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नई संसद में सेना होगी बॉस
नौ मई को इस्लामाबाद हाई कोर्ट से इमरान की गिरफ्तारी के बाद जमकर हिंसा हुई। इस हिंसा में उनकी पार्टी के कई नेता गिरफ्तार हुए। इसका नतीजा यह रहा कि इमरान के कई करीबी उनका साथ छोड़कर चले गए। अब इन तमाम लोगों ने एक नई पार्टी खलीलजाद ने इसी स्थिति पर ट्विटर पर लिखा है। उनका मानना है कि पाकिस्तान की सरकार के समर्थन से पीटीआई छोड़कर गए नेताओं ने इत्तहकाम-ए-पाकिस्तान (IPP) पार्टी बनाई है। इस पार्टी के बनते ही यह साफ हो गया है कि इसे नवंबर में होने वाले चुनावों के लिए ही तैयार किया गया है। चुनावों के बाद जब नई संसद आएगी तो इस पार्टी की मौजूदगी काफी अहम होने वाली है। यही पार्टी यह तय करेगी कि मिलिट्री ही ड्राइविंग सीट पर रहे।
पहले भी हुआ है ऐसा
खलीलजाद के मुताबिक जो भी कदम उठाया गया है उसके बाद आईपीपी ही राजा पार्टी होगी। जो काम अब हुआ है, वही काम पूर्व जनरल अयूब खान, जिया-उल-हक और परवेज मुशर्रफ ने भी उठाया था। इन तीनों ने भी राजनीतिक पार्टियों को बनाया और फिर चुनावों में उन पार्टियों को अपने मुताबिक प्रयोग किया। इस तरह से पाकिस्तान की नई सरकार में सेना बड़ा हिस्सा रही। उसके बिना किसी भी रणनीति को बनाना नामुमकिन था। साथ ही पार्टी के नेताओं में भी कभी इतनी हिम्मत नहीं हुई कि वो सेना या मिलिट्री के खिलाफ खड़े हों। खलीलजाद के मुताबिक एक राजा पार्टी बनाने के अलावा, चुनावों में जोड़-तोड़ किया जा चुका है, लोकप्रिय नेताओं को जेल भेजा गया है, उन्हें अयोग्य ठहराया गया, निर्वासन में भेजा गया, यहां तक कि उन्हें फांसी तक पर लटकाया गया और उनकी हत्या तक हुई है।
बड़े संकट की तरफ पाकिस्तान
खलीलजाद के मुताबिक हमेशा से पाकिस्तान में यही होता आया है और हमेशा सफल भी रहा है। यह तरीका लोकतांत्रिक प्रक्रिया का दमन करता है और सेना को सबसे ऊपर रखता है। मगर यही रवैया एक बड़े संकट के लिए जमीन भी तैयार करता है। सेना के खिलाफ होने वाले प्रदर्शनों में जनता का गुस्सा फूटता है देश अपनी आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों को हल करने पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय राजनीतिक विवादों में उलझा रहता है। उनका कहना है कि पाकिस्तान को एक कानूनी, निष्पक्ष और वैध चुनावों का रास्ता चुनना होगा।
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