Tuesday, February 4, 2025
Google search engine
HomeWorldपुराने दांव से सेना, साथी और भारत को साधने की फिराक में...

पुराने दांव से सेना, साथी और भारत को साधने की फिराक में नवाज शरीफ, क्या है PML-N की इनसाइड प्लानिंग?


पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) के अध्यक्ष नवाज शरीफ चार साल के आत्मनिर्वासन के बाद देश लौट आए हैं। वतन वापसी के साथ ही उन्होंने लाहौर में अपना मीनार-ए-पाकिस्तान स्पीच दिया। उनके इस भाषण से पता चलता है कि उन्होंने रियरव्यू मिरर में अपने और देश के अतीत को देखने में बहुत समय बिताया है। यही वजह है कि वह साफ शब्दों में कह रहे हैं कि उनकी मंशा किसी से सियासी शत्रुता निकालने और राजनीतिक प्रतिशोध लेने की नहीं है।

73 वर्षीय शरीफ पाकिस्तान में अमन-चैन चाहते हैं ताकि संवैधानिक संस्थाएं सियासी सूरमाओं के साथ मिलकर शांतिपूर्ण ढंग से काम कर सके लेकिन क्या वह बदली सियासी और आर्थिक परिस्थितियों के मद्देनजर उस आवाम को मना सकेंगे, जिसकी आधी आबादी ने उनके परमाणु परीक्षण करने के बाद जन्म लिया है। वह पुराने दांव से सेना, साथी और पड़ोसी भारत (SSP) को साधना चाह रहे हैं।

नवाज शरीफ के भाषण की मुख्य बातें:

नवाज शरीफ के लाहौर संबोधन में तीन प्रमुख बातें उभरकर सामने आईं:

1. वह अपने या अपने परिवार के खिलाफ की गई गलतियों के  बावजूद,किसी से कोई बदला नहीं लेना चाहते हैं।

2. वह क्षेत्रीय शांति पर जोर देना जारी रखना चाहते हैं।

3. और पाकिस्तान के विकास पर अपने दृष्टिकोण को अपरिवर्तित रखना चाहते हैं।

2006 में भी देखा था ऐसा ही सपना

नि:संदेह ये सभी चीजें नवाज शरीफ को क्लासिक बनाती हैं। शरीफ इन लक्ष्यों के जरिए देश को शांति और प्रगति के पथ पर ले जाना चाहते हैं। इसके लिए वह एक बार फिर से अपने पुराने आजमाए हुए मंत्र ‘चार्टर ऑफ डेमोक्रेसी’ की ओर देख रहे हैं। साल 2006 में नवाज शरीफ और बेनजीर भुट्टो ने इस चार्टर पर दस्तखत किए थे। पाकिस्तान में लोकतंत्र की मजबूतीकरण की दिशा में इस ‘चार्टर ऑफ डेमोक्रेसी’ (COD) को एक मजबूत दस्तावेज माना जाता रहा है। 

अतीत के मतभेदों को दरकिनार करते हुए पाकिस्तान की मुख्यधारा की दो बड़ी राजनीतिक पार्टियों, पीएमएल-एन और पीपीपी ने 36 सूत्री कार्यक्रम को अपनाया था। इस चार्टर में घोषणा की गई थी कि सभी राजनीतिक प्रतिनिधि सरकारों के चुनावी जनादेश का सम्मान करेंगे और वे अतिरिक्त संवैधानिक तरीकों से एक-दूसरे को कमजोर नहीं करेंगे। चार्टर के तहत, दोनों दलों के नुमाइंदों ने प्रतिज्ञा की थी कि कोई भी पार्टी सत्ता में आने या लोकतांत्रिक सरकार को हटाने के लिए सेना का सहयोग न लेगी और न ही ऐसे समर्थन की मांग करेगी।

चार्टर रहा है सफल: चार्टर की महत्वपूर्ण विशेषताएं संवैधानिक संशोधन, आचार संहिता का पालन, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव और नागरिक-सैन्य संबंधों पर फोकस किए गए थे। यह एक विस्तृत दस्तावेज़ है, जिसमें उन सभी पहलुओं को शामिल किया गया था जो पाकिस्तान में लोकतंत्र के विकास में बाधक बन रहे थे। बाद में, जमीयत उलेमा-ए-पाकिस्तान, जम्हूरी वतन पार्टी, पाकिस्तान डेमोक्रेटिक पार्टी, जमीयत अहले हदीस और पाकिस्तान क्रिश्चियन पार्टी सहित कई दलों ने दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किए थे। इस चार्टर पर दस्तखत के बाद पाकिस्तान की राजनीति में कुछ सकारात्मक बदलाव देखने को मिले हैं। 2008 से लगातार पाकिस्तान संसद अपना कार्यकाल पूरा कर रही है।

पीपीपी को भरोसे में रखना चाह रहे शरीफ 

अब जब अगले साल जनवरी के आखिर में पाकिस्तान में आम चुनाव होने हैं, तब नवाज शरीफ की वतन वापसी हुई है। शरीफ ने लोकतंत्र की दुहाई देकर एक साथ तीन मोर्चों पर सियासी मकसद साधने की कोशिश की है। पहली कोशिश में वह डेढ़ साल गठबंधन सरकार में शामिल रही पीपीपी को भरोसे में रखकर पाकिस्तान में चुनाव लड़ना चाह रहे हैं और दूसरा, इसके जरिए नवाज सेना को स्पष्ट संदेश देना चाह रहे हैं कि बदली परिस्थितियों में सेना पुरानी गलतियों को दोहराने की कोशिश न करे।

नवाज शरीफ का मानना रहा है कि उन्हें पद से हटाने में सेना की बड़ी भूमिका रही है। लिहाजा, वह सेना को कड़ा संदेश देना चाह रहे हैं। इसके साथ ही वह यह भी संदेश दे रहे हैं कि जब तक देश में राजनीतिक स्थिरता नहीं आएगी, तब तक देश  आर्थिक मोर्चे पर मजबूत नहीं हो सकेगा। इसी आर्थिक सुदृढीकरण की वजह से नवाज शरीफ क्षेत्रीय शांति पर भी जोर दे रहे हैं। हालांकि, बुजुर्ग नवाज शरीफ के लिए सबसे बड़ी समस्या पाकिस्तानी युवाओं को साधने की है।

भारत से दोस्ती का संकेत

पाक मीडिया में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि नवाज शरीफ  भारत के साथ वाजपेयी काल जैसे संबंधों की बहाली की ओर उम्मीद लगा रहे हैं। शरीफ दो प्रमुख मुद्दों पर संभावित टकराव से बचना चाह रहे हैं। पहला वह नरेंद्र मोदी की मजबूत नेतृत्व शक्ति और इच्छाशक्ति के सामने कोई टकराव नहीं चाहते और दूसरा पाक सेना की तरफ से ऐसे कोई भड़काऊ कार्रवाई पर लगाम चाहते हैं, जो दोनों देशों के बीच संबंधों को और निचले स्तर तक ले जाए। भारत में भी अगले साल आम चुनाव होने हैं। ऐसे में शरीफ मोदी के नेतृत्व वाले भारत के साथ शांति बनाने की इच्छा रखते हैं। डॉन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नवाज शरीफ पाकिस्तान के किसी भी सैन्य प्रमुख को सेवा विस्तार देने की संभावना से भी इनकार करते हैं।

 



Source link

RELATED ARTICLES
- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments