के आयात में पिछले साल जनवरी के मुकाबले 1.10 फीसदी कमी आई है. 

खाद के आयात में आने लगी गिरावट
आंकड़ों के मुताबिक, इस साल जनवरी में खाद के आयात में पिछले साल जनवरी के मुकाबले 1.10 फीसदी कमी आई है. इसी तरह इस साल फरवरी में पिछले साल फरवरी के मुकाबले 59 फीसदी कमी आई है. मार्च में पिछले साल के मार्च के मुकाबले खाद के आयात में 50.98 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में खाद सब्सिडी पर 2.25 लाख करोड़ रुपये खर्च करने पड़े थे, लेकिन चालू वित्त वर्ष 2023-24 में खाद सब्सिडी के मद में 1.75 लाख करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है.

नैनो यूरिया के उत्पादन से सब्सिडी का बोझ घटा
आपको बता दें कि सरकार खाद उत्पादन से लेकर खाद के आयात बिल में होने वाली बढ़ोतरी का भार किसानों पर नहीं डालती है. इस वजह से सरकार पर सब्सिडी बोझ बढ़ता है. इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार नैनो यूरिया की सालाना पांच करोड़ बोतल (एक बोतल में 550 एमएल) उत्पादन क्षमता को वर्ष 2025 तक 44 करोड़ बोतल तक करने का प्लान तैयार किया है. इससे साल 2025 तक 15-20 हजार करोड़ रुपए तक की बचत हो सकती है.

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देश में यूरिया की उत्पादन लागत में गैस कीमत की हिस्सेदारी 80 फीसदी से अधिक होती है.

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हाल ही में मोदी सरकार की तरफ से घोषित गैस नीति से भी खाद के उत्पादन में मदद मिलेगी, क्योंकि इस नीति से गैस की कीमत में कमी आएगी. देश में यूरिया की उत्पादन लागत में गैस कीमत की हिस्सेदारी 80 फीसदी से अधिक होती है. पिछले साल रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से गैस की कीमतों में भारी बढ़ोतरी हुई थी, जिसका असर खाद उत्पादन पर भी पड़ा. ऐसे में आने वाले दिनों में नैनो यूरिया और नैनो डीएपी के उत्पादन से विदेशों के खाद आयात में और कमी आएगी.

Tags: Fertilizer crisis, Modi government, Urea crisis, Urea production



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