Home Health पेट के बैक्टीरिया का बॉडी पर किस तरह होता है असर, एंग्जाइटी और डिप्रेशन को भी करता है कंट्रोल, दिलचस्प है कहानी

पेट के बैक्टीरिया का बॉडी पर किस तरह होता है असर, एंग्जाइटी और डिप्रेशन को भी करता है कंट्रोल, दिलचस्प है कहानी

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पेट के बैक्टीरिया का बॉडी पर किस तरह होता है असर, एंग्जाइटी और डिप्रेशन को भी करता है कंट्रोल, दिलचस्प है कहानी

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हाइलाइट्स

आंत में पाए जाने वाले बैक्टीरिया का संबंध डिप्रेशन, एंग्जाइटी और दिमाग की उस जगह से भी है जहां से भावनाएं नियंत्रित होती है.
बैक्टीरिया हमारे मेटाबोलिज्म, हमारे न्यूरॉन और यहां तक कि हमारे पूरे शारीरिक प्रक्रियाओं में भाग लेते हैं.

Gut bacteia interact with the mind: इंसान के शरीर में अरबों बैक्टीरिया पाए जाते हैं. इनमें सबसे अधिक बैक्टीरिया इंसान के पेट यानी आंत में मौजूद रहते हैं. माना जाता है कि इंसान के शरीर में 50,000 अरब से ज्यादा बैक्टीरिया पाए जाते हैं. आंत में पाए जाने के कारण आमतौर पर लोग ये सोच सकते हैं कि इन बैक्टीरिया का काम पाचन तंत्र को मजबूत करना है लेकिन पाचन तंत्र को मजबूत करने के साथ ही इन बैक्टीरिया का संबंध हमारे दिमाग हमारे हार्ट से भी गहरा जुड़ा हुआ है. यह बात एक नई स्टडी में सामने आई है.

इतना ही नहीं अध्ययन के मुताबिक आंत में पाए जाने वाले बैक्टीरिया का संबंध डिप्रेशन, एंग्जाइटी और दिमाग की उस जगह से भी है जहां से भावनाएं नियंत्रित होती है.

रिसर्च में सामने आई यह बात
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की वेबसाइट के मुताबिक यूनिवर्सिट ऑफ फ्लोरिडा में कॉलेज ऑफ मेडिसीन के प्रोफेसर ब्रूस आर स्टीवेंस ने बताया कि लोगों का सह अस्तित्व बैक्टीरिया के साथ ही जुड़ा हुआ है. समय के साथ मानव शरीर में बैक्टीरिया का बसेरा हो गया. वर्तमान में हमारे शरीर में रहने वाले बैक्टीरिया हमारे मेटाबोलिज्म, हमारे न्यूरॉन और यहां तक कि हमारे पूरे शारीरिक प्रक्रियाओं में भाग लेते हैं. उन्होंने बताया कि इंसान और इंसानी बैक्टीरिया एक मेटा ऑर्गेनिज्म की तरह है. इसलिए इसका प्रभाव भी शरीर के कई हिस्सों पर पड़ता है.

भावना और संवेदना से भी संबंध
उदाहरण के लिए एक अध्ययन में कुछ डिप्रेशन से जूझ रहे व्यक्ति की आंत से बैक्टीरिया को निकालकर चूहों में प्रवेश कराया गया तो चूहों में भी अवसाद के लक्षण दिखने लगे. चूहों का व्यवहार भी उसी तरह हो गया जिस तरह डिप्रेशन से जूझ रहे लोगों में था. यानी आंत में मौजूद बैक्टीरिया डिप्रेशन और एंग्जाइटी को प्रभावित कर सकता है. इसी तरह एक अन्य अध्ययन में जब कुछ व्यक्तियों को प्रोबायोटिक या छाछा दिया गया तो उसके दिमाग का वह हिस्सा प्रभावित हो गया जिससे भावनाओं और संवेदनाओं को प्रोत्साहन मिलता है. इस अध्ययन को यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया की प्रोफेसर डॉ. क्रिस्टेन टिलीश्च के नेतृत्व में किया गया था. चार साल बाद इन खास बैक्टीरिया का प्रोफाइल भी बना लिया गया जिनसे दिमाग में ऐसी स्थिति पैदा हुई थी.

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