बिना नाम लिए इमरान पर निशाना
डीजी आईएसपीआर का कहना था कि सेना का मानना है कि, वर्तमान में, पाकिस्तान के लिए अकेला सबसे बड़ा खतरा आंतरिक राजनीतिक अस्थिरता। उनकी मानें तो इसने पिछले एक साल में देश को तबाह कर दिया है। इस दौरान उन्होंने नाम नहीं लिया लेकिन सब समझ गए थे कि उनका इशारा किस तरफ है। उन्होंने नौ मई की घटनाओं को सेना और उसके नेतृत्व के खिलाफ पिछले कई महीनों से लोगों को गुमराह करने में शामिल लोगों द्वारा रचित एक सुनियोजित साजिश बताया। इससे साफ हो गया कि उनका इशारा किस तरफ था। इमरान की गिरफ्तारी के बाद बड़े पैमाने पर हुए विरोध प्रदर्शनों ने दुनिया को चिंता में डाल दिया था। जो कार्रवाई की गई उसके बाद कुछ पत्रकारों को सेना के बयानों में विरोधाभास नजर आया। सेना की तरफ से पहले कहा गया था कि मिलिट्री ने प्रदर्शन वाले दिन काफी संयम बरता था।
आर्मी कोर्ट्स की वकालत
डीजी से बार-बार यह साफ करने को कहा गया था कि जब सेना खुद संयम दिखाना चाहती थी तो प्रदर्शनकारियों से न उलझने के लिए तीन अधिकारियों को क्यों जाने दिया गया। मगर वह कोई जवाब नहीं दे सके। महत्वपूर्ण बात यह है डीजी की तरफ से यह दिखाने की कोशिश की गई कि नौ मई को जो कुछ भी हुआ उसमें सेना ने खुद को सजा दी है। डीजी आईएसपीआर ने यह साफ कर दिया कि सेना का मानना है कि अब असैन्य अपराधियों को सजा देने का समय आ गया है।
उन्होंने सैन्य अदालतों में चलाए जाने वाले मुकदमों का बचाव किया। साथ ही इस बात की जानकारी भी दी कि 102 संदिग्धों का कोर्ट मार्शल पहले से ही चल रहा है। खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए इंसाफ के कार्यकर्ताओं ने लाहौर कोर कमांडर हाउस, मियांवाली एयरबेस और फैसलाबाद में आईएसआई भवन सहित 20 से अधिक सैन्य प्रतिष्ठानों और सरकारी भवनों में तोड़फोड़ की थी। रावलपिंडी में सेना मुख्यालय (जीएचक्यू) पर भी भीड़ ने हमला किया था।
सख्ती से निबटने की चेतावनी
उन्होंने चेतावनी भी कि दी कि इस प्रक्रिया को नतीजे पर पहुंचाने के रास्ते में जो कोई भी आएगा, उससे सख्ती से निपटा जाएगा। वहीं कई लोगों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट में पहले ही इस बात को लेकर सुनवाई चल रही है कि सैन्य अदालतों के तहत नागरिकों पर मुकदमा चलाना कहां तक सही है। ऐसे में कोई भी चेतावनी बेकार ही है। पाकिस्तान के विशेषज्ञों की मानें तो यह वॉर्निंग सीधे तौर पर इमरान खान और उनकी पार्टी के लिए है। इमरान अक्सर सेना पर निशाना साधते रहते हैं। साथ ही नौ मई को हुई हिंसा में उनकी पार्टी के समर्थक बड़े पैमाने पर मौजूद थे। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे उनकी पार्टी का और उनका भविष्य क्या होगा।