Sunday, February 23, 2025
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पितृ पक्ष में कौवे को क्यों कराया जाता है भोजन, क्या है इसका महत्व, पितरों से जुड़ा है संबंध?


हाइलाइट्स

29 सितंबर से पितृ पक्ष की शुरुआत हो रही है.
14 अक्टूबर को पितृ पक्ष का समापन हो रहा है.

Pitru Paksha 2023 Importance of Crow : पितृ पक्ष की शुरुआत 29 सितंबर 2023, दिन शुक्रवार से होने वाली है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान हमारे मृत पूर्वज हमारे साथ पृथ्वी पर 15 दिन समय बिताने आते हैं. इस अवधि में उनका तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध किया जाता है, जिससे वे प्रसन्न होकर हमे सम्पन्नता और खुशहाली का आशीर्वाद प्रदान करते हैं. पितृ पक्ष में आपने अक्सर देखा होगा कि पितरों के निमित्त कौवे को भोजन कराया जाता है, जिसका इस दौरान विशेष महत्व है. क्यों कौवे को भोजन कराया जाता है, जानेंगे भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से.

माना जाता है पितरों का प्रतीक

पितृ पक्ष के दौरान कौवे को भोजन करने का विशेष महत्व बताया गया है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कौवा यम के प्रतीक के रूप में जाना जाता है. इस दौरान कौवे का होना पितरों के आस पास होने का संकेत माना जाता है. मान्यता है कि पितृपक्ष में पूरे 15 दिन कौवे को भोजन करना चाहिए.

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ना मिले कौवा तो क्या करें

कहा जाता है यदि पितृपक्ष के दौरान भोजन कराने के लिए कौवा नहीं मिलता है तो गाय या कुत्ते को भोजन कराना चाहिए. इस दौरान पीपल के पेड़ में जल चढ़ाने का विशेष महत्व बताया गया है. पीपल के वृक्ष को पितरों का प्रतीक माना जाता है, इसलिए पितृपक्ष के दौरान पीपल की पूजा अर्चना करना बेहद शुभ फलदाई माना जाता है.

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कौवे की मृत्यु के बाद क्या करते हैं साथी

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कौवा कभी भी अपनी मौत नहीं मारता, ना ही उसकी मृत्यु किसी तरह की बीमारी की चपेट में आकर होती है. बल्कि कौवे की मृत्यु अचानक ही होती है. जिस दिन झुंड का कोई भी कौवा मृत्यु लोक को प्राप्त होता है, उस दिन उसके बाकी कौवे साथी खाना नहीं खाते.

Tags: Astrology, Dharma Aastha, Pitru Paksha, Religion



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