पीएम मोदी ने 12 अक्तूबर को उत्तराखंड के अल्मोड़ा, और पिथौरागढ़ दौरे से पहले अपनी ‘मन की बात’की है। उन्होंने उत्तराखंड के अल्मोड़ा स्थित जागेश्वर धाम पहुंचने से अपने एक डिमांड भी रखी है। पीएम मोदी की डिमांड का खास ख्याल रखा जा रहा है। पीएम मोदी की डिमांड को पूरा करने के लिए तैयारी भी की जा चुकी है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जागेश्वर धाम के इतिहास का सार सुनने की इच्छा जताई है। प्रधानमंत्री की मन की बात जानने के बाद प्रबंधन समिति ने यहां के मंदिर समूह और ज्योतिर्लिंगों के इतिहास का रोचक सार तैयार किया है। इसमें मंदिर की अद्वितीय एवं अलौकिक कलाकृति का भी वर्णन शामिल किया है।
जल्द ही यह सार प्रशासन के माध्यम से एसपीजी के पास पहुंच जाएगा। पीएम मोदी को ये सार किसी वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने सुनाना है। प्रधानमंत्री के जागेश्वर धाम आने की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। मंदिर समिति और पुजारी प्रतिनिधि मोदी की अगवानी में कोई कसर बाकी नहीं रखना चाहते।
एसपीजी के साथ बैठक के बाद मंदिर समिति ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी करीब 22 मिनट मंदिर परिसर में रहेंगे। इस दौरान उन्होंने विधि विधान से पूजन के अलावा मंदिर का इतिहास मंदिर परिसर में ही बैठकर सुनने की इच्छा जताई है।
इसके बाद पुजारियों ने गहन अध्ययन कर और स्थानीय बुजुर्गों की भी राय लेकर मंदिर के इतिहास का सार तैयार किया है। खास बात यह है कि ये सार पुजारी नहीं किसी वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने प्रधानमंत्री को सुनाना है।
मंदिर समूह की स्थापना व महत्व भी बताएंगे मंदिर के पुजारियों के मुताबिक, जागेश्वर धाम में मुख्य तौर पर शिव, विष्णु, शक्ति और सूर्य देव की पूजा होती है। दंडेश्वर मंदिर, चंडिका मंदिर, जागेश्वर मंदिर, कुबेर मंदिर, महामृत्युंजय मंदिर, नंदा देवी या नौ दुर्गा, नवग्रह मंदिर और सूर्य मंदिर यहां के प्रमुख मंदिर हैं।
पुष्टि माता और भैरव देव मंदिर का विशेष महत्व है। मंदिरों का महत्व और स्थापना की जानकारी भी प्रधानमंत्री को दी जाएगी।
दो भाषाओं में सुनाया जाएगा सार
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को यह सार संस्कृत और हिन्दी, दोनों भाषाओं में सुनाया जाएगा। पुजारियों ने उसका कुछ हिस्सा आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान’ के संवाददाता को भी बताया। प्रधानमंत्री को बताया जाएगा कि जागेश्वर धाम के उत्तर में वृद्ध जागेश्वर मंदिर और पूर्व में कोटेश्वर स्थित है।
कोटेश्वर में करोड़ों ईश्वरों के देवस्थलों के अवशेष विद्यमान हैं। धाम के पश्चिम में दण्डेश्वर मन्दिर है। दक्षिण दिशा में दानवी गतिविधियों पर नियंत्रण करने वाले झाकर सैम देव जी का मन्दिर विराजमान है। कहा जाता है कि जागेश्वर मंदिर की स्थापना कत्यूरी नरेश शालिवाहन ने की थी।
जिसे शंकराचार्य की ओर से पुन स्थापित किया गया था। बाद में चन्द राजाओं ने अपने अपने शासन काल में इसका जीर्णोद्धार किया।
ड्रेस कोड पर नहीं बनी बात
जागेश्वर धाम में पीएम मोदी के स्वागत और पूजा-अर्चना के लिए 17 पंडितों को चिह्नित किया गया है। पहले तय किया गया था कि पंडितों के लिए ड्रेस कोड लागू होगा। इसके लिए करीब 40 हजार रुपये का बजट तय किया गया था, लेकिन प्रस्ताव एवं बजट को देखते हुए ड्रेस कोड को अनुमति नहीं मिल पाई। पंडितों से कार्यक्रम में साफ-सुथरे और प्रेस किए हुए कपड़े पहनकर आने को कहा गया है।
इस मंत्र का होगा उच्चारण…
सौराष्टे सोमनाथं च श्री शैलिमल्लिकार्जुनम्
उज्जयिन्ता महाकालमोडुरममलेश्ररम्।।
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशुडुरम्।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने ।।
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्रयम्बंक गौमती तटे।
हिमालये तु केदारं धुश्मेशं च शिवालये।।
मंदिर प्रबंधन की ओर से जिला प्रशासन को जागेश्वर धाम का संक्षिप्त इतिहास और महत्व लिखित में दिया गया है। जानकारी के मुताबिक, पीएम मोदी को जागेश्वर धाम की जानकारी पढ़कर सुनाई जाएगी। यह हमारे लिए गर्व का विषय है।
ज्योत्सना पंत, प्रबंधक, मंदिर समिति, जागेश्वर