Home Life Style पितृ पक्ष में क्यों किया जाता है कुशा का उपयोग, क्या है इसका धार्मिक महत्व, किस उंगली में की जाती है धारण?

पितृ पक्ष में क्यों किया जाता है कुशा का उपयोग, क्या है इसका धार्मिक महत्व, किस उंगली में की जाती है धारण?

0
पितृ पक्ष में क्यों किया जाता है कुशा का उपयोग, क्या है इसका धार्मिक महत्व, किस उंगली में की जाती है धारण?

[ad_1]

हाइलाइट्स

पितृ पक्ष में पितरों को कुशा की अंगूठी धारण कर तर्पण किया जाता है.
विधि-विधान से तर्पण करने पर पूर्वज प्रसन्न हो जाते हैं.

Pitru Paksha 2023 Kusha ka Mahatva : पितरों की आत्मा की शांति के लिए पितृ पक्ष में पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध किया जाता है. पितृ पक्ष की शुरुआत 29 सितंबर 2023, दिन शुक्रवार से हो रही है. पितृ पक्ष का समापन 14 अक्टूबर 2023, दिन शनिवार को हो रहा है. पितृ पक्ष में मृत पूर्वज अपनी संतान के आस-पास मौजूद रहते हैं. इस दौरान पितरों को प्रसन्न करना बहुत जरूरी है. यदि वे नाराज हो जाते हैं तो घर में पितृ दोष लग सकता है. पितरों के निमित्त श्राद्ध करते समय आपने देखा होगा जातक अपनी तीसरी उंगली में कुशा धारण करते हैं. क्या है इसके पीछे की वजह? क्यों धारण किया जाता है कुशा? जानेंगे भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से.

क्या है कुशा का धार्मिक महत्व?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृ पक्ष के 15 दिन जो संतान अपने पितरों के निमित्त पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध करते हैं, उससे उनके पूर्वज प्रसन्न होते हैं और सदा खुशहाली, सुख-शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं. ऐसा नहीं करने पर वे नाराज हो जाते हैं, जिससे पितृ दोष लगने की संभावना बढ़ जाती है.

यह भी पढ़ें – इस दिन बदलेगी राहु-केतु की चाल, 4 राशि के जातकों को मिलेगा भरपूर लाभ, ज्यादातर क्षेत्र में मिलेगी सफलता

श्राद्ध पक्ष में जब तर्पण किया जाता है तो सीधे हाथ की तीसरी उंगली में कुशा की अंगूठी बनाकर पहनी जाती है. यह अंगूठी पवित्री कहलाती है. तर्पण करते समय इस अंगूठी को धारण करना बेहद खास माना जाता है. कुशा एक पवित्र घास होती है जो शीतलता प्रदान करती है. पितरों के तर्पण के समय इसे धारण करने से पवित्रता बनी रहती है और पूर्वजों द्वारा तर्पण को पूरी तरह से स्वीकार किया जाता है.

यह भी पढ़ें – दिवाली पर भूलकर भी इस दिशा में ना जलाएं दीपक, देवी लक्ष्मी हो सकती हैं नाराज, झेलनी पड़ेगी आर्थिक तंगी

जान लें कुशा का वैज्ञानिक दृष्टिकोण

कुशा घास अत्यंत पवित्र और प्यूरीफिकेशन के गुण के साथ प्रकृति में पाई जाती है. यह घास जहां मौजूद होती है वहां का वातावरण शुद्ध और पवित्र हो जाता है, यह जिस जगह पर होती है वहां पर बैक्टीरिया स्वत: ही नष्ट हो जाते हैं. इसके अलावा यह एक बहुत अच्छे प्रिसर्वेटिव के रूप में भी जानी जाती है.

Tags: Astrology, Dharma Aastha, Pitru Paksha, Religion

[ad_2]

Source link