
हाइलाइट्स
अध्ययन में पाया गया कि जो लोग पोस्ट कोविड परेशानियों से जूझ रहे थे, उनमें इश्चेमिक स्ट्रोक के ज्यादा मामले देखे गए.
लॉन्ग कोविड के शिकार व्यक्तियों में इंफेक्शन के बाद हेल्थ पर विपरीत असर देखने को मिला है जो काफी गंभीर है.
High Risk of Heart Disease After Covid-19: कोरोना ने पहले ही कम कहर नहीं बरपाया है और अब नई रिसर्च में चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं. रिसर्च के मुताबिक जो लोग कोरोना के कारण लॉन्ग कोविड कंडीशन के शिकार रहे थे, उन्हें दिल से संबंधित बीमारियों को खतरा कई गुना ज्यादा बढ़ गया है. सीधे शब्दों में कहें तो जो लोग कोरोना के कारण चार सप्ताह से ज्यादा दिनों तक सर्दी, जुकाम, बुखार, गले में खराश, डिप्रेशन आदि समस्याओं से जूझ रहे थे, उनमें हार्ट अटैक, स्ट्रोक और कार्डिएक अरेस्ट का खतरा ज्यादा है. अध्ययन में दावा किया गया है कि लॉन्ग कोविड वाले लोगों में हार्ट डिजीज का खतरा ज्यादा बढ़ गया है. पिछले एक दो सालों से हार्ट अटैक के मामले में जो वृद्धि हुई है, उसे इस रिसर्च से भी जोड़कर देखा जा रहा है.
अध्ययन में दावा किया गया है कि न सिर्फ हार्ट डिजीज बल्कि लॉन्ग कोविड वाले व्यक्तियों में फेफड़े से संबंधित बीमारियां, कोरोनरी आर्टरी डिजीज, हार्ट फेल्योर, अस्थमा और सीओपीओडी का भी जोखिम कई गुना बढ़ गया है. यह अध्ययन अमेरिकन सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन ने किया है.
हार्ट और फेफड़े पर बुरा असर
रिपोर्ट में कहा गया है कि पोस्ट कोविड कंडीशन अलग-अलग लोगों में अलग-अलग तरह से होता है. रिपोर्ट के मुताबिक 10 प्रतिशत से 25 प्रतिशत कोविड के मरीजों में लॉन्ग कोविड के लक्षण कई दिनों तक बरकरार रहते हैं. हालांकि इनमें अलग-अलग लक्षण होते हैं. जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन (JAMA) में 3 मार्च को प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि लॉन्ग कोविड के शिकार व्यक्तियों में इंफेक्शन के बाद हेल्थ पर विपरीत असर देखने को मिला है जो काफी गंभीर है. इनमें सिर्फ हार्ट ही कमजोर नहीं होता बल्कि फेफड़े पर भी बुरा असर पड़ा है. लॉन्ग कोविड उनमें होता है जिनमें चार सप्ताह बाद भी थकान, कफ, जोड़ों में दर्द, गला और छाती में दर्द, स्वाद और गंध में दिक्कत, सासं लेने में तकलीफ, डिप्रेश जैसी समस्या देखी गई.
पोस्ट कोविड के कारण दोगुना मौतें
अमेरिका में हुए अध्ययन में पोस्ट कोविड परेशानियों से जूझ रहे 13,435 लोगों का हेल्थ डाटा जुटाया गया. इसके साथ ही बिना कोविड वाले 26,870 लोगों के डाटा का भी विश्लेषण किया गया. अध्ययन में पाया गया कि जो लोग पोस्ट कोविड परेशानियों से जूझ रहे थे, उनमें इश्चेमिक स्ट्रोक के ज्यादा मामले देखे गए. इश्चेमिक स्ट्रोक होने पर दिमाग को ब्लड सप्लाई होने में बाधा पहुंचती है. इससे ब्रेन टिशू को ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं मिल पाता है. इस कारण कुछ ही मिनट में दिमाग की कोशिकाएं मरने लगती है. शोधकर्ताओं ने इन व्यक्तियों के हेल्थ डाटा से 12 महीनों के फॉलो अप का विश्लेषण किया. यानी 12 महीनों के दौरान इन लोगों को किन-किन स्वास्थ्य परेशानियों से गुजरनी पड़ी. विश्लेषण के आधार पर पाया गया कि पोस्ट कोविड से जूझ रहे 2.8 प्रतिशत लोग की मौत हार्ट संबंधी जटिलताओं के कारण हुई जबकि बिना कोरोना वाले ऐसे लोगों की संख्या सिर्फ 1.2 प्रतिश थी. यानी कोविड वाले लोगों की मौत दोगुना से भी ज्यादा हुई. इस तरह पोस्ट कोविड ने प्रति एक हजार व्यक्तियों पर 16.4 मौतें बढ़ा दीं. इससे पहले के भी कई अध्ययनों में कोविड से पीड़ित लोगों में हार्ट अटैक के ज्यादा मामले नोटिस किए गए थे.
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Tags: Health, Health tips, Lifestyle
FIRST PUBLISHED : March 06, 2023, 14:45 IST