अनुज गौतम/सागर: फसलों के जिस कचरे को बेकार मानकर किसान फेंक देते हैं या जला देते हैं. उसी कचरे से एक किसान ने एंटीबायोटिक तकिया तैयार किया है. जो न सिर्फ फायदेमंद है, बल्कि कचरा से आमदनी भी करा रहा है. इस एंटीबायोटिक तकिया की डिमांड महाराष्ट्र, दिल्ली और हैदराबाद में खूब है. यह किसान खुद के खेत के पत्ते खत्म हो जाने के बाद दूसरे किसानों से भी हल्दी के पत्ते ₹70 किलो में खरीद रहा है.
सागर के प्राकृतिक जैविक कृषि विशेषज्ञ आकाश चौरसिया ने हल्दी की फसल के कचरे से देसी एंटीबायोटिक तकिया तैयार किया है. आकाश का दावा है कि यह तकिया माइग्रेन, तनाव, थकान, त्वचा संबंधी बीमारियों को दूर करने में कारगर है. इसे रखकर सोने से नींद भी अच्छी आती है. आकाश का दावा है कि एक एकड़ की हल्दी की फसल की वेस्टेज से किसान एक लाख तक की कमाई कर सकता है.
एक बार में 8 माह चलेगा तकिया
आकाश ने बताया कि हल्दी के बेकार पत्तों से तैयार किया गया यह तकिया एक बार में 6 से 8 महीने तक आराम से इस्तेमाल किया जा सकता है. आयुर्वेद में हल्दी को एंटीबायोटिक माना गया है. ऐसे में उसके पत्तों में भी वही गुण होता है. उन्हीं पत्तों से बनाया गया तकिया एंटीबायोटिक गुणों से भरपूर है. इसमें मंद ख़ुशबू भी होती है, जो नींद को और अच्छा बना देती है.
एक एकड़ से 60 हजार की कमाई
किसान ने सभी खर्चों को मिलाकर तकिया की क़ीमत 500 रुपये रखी है, ताकि सभी वर्ग के लोग इसे खरीद सकें. इसको बनाने के लिए ग्रामीण महिलाओं को लगाया गया है. एक एकड़ के में उगी हल्दी के पत्तों से लगभग 200 तकिए आराम से बनते हैं, जो आय के रूप में लगभग एक लाख रुपये के होते हैं. सभी खर्चों को निकाल दें तो लगभग 60,000 रुपये प्रति एकड़ शुद्ध लाभ है. इस तरह किसान अपनी हल्दी की फसल के वेस्ट से बेस्ट उत्पाद बना कर आय भी बढ़ा सकता है.
पूरी तरह सूखी न हों पत्तियां
हल्दी की पत्तियों को लेते समय ध्यान रखना होता है कि पत्तियों में नमी न हो और 100 प्रतिशत सुखी भी ना हो. इनमें लगभग 2 से 5 प्रतिशत नमी होनी चाहिए. पत्ती का केवल मुलायम हिस्सा ही इस्तेमाल करना चाहिए. तकिये के खोल में पत्तियां भरते समय मौसम में नमी नहीं होना चाहिए. पत्तियां मल्टीलेयर कृषि तकनीक में उगाई गई हल्दी की होंगी तो काफ़ी अच्छा होगा. पत्तियां भरते समय किसी तरह का गैप नहीं होना चाहिए.
हल्दी की पत्ती से बनाते हैं तकिया
आकाश के अनुसार, किसान भाई जो भी फसल उगाते हैं, उसके फल को ही आय का साधन मानते हैं, जबकि ऐसा नहीं है. फसल के हर पार्ट का उपयोग किया जा सकता है और आय में शामिल किया जा सकता है. कुदरत की बनाई कोई भी वस्तु गुणहीन नहीं है. इसी तरह हल्दी के पत्तों में भी औषधियों गुण होते हैं. इनके पत्तों को छाया में सुखाकर 20 प्रतिशत रूई के साथ या 100 प्रतिशत नरम पत्तियों के साथ 1.5 बाई 1 फीट के खोल में भर देते हैं और उसकी सिलाई कर देते हैं. फिर एक और खोल ऊपर चढ़ा देते हैं. तकिया तैयार हो जाता है.
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FIRST PUBLISHED : February 13, 2024, 20:36 IST
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