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पाकिस्तान को लेकर कहा जाता है कि वहां सेना की ही चलती है और वही लोकतंत्र के नाम पर प्रयोग करती रही है कि किसे कमान दी जाए और कौन विपक्ष में बैठे। इस बार भी पाकिस्तान में ऐसा ही होता दिख रहा है। 265 सीटों वाली पाकिस्तान की संसद के लिए हुए चुनाव में इमरान खान की पार्टी पीटीआई समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार सबसे ज्यादा 101 सीटों पर जीते हैं। इसके बाद भी वह अब विपक्ष में बैठने को तैयार है, जबकि 75 सीटें ही जीतने वाले नवाज शरीफ चौथी बार देश के पीएम बन सकते हैं। उन्हें 54 सीटें जीतने वाली पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी का भी समर्थन मिल रहा है। इसके अलावा कुछ निर्दलीय टूट भी सकते हैं।
माना जा रहा है कि नवाज शरीफ के लिए यह पूरी डील पाकिस्तानी सेना के चीफ आसिम मुनीर ने ही कराई है। पाक सेना का पूरा लक्ष्य यही है कि उसकी मुखालफत करने वाले और खुलकर उसके खिलाफ रैलियों में बोलने वाले इमरान खान वापस सत्ता में न लौटें। कहा जा रहा है कि इमरान को सत्ता से बाहर रखने के लिए ही आसिम मुनीर ने पूरी प्लानिंग की और नवाज शरीफ के लिए पीपीपी समेत कई दलों को राजी किया है कि वे समर्थन करें। यही नहीं पंजाब में पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज की ही सरकार बनने जा रही है।
पाकिस्तान में पलट रही बाजी, ‘जीते’ इमरान के वफादार टूटे; नवाज खेमा खुश
रविवार को पीपीपी और पीएमएल-एन के नेताओं की मीटिंग भीहुई। इस मीटिंग में केंद्र से लेकर राज्यों तक में सरकार बनाने पर मंथन हुआ और साझा मुद्दों पर सहमति बनी। यह मीटिंग बिलावल भुट्टो जरदारी के लाहौर आवास पर हुई। नवाज शरीफ के करीबी इरफान सिद्दीकी ने भी कहा है कि वह चौथी बार पीएम बनने जा रहे हैं, यह करीब-करीब तय हो गया है। उन्होंने कहा कि हम सबसे बड़ी पार्टी हैं और हमारे पास अधिकार है कि सरकार बनाने के लिए दावा करें। इसे लेकर अब कोई विवाद की गुंजाइश ही नहीं बची है।
नवाज शरीफ के ही सत्ता में आने की पुष्टि इमरान खान की पार्टी पीटीआई के रवैये से भी हो रही है। इमरान की जगह पार्टी की कमान संभाल रहे चेयरमैन गौहर अली खान ने संकेत दिया है कि हम अपनी विचारधारा से समझौता नहीं करेंगे। इसकी बजाय विपक्ष में ही बैठ लेंगे। उन्होंने जियो न्यूज से कहा, ‘हम अपने स्टैंड से समझौता करने की बजाय विपक्ष में ही बैठना पसंद करेंगे। एक या दो दिन के अंदर हम अपनी रणनीति को लेकर आखिरी फैसला ले लेंगे।’ दरअसल सेना के दबाव में निर्दलीयों के बिखरने का संकट और ऐसी स्थिति में इमरान खान की पार्टी को सत्ता से दूर ही रहना होगा।