Monday, July 8, 2024
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पूर्णिया में पप्पू यादव की रैली, 3 लाख से अधिक लोगों के आने का दावा


Purnia:

बिहार की राजनीति का बड़ा नाम राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव को कौन नहीं जानता है. पप्पू यादव 9 मार्च को अपने जन अधिकार पार्टी के बैनर तले पूर्णिया में विशाला रैली करने वाले हैं. यह रैली पूर्णिया के रंगभूमि मैदान में किया जाएगा. पार्टी के नेता इस रैली में 3 लाख से अधिक लोगों के आने का दावा कर रहे हैं. पप्पू यादव लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी पर हमला करते नजर आ रहे हैं. हालांकि पहले यह भी चर्चा थी कि पप्पू यादव की पार्टी कांग्रेस में विलय हो जाएगी, लेकिन लोकसभा चुनाव को कुछ ही महीने बचे हैं और अब तक ऐसा कुछ दिख नहीं रहा है. वहीं, पूर्णिया में रैली कर पप्पू यादव भी अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने जा रहे हैं. 

पप्पू यादव का राजनीति करियर

पप्पू यादव 5 बार लोकसभा सांसद और विधायक रह चुके हैं. उनके सियासी करियर की बात करें तो उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में राजनीति में कदम रखा था और सपा व आरजेडी में भी रह चुके हैं. 2015 में पप्पू यादव ने अपनी जन अधिकार पार्टी बनाई. किसी जमाने में पप्पू यादव आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के सबसे करीबी माने जाते थे. अटकलें तो यहां तक लगाई जा रही थी कि पप्पू यादव आरजेडी के उत्तराधिकारी भी बनाए जा सकते हैं. पप्पू यादव आरजेडी से दो बार सांसद भी रह चुके हैं, लेकिन उसी पार्टी ने उन्हें बाहर का रास्ता भी दिखा दिया. बिहार में पप्पू यादव की छवि हमेशा बाहुबली और दबंग नेता के तौर पर रही है. 

पांच बार बने सांसद

1990 में पहली बार पप्पू यादव ने मधेपुरा की सिंहेश्वर सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में विधानसभा चुनाव लड़ा. जिसके बाद 1991 में पप्पू यादव ने पूर्णिया लोकसभा सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. इस जीत के साथ ही उनका राजनीतिक कद भी बढ़ गया. इसके बाद पप्पू यादव ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार राजनीति का बड़ा चेहरा बनते चले गए.

आरजेडी ने दिखाया पार्टी से बाहर का रास्ता

निर्दलीय चुनाव लड़ने के बाद साल 1996 में सपा की सीट से उन्होंने पूर्णिया में चुनाव लड़ा और एक बार फिर जीत हासिल की. 1999 में एक बार फिर से निर्दलीय चुनाव लड़े और तीसरी बार पूर्णिया सीट से सांसद बने. इसके बाद पप्पू यादव ने आरजेडी का हाथ थामा और साल 2004 में मधेपुरा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. वहीं, 2009 में पटना हाईकोर्ट ने हत्या के आरोप में उन्हें दोषी पाते हुए चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी. जिसके बाद आरजेडी ने पप्पू यादव को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया. साल 2014 में एक बार फिर से आरजेडी ने पप्पू यादव को पार्टी में शामिल किया और उन्हें शरद यादव के खिलाफ मधेपुरा सीट से खड़ा किया. 2014 में मोदी लहर के बावजूद पप्पू यादव ने 4 बार से सांसद रहे शरद यादव को मधेपुरा सीट से हरा दिया और इस तरह से वह पांचवीं बार सांसद चुने गए.



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