Home Life Style पटना के आयुर्वेदिक कॉलेज में बिना चीरा लगाए ठीक होगा मोतियाबिंद

पटना के आयुर्वेदिक कॉलेज में बिना चीरा लगाए ठीक होगा मोतियाबिंद

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पटना के आयुर्वेदिक कॉलेज में बिना चीरा लगाए ठीक होगा मोतियाबिंद

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उधव कृष्ण/पटना. राजधानी वासियों के लिए अच्छी खबर है. अब राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज में जल्द ही फेको यानी दूरबीन विधि से बिना चीरा लगाए Cataract यानी मोतियाबिंद की सर्जरी शुरू होने जा रही है. इसके लिए संस्थान में मशीन लगाने का काम अंतिम चरण में है. इस विधि के प्रशिक्षित सर्जन पहले से ही संस्थान में हैं. उद्घाटन के तुरंत बाद से मरीजों को यह सुविधा मिलने लगेगी. अधीक्षक डॉ. विजय शंकर दुबे ने बताया कि बीएमएसआइसीएल ने इस मशीन की आपूर्ति की है. बता दें कि, राजकीय आयुर्वेद कॉलेज में करीब 10 साल पहले नेत्र रोग विभाग को अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस किया गया था. यहां पुराने तौर- तरीकों से लेंस लगाया जा रहा था. टांका लगाने के क्रम में संक्रमण की काफी आशंका रहती थी. जबकि, फेको मशीन लगने के बाद बिना चीरे और दर्द के मोतियाबिंद की सर्जरी की जा सकेगी.

फेको विधि से सर्जरी के बाद नहीं लगती पट्टी
अधीक्षक डॉ. विजय शंकर दुबे का कहना है कि फेको विधि से मरीज के ऑपरेशन के बाद पट्टी भी नहीं लगानी पड़ेगी. इससे मरीजों को भी बड़ी राहत मिलेगी. बताते चलें कि, राज्य में बड़ी संख्या में मोतियाबिंद ऑपरेशन कराने वालों का बैकलॉग है. इस साल भी, अभियान चलाकर 1.35 लाख से अधिक लोगों की सर्जरी की गई है.

जानिए क्या है मोतियाबिंद?
मोतियाबिंद से पीड़ित व्यक्ति को दुनिया वैसी ही दिखती है, जैसे किसी खिड़की या कांच पर धुंध जमने पर, हमें उससे बाहर की चीजें दिखती है. मोतियाबिंद के कारण आंख में धुंधलापन आने की वजह से पढ़ना, रात में कार चलाना और किसी के चहरे के भावों को समझना मुश्किल हो जाता है. ज्यादातर मामलों में मोतियाबिंद धीरे-धीरे बढ़ता है और शुरुआती दौर में आंखों की रोशनी पर ज्यादा असर नहीं डालता. डॉ. दुबे बताते हैं कि शुरुआत में तेज रोशनी और चश्मा पहनकर मोतियाबिंद की वजह से धुंधली पड़ी नजर में फायदा हो सकता है. लेकिन, अगर इसकी वजह से आपको दैनिक कार्यों में दिक्कत होने लगे तो सर्जरी करवाना ही उपाय है.

जान लीजिए मोतियाबिंद के लक्षण
>> तेज रोशनी और चकाचौंध से आंखों में दिक्कत होना
>> पढ़ने/ लिखने के लिए तेज रोशनी की जरूरत पड़ना
>> रोशनी के चारों ओर ‘प्रभामंडल’ दिखना
>> चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस के नंबर में बार-बार बदलाव होना
>>आंखों का रंग फीका या पीला पड़ जाना
>> एक आंख में दोहरी दृष्टि
>> मोबाइल/लैपटॉप का स्क्रीन धुंधला दिखना
>> रात को देखने में परेशानी होना

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