Home Life Style पपीते से हटाएं अनचाहे बाल, झुर्रियां दूर करें चेहरे को बनाएं चमकदार और जवान

पपीते से हटाएं अनचाहे बाल, झुर्रियां दूर करें चेहरे को बनाएं चमकदार और जवान

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घर की रसोई स्वाद के साथ-साथ सेहत का खजाना होती है. रसोई में रखे फल-सब्जी और मसालों से हम घरेलू दवाएं बना सकते हैं, सौन्दर्य प्रसाधन सामग्री बना सकते हैं. ऐसे एक-दो नहीं तमाम घरेलू नुस्खें हैं जो सदियों से एक परंपरा के रूप में चले आ रहे हैं. पेंगुइन स्वदेश से एक पुस्तक आई है- ‘जंगल लैबोरेटरी’. इस पुस्तक को जाने-माने इथनो बॉनिस्ट और वैज्ञानिक डॉ. दीपक आचार्य ने लिखा है. दीपक आचार्य ने लगभग 25 सालों के अध्ययन के बाद जंगल की जड़ी-बूटियों के बारे में जानकारी जुटाई है. उन्होंने मध्य प्रदेश के पातालकोट, गुजरात के डांग और राजस्थान के अरावली जैसे भारत के सुदूर आदिवासी इलाकों में रहने वाले लोगों के पारंपरिक हर्बल ज्ञान, रहन-सहन और खान-पान के तौर-तरीकों का अध्ययन किया है. यहां से मिले ज्ञान को विज्ञान की कसौटी पर परखते हुए दीपक आचार्य ने अन्य लोगों तक पहुंचाने का काम किया है.

डॉ. दीपक आचार्य की पुस्तक ‘जंगल लैबोरेटरी’ में स्वास्थ्य और सौन्दर्य से संबंधित सैकड़ों नुस्खें दिए हुए हैं. इसी पुस्तक में एक जगह पर पपीते के माध्यम से चेहरे को कांतियुक्त बनाने के बारे में बताया गया है.

पपीते से चेहरे को बनाएं जवान
‘जंगल लैबोरेटरी’ में दीपक आचार्य लिखते हैं- ग्रामीण अंचलों में लोग पपीते का इस्तेमाल कई तरह के प्राकृतिक सौंदर्य के नुस्खों के तौर पर करते हैं. डांग की आदिवासी महिलाएं चावल, मक्का और बाजरे के आटे की समान मात्रा लेती हैं और इसमें करीब 10 ग्राम पके हुए पपीते को डाल देती हैं. इसमें थोड़ा-सा पानी मिलाकर अच्छी तरह से मैश किया जाता है. इस पेस्ट को चेहरे पर आहिस्ता-आहिस्ता लगाया जाता है और मालिश की जाती है. माना जाता है कि चेहरे की मृत कोशिकाओं को यह अलग करने में मदद करता है और चेहरा कान्तिमय और ऊर्जावान दिखाई देता. त्वचा पर झुर्रियां आ जाने पर आदिवासी हर्बल जानकार पके हुए पपीते के बीजों के इस्तेमाल की सलाह देते हैं. पके हुए पपीते के बीजों को इकट्ठा कर लिया जाए, सुखा लिया जाए और इसका चूर्ण तैयार कर लिया जाए. जब इस्तेमाल करना हो तो एक चम्मच चूर्ण में इतनी ही मात्रा में पानी मिलाकर पेस्ट बना ले और झुर्रियों वाले हिस्सों पर लेपित कर लें. जब यह पेस्ट सूख जाए तो इसे धो लें. ऐसा एक माह तक लगातार दिन में दो बार करने से फायदा जरूर होता है.

चने का आटा चमकाए त्वचा
‘जंगल लैबोरेटरी’ में दीपक आचार्य लिखते हैं- ग्रामीण अंचलों में चना और चने का आटा यानी बेसन सौंदर्य और खूबसूरती प्राप्त करने के लिए बेहद खास माने जाते हैं. एक चम्मच बेसन में थोड़ा सा पानी मिलाकर पेस्ट तैयार लें. धीमे-धीमे इस पेस्ट को चेहरे से लेकर गर्दन और गले के हिस्से पर लगा लें. कुछ देर में इसके सूख जाने के बाद हल्के-हल्के हाथों से इसे रगड़कर उतार लें. माना जाता है कि ऐसा करने से मृत कोशिकाएं बेसन के साथ चिपककर बाहर निकल आती हैं और चेहरे की त्वचा में निखार आ जाता है.

साबुन है नुकसानदायक
हर्बल जानकारों के अनुसार लोगों को चेहरे की सफाई के लिए किसी तरह के साबुन के इस्तेमाल से दूर रहना चाहिए. इसी पेस्ट को साबुन की तरह लगाकर उपयोग में लाया जाए तो ज्यादा फायदा होगा. अक्सर इस लेप का इस्तेमाल चेहरे पर करते रहने से चेहरे पर निकलने वाले अनावश्यक बालों की वृद्धि भी रुक जाती है. मगर इसके इस्तेमाल से पहले यह अवश्य ध्यान रखना चाहिए कि इन चीजों से आपको एलर्जी तो नहीं.

अपनी टीम के साथ एक बार सौराष्ट्र (गुजरात) के दौरे पर था. मेरा काम यह भी है कि गांव-देहातों में जाकर बुजुर्गों से घंटों पंचायत करता रहता हूं. उनसे बातचीत करता रहता हूं. मेरा हमेशा से मानना है कि जो जानकारी हमें हमारे बुजुर्ग दे सकते हैं, वो गूगल या उसके जैसे नहीं दे सकते.

पपीते से हटाएं अनचाहे बाल
‘जंगल लैबोरेटरी’ में ही डॉ. दीपक आचार्य लिखते हैं- गिर नेशनल पार्क के पास तलाला गांव है. यह गांव जूनागढ़ से करीब 70 किलोमीटर दूर है. एक दिन गांव में स्थानीय लोगों से मुलाकात के दौरान एक बुजुर्ग महिला को देखा. वो महिला कच्चे पपीते को सिलबट्टे पर पीसकर उसे लुग्दी की तरह तैयार कर रही थी. मैं उसके करीब जाकर गौर से देखने लगा. गुजरात में गांठिया और फाफड़ा जैसे व्यंजनों के साथ कच्चा पपीता और उसकी चटनी खूब खाई जाती है. मुझे लगा कि शायद कच्चे पपीते से उसी की तैयारी हो रही है. लेकिन बातों ही बातों में पता चला कि यहां तो दादी मां कुछ अनोखा ही जुगाड़ तैयार कर रही थीं. नेचुरल हेयर रिमूवर तैयार हो रहा था. बस थोडी-सी भनक क्या लगी. मैंने अपना आसन वहीं लगा लिया.

बुजुर्ग महिला ने बताया कि कच्चे पपीते को छीलकर उसके टुकड़ों को सिलबट्टे पर पीसकर पेस्ट बना लेंगी और फिर इस पल्प का होंठों के ऊपर निकल आए अनावश्यक बालों को हटाने के लिए इस्तेमाल करेंगी. उन्होंने बताया कि इस पल्प को 20-25 मिनट लगाकर सूखने दिया जाएगा और फिर इसे रगड़कर साफ किया जाएगा. बाद में साफ पानी से धो लिया जाएगा. वाह जी… ये तो गज़ब जुगाड़ है. उन्होंने यह जानकारी अपनी मां से ली थी. यानी यह दशकों से चला आ रहा एक पारम्परिक ज्ञान था.

अब चलते हैं इंटरनेशनल जर्नल ऑफ फार्मास्युटिक्स की सन 2007 की उस रिसर्च फाइंडिंग पर जो बताती है कि कच्चे पपीते में एक जबर्दस्त एंजाइम ‘पपैन’ पाया जाता है. इस पपैन की खासियत है कि यह हेयर फॉलिकल को कमजोर कर देता है जिससे बाल आसानी से रिमूव हो जाते हैं. लगातार कच्चे पपीते को इस तरह इस्तेमाल करने और पपैन की सक्रियता से उस जगह से बालों का उगना भी बंद हो जाता है, जहां नियमित तौर से इसका इस्तेमाल होता है. अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित इस पूरी स्टडी का शीर्षक ही हिस्टोलॉजिकल इवेल्यूशन ऑफ हेयर फॉलिकल ड्यू टू पपैनस इफैक्ट था. एक तरफ है हमारे देश का पारम्परिक ज्ञान और दूसरी तरफ इस तरह के ज्ञान पर ठप्पा लगाता आधुनिक विज्ञान. यह रिसर्च सन 2007 की है, और मेरी मुलाकात उन बुजुर्ग महिला से 2005 में हुई थी. सबसे बड़ी बात यह कि कच्चे पपीते के इस फॉर्मूले के बारे में उन्हें उनकी मां ने बताया था. यानी यह बात उन्हें छह-सात दशक पहले से पता रही होगी.

पुस्तकः जंगल लैबोरेटरी
लेखकः डॉ. दीपक आचार्य
प्रकाशकः पेंगुइन स्वदेश

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