Saturday, February 22, 2025
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पहले न्योता को तरसाया, अब सीट दी भी तो आधी; BJP के सामने क्यों बेबस पूर्व PM देवगौड़ा की पार्टी? समझें


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BJP-JDS Alliance in Lok Sabha Election 2024:  डेढ़ महीने पहले जब दिल्ली में 18 जुलाई को बीजेपी की अगुवाई वाली 38 दलों की NDA की बैठक हो रही थी, तब सुदूर दक्षिण कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में पूर्व प्रधानमंत्री और जेडीएस के नेता एचडी देवगौड़ा उस बैठक में शामिल होने के लिए एक अदद न्योते वाली चिट्ठी मिलने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने मोदी-शाह की चतुर और चाणक्य रणनीति के तहत देवगौड़ा को चिट्ठी भेजने पर चुप्पी साध ली थी। इससे बौखलाए 90 वर्षीय देवगौड़ा ने तब कहा था कि वह लोकसभा के चुनाव में अकेले ही कर्नाटक के रणक्षेत्र में उतरेंगे।

अब 50 दिन बाद उन्हीं देवगौड़ा और बीजेपी के बीच अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों में गठजोड़ पर सहमति बन गई। दोनों पार्टियों के बीच हुए समझौते के मुताबिक कर्नाटक की 28 लोकसभा सीटों में से जेडीएस सिर्फ चार पर चुनाव लड़ेगी जबकि बाकी 24 सीटों पर बीजेपी अपने उम्मीदवार उतारेगी। बीजेपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने शुक्रवार को इस बात की पुष्टि की कि कर्नाटक में दोनों दल मिलकर आम चुनाव लड़ेंगे।

पांच साल पहले क्या थी स्थिति

बता दें कि पांच साल पहले यानी 2019 के लोकसभा चुनाव में जेडीएस ने  कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। कांग्रेस ने तब 21 और जेडीएस ने सात सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन दोनों को एक-एक सीट पर जीत मिली थी। बीजेपी ने 25 सीटों पर जीत दर्ज की थी जबकि एक बीजेपी समर्थित निर्दलीय ने भी जीत दर्ज की थी। यानी पांच साल बाद जेडीएस करीब आधी सीट पर मुकाबला करेगी। 2019 में जेडीएस को 9.74 फीसदी वोट मिले थे , जबकि सबसे ज्यादा बीजेपी को 51.75 फीसदी और कांग्रेस को 32.11 फीसदी वोट मिले थे।

दुश्मनी क्यों दोस्ती में बदली?

इसी साल हुए कर्नाटक विधानसभा चुनावों में बीजेपी और जेडीएस की करारी हार हुई थी। तभी से कयास लगाए जा रहे थे कि दोनों दल राज्य में अपनी खिसकती सियासी जमीन को बचाने के लिए  कांग्रेस के खिलाफ एकसाथ आ सकते हैं। इससे पहले भी दोनों पार्टियां राज्य में साथ चुनाव लड़ चुकी हैं और साथ-साथ शासन कर चुकी हैं। 2004 में भी बीजेपी ने 24 और जेडीएस ने चार सीटों पर चुनाव लड़ा था।

2014 में क्या था सूरत-ए-हाल

2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी, कांग्रेस और जेडीएस ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। तब बीजेपी ने 17, कांग्रेस ने 9 और जेडीएस ने दो सीटें जीती थीं।  बीजेपी को तब कुल 43 फीसदी वोट शेयर हासिल हुए थे, जबकि कांग्रेस को 40.80 फीसदी और जेडीएस को 11 फीसदी। तब कहा गया था कि अगर कांग्रेस और जेडीएस ने मिलकर चुनाव लड़ा होता तो उनका गठबंधन बीजेपी से 8.8 फीसदी वोट ज्यादा हासिल करता। 2009 में भी तीनों दलों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। तब बीजेपी को 19, कांग्रेस को6 और जेडीएस को 3 सीटें मिली थीं।

क्यों झुकी जेडीएस?

इसी साल जो कर्नाटक में विधानसभा चुनाव हुए हैं, उसमें भी तीनों दलों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा है। 224 सदस्यों वाली विधानसभा में कांग्रेस ने 135 सीटें जीतकर अपने दम पर सरकार बनाई है, जबकि बीजेपी को 38 सीटों का नुकसान झेलते हुए सिर्फ 66 सीटें ही जीत सकी। सबसे बुरा हाल जेडीएस का रहा जो 37 सीटों से 19 सीटों पर सिमट गई, जबकि कांग्रेस को 2018 के मुकाबले 55 सीटें ज्यादा मिलीं। आंकड़ों पर गौर करें तो जेडीएस राज्य में लगातार सिकुड़ती जा रही है, जबकि कांग्रेस ने कमबैक किया है। 

वोट परसेंट पर नजर डालें तो कांग्रेस को 42.88 फीसदी, बीजेपी को 36 फीसदी और जेडीएस को 13.29 फीसदी वोट शेयर हासिल हुए हैं। वोक्कलिगा वोटों का खूब बंटवारा हुआ है। ऐसे में जेडीएस को उम्मीद है कि अगर बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा जाए तो दोनों का कुल वोट शेयर कांग्रेस के कुल वोट शेयर से सात फीसदी ज्यादा हो सकता है और यह सीटों में बदला तो 2024 में कांग्रेस के मुकाबले लंबी लकीर खींच सकते हैं। 



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