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हाइलाइट्स
थर्ड ट्राइमेस्टर यानी प्रेग्नेंसी के 6 महीने बाद विटामिन डी की बहुत अधिक जरूरत पड़ती है
विटामिन डी की कमी हो जाए तो प्रेग्नेंट महिला में प्रीक्लेंप्सिया का जोखिम बढ़ जाता है.
Vitamin D deficiency in pregnancy: किसी भी महिला के लिए मां बनना दुनिया का सबसे अधिक खुशी वाला पल होता है. इससे बढ़कर किसी चीज में इतनी खुशी नहीं मिलती. मां बनना जितना खुशी वाला पल है, उतना ही चुनौतीपूर्ण भी क्योंकि नौ महीने बच्चे को पेट में पालना बहुत ही केयरिंग का काम है. इसलिए प्रेग्नेंट महिलाओं को अक्सर डॉक्टर खान-पान का विशेष ख्याल रखने को कहते हैं. खान-पान में गलती का खामियाजा न सिर्फ महिला पर बल्कि महिला के पेट में पल रहे बच्चे पर भी पड़ता है. आम इंसान से कहीं ज्यादा प्रेग्नेंट महिलाओं को पोषक तत्वों की जरूरत पड़ती है. हालांकि प्रेग्नेंसी में हर तरह के पोषक तत्वों की आवश्यकता ज्यादा होती है लेकिन विटामिन डी की सबसे ज्यादा जरूरत होती है. विटामिन डी के कारण बच्चे की हड्डियां और मांसपेशियों का विकास होता है.
एक रिसर्च के मुताबिक प्रेग्नेंसी में अगर विटामिन डी की कमी हो जाए तो मां को हाई ब्लड प्रेशर हो सकता है. वहीं पेट में पल रहे बच्चे में भी बीपी बढ़ सकता है. इसके अलावा कैल्शियम की कमी के कारण शरीर में हड्डियों और मांसपेशियों का विकास सही से नहीं हो पाता है.
प्रेग्नेंसी में विटामिन डी क्यों है जरूरी
पबमेड जर्नल के मुताबिक शरीर के लिए विटामिन डी बेहद महत्वपूर्ण पोषक तत्व है. विटामिन डी शरीर में कैल्शियम का मेटाबोलिज्म करता है. यानी अगर विटामिन डी की कमी हुई तो चाहे आप कैल्शियम वाले फूड का कितना भी सेवन करें, यह कैल्शियम शरीर को मिलेगा ही नहीं. इसलिए विटामिन डी मां और बच्चे दोनों के लिए बेहद जरूरी है. रिसर्च के मुताबिक थर्ड ट्राइमेस्टर यानी प्रेग्नेंसी के 6 महीने बाद विटामिन डी की बहुत अधिक जरूरत पड़ती है क्योंकि इस समय बच्चों की हड्डियों के विकास और अन्य तरह के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए विटामिन डी और कैल्शियम का काम बढ़ जाता है. यहां तक कि बच्चा पैदा लेने के बाद ब्रेस्टफीडिंग के समय भी विटामिन डी की आवश्यकता होती है. अगर प्रेग्नेंट महिलाओं में विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता नहीं हुई तो कई घातक नुकसान भी उठाने पड़ सकते हैं.
प्रेग्नेंसी में विटामिन डी की कमी से नुकसान
अगर प्रेग्नेंसी में विटामिन डी की कमी हो जाए तो प्रेग्नेंट महिला में प्रीक्लेंप्सिया (preeclampsia) का जोखिम बढ़ जाता है. प्रीक्लेंप्सिया प्रेग्नेंट महिलाओं में 20 सप्ताह के बाद होता है जिसमें हाई ब्लड प्रेशर हो जाता है. इसके साथ ही कैल्शियम के अवशोषण में दिक्कत होने लगती है जिसके कारण महिलाओं में बोन की क्षति होने लगती है और वजन बढ़ने लगता है. इसके साथ ही मांसपेशियों में गड़बड़ियां होने लगती है. वहीं पेट में पल रहे बच्चों पर भी विटामिन डी की कमी का बुरा असर होता है. अविकसित बच्चों में भी हाई बीपी हो जाता है. इसके साथ ही कैल्शियम की भारी कमी हो जाती है. इससे हार्ट फेल्योर भी हो सकता है. अगर बच्चा पैदा लिया तो उसमें रिकेटस की बीमारी लग सकती है. यानी हड्डियां टेढ़ी-मेढ़ी होंगी और दांतों का विकास नहीं होगा. वहीं बोन डेंसिटी बहुत कम होगी यानी हड्डियों का विकास नहीं हुआ होगा. सीधे शब्दों में कहें तो अगर प्रेग्नेंट महिलाओं में विटामिन डी की ज्याद कमी हुई तो पेट में पल रहा भ्रूण का गर्भपात भी हो सकता है.
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Tags: Health, Health tips, Lifestyle, Pregnancy
FIRST PUBLISHED : February 01, 2023, 15:52 IST
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