हाइलाइट्स
महाराजा भूपिंदर सिंह द्वारा ‘पटियाला पैग’ का नामकरण किया गया.
महाराजा भूपिंदर सिंह ने 1900 से 1938 तक पटियाला पर शासन किया था.
पटियाला पैग खास क्यों होता है और इसका इतिहास से क्या संबंध है.
Patiala peg: आप चाहे शराब पीते हो या नहीं पीते हो, लेकिन आपने पटियाला पैग (Patiala peg) के बारे में जरूर सुना होगा. अगर नहीं सुना होगा तो बॉलीवुड के गानों में तो जरूर सुना होगा. लेकिन क्या कभी आपने सोचा है आखिर इसे पटियाला पैग ही क्यों बोला जाता है? इसका नाम चंडीगढ़, भटिंडा, जयपुर या दिल्ली पैग क्यों नहीं है. आज आपको बता रहे हैं कि पटियाला पैग खास क्यों होता है और इसका इतिहास से क्या संबंध है.
उत्तर भारत के अधिकांश व्हिस्की प्रेमी यह मानते होंगे कि पटियाला पैग कुछ खास है. यह वाकई में राजसी पैग है, जिसे 120 मिलीलीटर व्हिस्की में कुछ सोडा और बर्फ के साथ परोसा जाता है. पटियाला पैग इस बात की गारंटी है कि इसे पीने वाला अगले दिन एक तेज हैंगओवर के साथ उठता है. दिलचस्प बात यह है कि इसे इसीलिए ही बनाया गया था.
क्या है असल कहानी
जीक्यू इंडिया डॉटकॉम के अनुसार पटियाला पैग की ईजाद पटियाला के महाराजा भूपिंदर सिंह के दरबार में हुई थी, जिन्होंने 1900 से 1938 तक तत्कालीन पटियाला रियासत पर शासन किया था. महाराजा, आधुनिक भारतीय इतिहास के सबसे प्रसिद्ध और विवादास्पद शख्सियतों में से एक थे. उनकी ख्याति एक असाधारण उदार मेजबान के तौर पर थी. वह अक्सर विदेशी गणमान्य व्यक्तियों और खिलाड़ियों के लिए शानदार पार्टियां आयोजित करते थे. वह स्वयं एक उत्साही खिलाड़ी थे और उन्होंने 1911 में इंग्लैंड का दौरा करने वाली भारतीय क्रिकेट टीम की कप्तानी भी की थी.
एक चीज जो उन्हें पसंद नहीं थी, वह थी हारना. महाराजा, जिनके पास सिख योद्धाओं से युक्त एक शक्तिशाली पोलो टीम थी, ने एक बार ‘टेंट पेगिंग’ के एक दोस्ताना टूर्नामेंट के लिए वायसराय प्राइड नामक एक आयरिश पोलो टीम को आमंत्रित किया था. उस समय पटियाला टीम, वायसराय प्राइड टीम के मुकाबले काफी हद तक अनुभवहीन थी. आयरिश टीम एक मजबूत, कुशल और खेल जीतने के लिए दृढ़ प्रतिज्ञ टीम थी.
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महाराजा ने बनाई योजना
अपनी टीम की कमजोरी जानते हुए महाराजा ने एक रणनीतिक योजना तैयार की. उन्होंने अपने कर्मचारियों को बड़े मैच से एक रात पहले रात के खाने में मेहमान टीम को दोगुनी मात्रा में व्हिस्की देने का आदेश दिया. जैसा कि अनुमान था, आयरिश टीम के सदस्य अगली सुबह भारी हैंगओवर के साथ उठे और अपनी पूरी क्षमता से खेलने में सक्षम नहीं थे. महाराजा की टीम विजयी हुई. कहा जाता है कि जब वायसराय की टीम का राजनीतिक एजेंट महाराजा से शिकायत करने गया, तो उन्होंने यह कहकर जवाब दिया, “हां, पटियाला में हमारे पैग बड़े होते हैं.”
ये भी हैं किस्से
पटियाला पैग को लेकर ज्यादातर यही किस्सा प्रचलित हैं, लेकिन कुछ आधुनिक भारतीय इतिहासकारों ने दावा किया है कि आयरिश पोलो टीम के बजाय, महाराजा ने ऐसा वास्तव में ब्रिटिश क्रिकेट टीम के खिलाफ किया था. पटियाला पैग के निर्माण के बारे में एक और लोकप्रिय किस्सा यह है कि महाराजा को उनके डॉक्टर ने सलाह दी थी कि वे इसे दिन में केवल एक गिलास तक ही पियें. महाराजा की अति करने की आदत को ध्यान में रखते हुए, उन्होंने एक चेतावनी का पालन किया कि एक ड्रिंक चार के बराबर होगा. एक कहानी यह भी है जो दावा करता है कि महाराजा की देर से आने की प्रवृत्ति को देखते हुए, उनके मेहमानों ने बड़े पैग (पटियाला पैग) डालना शुरू कर दिया, जिसे वे इंतजार करते समय पीते रह सकते थे.
कितना बड़ा है पटियाला पेग?
एक पटियाला पैग लगभग 120 मिलीलीटर व्हिस्की (एक डबल-डबल) के बराबर होता है. महाराजा भूपिंदर सिंह द्वारा ‘पटियाला पैग’ का नामकरण किया गया. जो आज पूरी दुनिया मशहूर हो गया है. शुरुआत में ‘पटियाला पैग’ सिर्फ शाही मेहमानों को परोसा जाता था. लेकिन अब हर खुशी के मौके पर लोग अपनी खुशी को दोगना करने की खातिर ‘पटियाला पैग’ का लुत्फ उठाने लगे हैं.
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FIRST PUBLISHED : February 25, 2024, 11:49 IST