Home Life Style पटना की इस दुकान पर हर महीने बिकते हैं 8 लाख रुपये के पनीर समोसे, स्‍वाद ऐसा कि भूल जाएंगे लिट्टी-चोखा

पटना की इस दुकान पर हर महीने बिकते हैं 8 लाख रुपये के पनीर समोसे, स्‍वाद ऐसा कि भूल जाएंगे लिट्टी-चोखा

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पटना की इस दुकान पर हर महीने बिकते हैं 8 लाख रुपये के पनीर समोसे, स्‍वाद ऐसा कि भूल जाएंगे लिट्टी-चोखा

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उधव कृष्ण/पटना. समोसे का इतिहास काफी पुराना है. इतना ही पुराना है इसका लाजवाब स्वाद. आज इस खबर में हम पटना की एक ऐसी ही दुकान के बारे में बताने जा रहे हैं. पटना के 90 फीट रोड में स्थित ‘अपना लिट्टी एवं मिठाई दुकान’ विगत 20 वर्षों से शहर वासियों की पहली पसंद बनी हुई है. इसका कारण है यहां का मजेदार स्वाद. इसके अलावा एक और चीज ग्राहकों को आकर्षित करती है, वो है यहां का फिक्स रेट. इस दुकान पर सभी चीजें आपको 10 रुपये में ही मिल जाएंगी.

दुकानदार गुड्डू कुमार बताते हैं कि उनकी दुकान में प्रतिदिन तकरीबन 3000 समोसे की बिक्री हो जाती है. 10 रुपये पीस के हिसाब से हर रोज 30 हजार रुपये के सिर्फ समोसे बिक जाते हैं. वहीं, महीने में औसतन 8 लाख रुपये की कमाई हो जाती है. साथ ही दूर-दूर से ग्राहक पनीर वाला समोसा, लिट्टी, काबुली चने की मसालेदार सब्जी और चटपटे रायते का स्वाद लेने पहुंचते हैं. यही नहीं, लोगों के आने का सिलसिला देर रात तक जारी रहता है.

पटना में ही है दूसरी ब्रांच
दुकानदार शानू कुमार ने बताया कि मेट्रो के निर्माण कार्य की वजह से इस दुकान को रोड के दूसरे तरफ शिफ्ट करना पड़ा है. हालांकि इसकी दूसरी ब्रांच मलाही पकड़ी चौक पर स्थित है. वहां भी समोसा, लिट्टी, गुलाब जामुन, रसगुल्ला और लौंगलत्ता खाने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ती है. पार्टी-फंक्शन में भी लोग खूब बुकिंग करते हैं. अधिक जानकारी के लिए आप 87896 48175 पर संपर्क कर सकते हैं.

जानिए समोसे का इतिहास
समोसा हजारों मीलों दूर ईरान से बहुत पहले भारत लाया गया था. असल में ऐसी ही डिश ईरान में भी बनाई जाती है. फारसी में इसका नाम ‘संबुश्क’ था, जो कि यहां आकर समोसा बन गया. इस सुप्रसिद्ध व्यंजन को बिहार और बंगाल में ‘सिंघाड़ा’ भी कहा जाता है. दरअसल यह पानी में उगने वाले सिंघाड़ा की तरह ही दिखाई देता है. वहीं, कुछ लोगों का ये भी मानना है कि समोसे की उत्पत्ति उत्तर भारत में ही हुई है और बाद में यह पूरे भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश सहित आसपास के देशों में लोकप्रिय हुआ. पटना के जाने-माने शिक्षक और इतिहासकार गुरु रहमान की मानें तो समोसे का जिक्र 11वीं सदी के एक इतिहासकार अबुल फल बेहाकी के एक लेख में भी मिलता है, जिन्होंने गजनवी के दरबार में ऐसी ही नमकीन चीज का जिक्र किया था. हालांकि उसमें कीमा और मावे भरे होते थे. जबकि समोसे में प्रमुख रूप से आलू का प्रयोग किया जाता है.

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