हाइलाइट्स
कनाडा के जंगलों की आग के धुएं कारण न्यूयॉर्क शहर का प्रदूषण रिकॉर्ड स्तर को छू गया है.
कनाडा में जंगलों की आग के कारण पहले यूरोप को भी परेशानियों का सामना करना पड़ा है.
यह घटना बताती है कि हम सभी को मिलजुल कर जलवायु परिवर्तन से निपटना होगा.
शहरों में बढ़ते प्रदूषण का कारण वहां जीवाश्म ईंधन के वाहनों से निकलता धुंआ होता है. इसमें ट्रैफिक का कुप्रबंधन, मौसम के कारण जटिलताएं लाने का काम करते हैं. लेकिन हाल ही में एक अलग ही वजह से एक बड़े शहर की हालत खराब होती दिखी है. लेकिन प्रदूषण किसी समस्या किसी एक देश की समस्या नहीं है, पूरे विश्व की साझा समस्या है. इसकी मिसाल अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में देखने को मिल रही है जहां कनाडा के जंगलों की आग का धुंआ शहर के प्रदूषण के स्तरों के रिकॉर्ड तोड़ रहा है. यह घटना बताती है कि जलवायु परिवर्तन के असर सरहदों से परे हैं हम सभी को मिल कर इस समस्या को सुलझाना होगा.
हवा हो गई नारंगी
न्यूयॉर्क ने अचानक ही प्रदूषण को स्तरों को ऐसा छुआ है जिससे वहां हालात बहुत खराब हो गए हैं और न्यूयॉर्क शहर के पूरी हवा नारंगी रंग हो गई है और न्यूयॉर्क का वायुमंडल और खराब होने की वजह दोनों ही पूरी दुनिया में सुर्खियों में है और प्रदूषण स्तरों में उसने दिल्ली जैसे शहरों तक को पीछे छोड़ दिया है.
जलवायु परिवर्तन की चेतावनी
इस धुंधलके की वजह से लोगों को ना केवल देखने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही है और असहज बू से उनका बुरा हाल हो रहा है. इसकी वजह से शहर की हवाई उड़ानों को रद्द कर दिया है और घरों के बाहर होने वाली तमाम गतिविधियां ठप्प हो गई हैं.सोशल मीडिया में कई लोगों ने हालात मंगल ग्रह जैसे बता दिए हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति सहित लोग भी इसे जलवायु परिवर्तन के भयावह नतीजों की चेतावनी करार दे रहे हैं.
कनाडा की समस्या अमेरिका की भी
इस अचानक बढ़े प्रदूषण की वजह कनाडा के जंगलों में लगी आग से आने वाला धुआं बताया जा रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने एक बयान में कहा है कि लाखों अमेरिकी कनाडा में फैली विनाशकारी जंगल की आग से पैदा हुए धुएं का अनुभव कर रहे हैं और यह जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की एक और ज्वलंत चेतावनी है. बाइडन ने यह भी कहा कि वे कनाडा में आग रोकने के लिए लगे प्रायसों की मदद केलिए अतिरिक्त संसाधन भेज रहे हैं.
ऐसा कई जगह होता है
इस तरह की घटना पहली बार नहीं हो रही है. यूरोप भी कनाडा की आग के धुएं का शिकार होता रहता है. भारत में दिल्ली के आसपास के इलाके के खेतों में जलाई जा रही पराली देश की राजधानी के प्रदूषण को असहनीय बना देती है. ऐसी मिसाले दुनिया भर में देखने को मिलती हैं. लेकिन समझने वाली बात यही है कि हल्ला तब ज्यादा होता है जब कोई शहर बुरी तरह से नतीजे भुगतता है.
कनाडा में समस्या गंभीर
आमतौर पर कनाडा के पश्चिमी इलके जंगलों में गर्मी के मौसम में आग लगने की संभावना रहती है. लेकिन इस बार क्वेबेक प्रांत जहां आग लगने की गुंजाइश कम रहती है वहीं आग लगी है. पूर्वी कनाडा ने अटलांटिक महासागर से नमी वाली हवा आती है और यहां के पर्णपाती वनों में आग फैल नहीं पाती है. लेकिन कम नमी वाली हवा, बारिश का ना होना, भीषण गर्मी जैसे कारकों ने इस साल पूर्वी कनाडा को आग के अनुकूल बना दिया है और मानव करकों ने इस आग को सुलगाया होगा जो इस बार बड़े इलाके में फैल गई है.
शायद जल्दी ना बुझे ये आग
अभी इस बात की उम्मीद करना सही नहीं होगा कि यह आग जल्दी ही बुझ जाएगी. इलाका इतना बड़ा है कि मानवीय प्रयास इसे बुझाने के लिए काफी ना हों. विशेषज्ञों का कहना है कि यह आग बुझने के लिए हमें मौसम के बदलने का ही इंतजार करना होगा. वहीं मानवीय प्रयास केवल नुकसान में कमी ही ला सकते हैं. बल्कि हैरानी नहीं होनी चाहिए कि आग बुझने में महीनों का वक्त लग जाए.
समझने वाली बात यह है कि पिछले कुछ दशकों से दुनिया के कई जंगल अपने हर गर्मी के मौसम में भीषण आग का सामना कर रहे हैं. इनमें ऑस्ट्रेलिया और पश्चिमी उत्तर अमेरका के जंगलों का नाम सबसे पहला आता है. उत्तर अमेरिका महाद्वीप के पश्चिमी क्षेत्रों में जंगल की आग लगना अब सामान्य बात होती जा रही है. लेकिन पूर्वी इलाकों में आग लगना कुछ अलग ही, लेकिन गंभीर संकेत दे रही है. इसमें कोई संदेह की बात नहीं है कि इसकी वजह जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग हैं.
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Tags: Climate Change, Environment, New York, Research
FIRST PUBLISHED : June 09, 2023, 12:06 IST