
‘ऑपरेशन सिंदूर’ से इडियन आर्मी ने पाकिस्तान में जमकर तबाही मचाई. उनके 7 से ज्यादा एयरबेस उड़ा दिए. आर्मी इंफ्रास्ट्रक्चर ध्वस्त कर दिए. लेकिन इसी बीच चर्चा छिड़ गई कि भारत ने जो ब्रह्मोस मिसाइल दागी, वह पाकिस्तान के किराना हिल्स में जाकर गिरी, ये वही जगह है जहां पाकिस्तान के परमाणु हथियार रखे हुए थे. हालांकि, इंडियन आर्मी ने इस दावे को खारिज कर दिया है. इसके बाद लोगों के मन में परमाणु बम को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. इन्हीं में से एक सवाल है कि परमाणु बम हवा में फोड़ा जाता है या फिर धरती पर गिरने के बाद विस्फोट होता है? कहां विस्फोट से सबसे ज्यादा नुकसान होता है?
यूएस डिफेंस टेक्निकल इंफॉर्मेशन सेंटर की रिपोर्ट के मुताबिक, परमाणु बम को आमतौर पर जमीन से कुछ सौ मीटर ऊपर हवा में फोड़ा जाता है. इसे एयरबर्स्ट डिटोनेशन (Airburst Detonation) कहा जाता है. एक और स्थिति होती है, जब बम धरती से टकराकर फटता है, साइंस में इसे सर्फेस बर्स्ट (Surface Burst) कहा जाता है. इसके पीछे वजह भी बेहद साइंटिफिक है, क्योंकि यह सबकुछ नुकसान कितना पहुंचाना है, उस पर निर्भर करता है.
हवा में क्यों फोड़ा जाता है बम?
1. हवा में विस्फोट करने से शॉक वेव (shock wave) चारों ओर समान रूप से फैलती हैं. इससे ज्यादा बड़ा इलाका विस्फोट की जद में आता है. आप सिर्फ एक जगह को नहीं बल्कि पूरे शहर को तबाह कर सकते हैं. जैसे जापान के हिरोशिमा में परमाणु बम को 600 मीटर की ऊंचाई पर फोड़ा गया था, जिससे पूरा का पूरा शहर तबाह हो गया.
2. परमाणु बम अगर धरती पर गिर जाए और उसके बाद विस्फोट हो तो रेडियोएक्टिव मलबा जमीन से उड़कर वातावरण में फैलता है, यह ज्यादा समय तक जानलेवा बना रहता है. हवा में विस्फोट करने से यह मलबा काफी कम निकलता है, जिससे कुछ कम समय के लिए ही रेडिएशन रहता है.
3. बड़े शहरों या सैन्य ठिकानों जैसे सॉफ्ट टारगेट्स को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाने के लिए एयरबर्स्ट सबसे कारगर तरीका होता है. इमारतें, सड़कें, और खुले क्षेत्र इसकी शॉक वेव से तुरंत बर्बाद हो जाते हैं. यह बताता है कि हमला सिर्फ टारगेट को नहीं बल्कि पूरे सिस्टम को ध्वस्त करने के लिए है. यह दुश्मन की हिम्मत तोड़ने और सरेंडर के लिए मजबूर कर देता है.
जमीन पर फोड़ना कितना फायदेमंद?
इंटरनेट आर्काइव में पब्लिश रिपोर्ट के मुताबिक- अगर कोई परमाणु बम जमीन पर गिरने के बाद विस्फोट करे तो उससे कम एरिया प्रभावित होता है. आमतौर पर इसका इस्तेमाल किसी बंकर, भूमिगत ठिकानों और मिसाइल साइट्स को नष्ट करने के लिए होता है. सिविलियन टारगेट पर Surface Burst कम असरदार माना जाता है.
भारत और पाकिस्तान के पास कैसे परमाणु बम?
भारत के पास बड़े परमाणु बम हैं, जिनमें अगर धमाका हो तो बड़े पैमाने पर तबाही मचेगी. इसलिए भारत ने No First Use पॉलिसी अपनाई है. यानी भारत पहले परमाणु हमला नहीं करेगा. लेकिन किसी मुल्क ने हमला किया तो भारत एयरबर्स्ट अटैक कर सकता है, जिससे भारी तबाही मचनी तय है.
दूसरी ओर, पाकिस्तान ने No First Use पॉलिसी को नहीं माना है. उसने टेक्टिकल न्यूक्लियर वेपन (Tactical Nuclear Weapons) डेवलप किए हैं. इन्हें अगर विस्फोट भी किया जाए तो इनका असर सीमित दायरे में होगा. सबसे खास बात, पाकिस्तान ने इन्हें धरती पर गिराने के मकसद से तैयार किए हैं.