Home National पानी के बिना कैसी होगी जिंदगानी? 2050 में भारत के लिए यूनाइटेड नेशंस की स्टडी में खतरनाक संकेत

पानी के बिना कैसी होगी जिंदगानी? 2050 में भारत के लिए यूनाइटेड नेशंस की स्टडी में खतरनाक संकेत

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पानी के बिना कैसी होगी जिंदगानी? 2050 में भारत के लिए यूनाइटेड नेशंस की स्टडी में खतरनाक संकेत

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पानी की समस्या से पूरी दुनिया परेशान है। भारत भी इससे अलग नहीं है। अब यूनाइटेड नेशंस की एक स्टडी आई है, जो बताती है कि भविष्य में भारत में पानी की स्थिति बहुत खराब होने वाली है। इस स्टडी के मुताबिक साल 2050 तक देश के 3700 डैम्स में पानी 26 फीसदी तक कम हो जाएगा। इसके चलते आगे चलकर कई तरह की समस्याएं सामने आ सकती हैं। इनके चलते खेती के साथ-साथ बिजली उत्पादन के लिए भी पानी की कमी पड़ सकती है।

लगातार आ रही है कमी

बता दें कि साल 2015 में सेंट्रल वॉटर कमीशन की रिपोर्ट आई थी। इसमें बताया गया था कि 50 साल से ज्यादा पुराने 141 बडे़ वॉटर रिजर्वेयर्स में से एक चौथाई पानी संग्रहण करने की क्षमता 30 फीसदी तक खो चुके हैं। एक अनुमान के मुताबिक अभी तक दुनियाभर के 50 हजार से ज्यादा वॉटर रिजर्वेयर्स पानी संग्रहण करने की क्षमता का 13 से 19 फीसदी तक खो चुके हैं। यह पानी, पर्यावरण और स्वास्थ्य पर बनी स्टडी यूनाइडटेड नेशंस यूनिवर्सिटी द्वारा की गई है। इसे पानी पर यूएन का थिंक टैंक कहा जाता है। इस स्टडी के मुताबिक 150 देशों के 47,403 बड़े डैम्स की स्टोरेज घटकर 4,665 बिलियन क्यूबिक मीटर रह जाएगी। यानी साल 2050 तक इसमें 26 फीसदी की कमी आने का अनुमान है। वॉटर स्टोरेज में 1650 बिलियन क्यूबिक मीटर की यह जो कमी आ रही है, उतना पानी भारत, चीन, इंडोनेशिया, फ्रांस और कनाडा में संयुक्त रूप से इस्तेमाल किया जाता है।

एशिया पैसिफिक क्षेत्र में भी कमी

एक अनुमान के मुताबिक साल 2022 में एशिया पैसिफिक क्षेत्र में डैम स्टोरेज में 13 फीसदी की कमी आई है। गौरतलब है कि यह क्षेत्र दुनिया में सबसे ज्यादा डैम वाला क्षेत्र माना जाता है। मध्य शताब्दी तक इसमें करीब 23 फीसदी की और कमी आएगी। इस क्षेत्र में दुनिया की करीब 60 फीसदी आबादी निवास करती है। ऐसे में पानी और खाद्य सुरक्षा के लिए यह काफी अहम है। रिपोर्ट के मुताबिक 2050 तक भारत के 3700 बड़े डैम की क्षमता 26 फीसदी तक कम हो चुकी होगी। वहीं, दुनिया में सबसे बड़े डैम वाला देश चीन के डैम भी 10 फीसदी तक अपनी क्षमता खो चुके हैं। अनुमान है कि साल 2050 तक इसमें 10 फीसदी तक और कमी आएगी। बता दें कि वॉटर स्टोरेज, विकास के लिए बेहद अहम है। बड़े डैम्स और रिजर्वेयर्स हाइड्राइलेक्ट्रिसिटी, फ्लड कंट्रोल, इरिगेशन और पीने के पानी के अहम स्रोत का काम करते हैं। ऐसे में इनकी क्षमता में कमी आना बेहद खतरनाक है।

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