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भारत-चीन संघर्ष के दौरान चीन ने पाकिस्तान को हवाई रक्षा और उपग्रह सहायता प्रदान की थी. इससे पाकिस्तान को भारत की सैन्य तैनाती का पता लगाने में मदद मिली.

ऑपरेशन सिंदूर में चीन ने पाकिस्तान को सैटेलाइट सहायता दी है.(Image:PTI)
हाइलाइट्स
- चीन ने पाक को हवाई रक्षा और उपग्रह सहायता दी थी.
- भारत-चीन संघर्ष में चीन की भागीदारी अधिक थी.
- चीन ने पाक को रडार और वायु रक्षा प्रणालियों में मदद की.
नई दिल्ली. इस महीने भारत के साथ संघर्ष के दौरान चीन ने पाकिस्तान को हवाई रक्षा और उपग्रह सहायता प्रदान की थी. जिससे पता चलता है कि चीन पहले बताए गए तरीके से कहीं अधिक सीधे रूप से संघर्ष में शामिल था. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक नई दिल्ली स्थित संयुक्त युद्ध अध्ययन केंद्र के महानिदेशक अशोक कुमार ने एक साक्षात्कार में कहा कि चीन ने पाकिस्तान को अपने रडार और वायु रक्षा प्रणालियों को पुनर्गठित करने में मदद की. जिससे वह भारत की सैन्य तैनाती और हथियारों का अधिक प्रभावी ढंग से पता लगा सके.
उन्होंने कहा कि चीन ने पाकिस्तान को 22 अप्रैल को हुए पहलगाम नरसंहार तथा दोनों देशों के बीच शत्रुता शुरू होने के बीच के 15 दिनों के अंतराल के दौरान भारत पर अपने उपग्रह कवरेज को फिर से जमाने में भी मदद की थी. इस नरसंहार में 26 भारतीय पर्यटक मारे गए थे. कुमार ने नई दिल्ली स्थित समूह के मुख्यालय में कहा कि इससे उन्हें अपने वायु रक्षा रडार को फिर से तैनात करने में मदद मिली, ताकि हवाई मार्ग से हम जो भी कार्रवाई करें, उसकी जानकारी उन्हें हो.
भारत सरकार ने संघर्ष में चीन की भागीदारी के बारे में सार्वजनिक रूप से विस्तृत जानकारी नहीं दी है. जबकि पाकिस्तान ने कहा है कि उसने चीन द्वारा आपूर्ति किए गए हथियारों का इस्तेमाल किया. जबकि कुमार का आकलन अगर सही है तो संकेत मिलता है कि चीन की भागीदारी इससे भी आगे बढ़ गई. उसने इस्लामाबाद को रसद और खुफिया सहायता की पेशकश की. संयुक्त युद्ध अध्ययन केंद्र खुद को भारत के सशस्त्र बलों के एकीकरण और परिवर्तन पर केंद्रित एक स्वायत्त थिंक टैंक बताता है. इसके सलाहकार बोर्ड में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ-साथ भारत के शीर्ष सैन्य कमांडर और सेना, वायु सेना और नौसेना के प्रमुख शामिल हैं.
चीन ने सवालों का जवाब नहीं दिया
चीन के विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय ने सप्ताहांत में टिप्पणी के लिए किए गए अनुरोधों का जवाब नहीं दिया. भारत के विदेश मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, सशस्त्र बलों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय के प्रतिनिधियों ने टिप्पणी के अनुरोधों का जवाब नहीं दिया. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय और सूचना मंत्रालय ने भी रविवार को ईमेल से भेजे गए प्रश्नों का जवाब नहीं दिया. यह संघर्ष परमाणु-सशस्त्र पड़ोसियों के बीच आधी सदी में सबसे भयानक था, जिसमें दोनों पक्षों ने हवाई, ड्रोन और मिसाइल हमलों के साथ-साथ अपनी साझा सीमा पर तोपखाने और छोटे हथियारों से गोलीबारी की. यह 22 अप्रैल को हुए रक्तपात से शुरू हुआ था, जिसे भारत ने पाकिस्तान द्वारा संचालित आतंकवादी कृत्य कहा है. इस्लामाबाद के नेताओं ने इसमें शामिल होने से इनकार किया है.
Rakesh Singh is a chief sub editor with 14 years of experience in media and publication. International affairs, Politics and agriculture are area of Interest. Many articles written by Rakesh Singh published in …और पढ़ें
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