Friday, December 13, 2024
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पहले तीन रुपये देने से किया इनकार, फिर बोला- जाओ भिखारी को दान दे दिया; अब दुकानदार पर लगा 25 हजार का जुर्माना


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ओडिशा के संबलपुर में एक फोटोकॉपी दुकानदार को ग्राहक को तीन रुपये वापस करने से इनकार करने पर 25 हजार रुपये जुर्माना देने का आदेश दिया गया है। संबलपुर के जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने यह फैसला सुनाया। आदेश के अनुसार, जुर्माना अदा न करने पर जुर्माने की रकम शिकायतकर्ता को वसूल होने तक 9% वार्षिक ब्याज के साथ अदा करनी होगी। दरअसल, दुकानदार ने पहले तो तीन रुपये देने से इनकार किया और फिर बाद में पांच रुपये वापस करते हुए बोला कि जाओ भिखारी को दान दे दिया।

संबलपुर जिले के बुधराजा क्षेत्र के प्रफुल्ल कुरार 28 अप्रैल, 2023 को दस्तावेज की फोटोकॉपी लेने के लिए दुकान पर गए थे। दास ने पांच रुपये दिए थे और दुकानदार को वास्तविक दर के रूप में तीन रुपये वापस करने के लिए कहा था। एक फोटोकॉपी का दाम दो रुपये था। दुकानदार ने ग्राहक को तीन रुपये वापस करने से इनकार कर दिया और शिकायतकर्ता के साथ दुर्व्यवहार किया। बार-बार अनुरोध करने के बाद मालिक की कुर्सी पर बैठे व्यक्ति ने 5 रुपये वापस कर दिए और शिकायतकर्ता को यह कहकर अपमानित किया कि उसने पैसे भिखारी को दान कर दिए हैं। इसके अलावा, दुकानदार ने कोई रसीद या बिल नहीं दिया। दास ने दावा किया कि इससे वित्तीय नुकसान के अलावा काफी मानसिक पीड़ा, उत्पीड़न और असुविधा हुई।

‘ओडिशा टीवी’ की रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले में आयोग ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि रुपये वापस करने का निर्देश दिया गया है। आदेश की तारीख से 30 दिनों के भीतर शिकायतकर्ता को मानसिक पीड़ा और उत्पीड़न के लिए मुआवजे के रूप में 25,000/- रुपये दिए जाएंगे और ऐसा न करने पर शिकायतकर्ता को राशि का भुगतान होने तक 9% वार्षिक ब्याज के साथ भुगतान करना होगा।” आदेश के अनुसार, दुकानदार इन कारणों के लिए शिकायतकर्ता को मुआवजा देने के लिए उत्तरदायी है। 

ऑर्डर में कहा गया, ”दुकानदार की ओर से कोई रसीद या बिल नहीं दिया था जो एक अनुचित व्यापार व्यवहार है। इसके अलावा, प्रति फोटोकॉपी बाजार दर की तुलना में अधिक पैसा वसूल रहा है। इसलिए, यह उपभोक्ता का शोषण है।” वहीं, शिकायतकर्मा प्रफुल्ल ने कहा कि यह मेरा व्यक्तिगत मामला नहीं है। यह सभी उपभोक्ताओं के अधिकारों के लिए चिंता का विषय है। घटना के बाद मुझे इतना अपमानित किया गया कि मैंने जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में शिकायत दर्ज कराई और अदालत के हस्तक्षेप के कारण मुझे न्याय मिला।



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