Monday, July 8, 2024
Google search engine
HomeHealthप्रेग्नेंसी में भूलकर भी न करें इस विटामिन की कमी को नजरअंदाज,...

प्रेग्नेंसी में भूलकर भी न करें इस विटामिन की कमी को नजरअंदाज, वरना जच्चा और बच्चा दोनों को हो सकता है नुकसान


हाइलाइट्स

विटामिन डी कैल्शियन और फॉस्फोरस के अवशोषण के लिए जरूरी है.
प्रेग्नेंसी में कैल्शियम की कमी से पेट में पल रहे बच्चे को हो सकता है नुकसान.

Vitamin D deficiency in pregnancy: डिलीवरी के समय मां और शिशु का हेल्दी होना जरूरी है. यदि प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं में विटामिन डी की कमी हो जाती है तो इससे जच्चा और बच्चा दोनों को बहुत नुकसान पहुंचा सकता है. हम सब जानते हैं कि विटामिन डी हमारे लिए बहुत जरूरी है. विटामिन डी एक तरह से सिर्फ विटामिन भर नहीं है बल्कि यह हार्मोन का भी काम करता है. विटामिन डी हड्डियों के लिए जरूरी कैल्शियम और फॉस्फोरस को अवशोषित करता है. पेट में पल रहे बच्चों के लिए विटामिन डी इस लिहाज से और भी अधिक जरूरी है. विटामिन डी शरीर में इंफ्लामेशन को कम करता है. इंफ्लामेशन के कारण कई तरह की क्रोनिक बीमारियां होती हैं. अगर प्रेग्नेंट महिलाओं को इंफ्लामेशन होगा तो उन्हें कई बीमारियों होने लगेगी जो बच्चे को भी नुकसान पहुंचा सकता है.

प्रेग्नेंसी में विटामिन डी क्यों है जरूरी

अमेरिकी पबमेड जर्नल के मुताबिक कैल्शियम की जरूरत प्रेग्नेंट महिलाओं को ज्यादा होती है क्योंकि उसके पेट में पल रहे बच्चों में हड्डियों का विकास होना जरूरी है. विटामिन डी मां और बच्चे दोनों के लिए बेहद जरूरी है. रिसर्च के मुताबिक प्रेग्नेंसी के छढे महीने बाद विटामिन डी की प्रेग्नेंट महिलाओँ में बहुत अधिक जरूरत पड़ती है क्योंकि इस समय बच्चों की हड्डियों के विकास और अन्य तरह के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए विटामिन डी और कैल्शियम का काम बढ़ जाता है. डिलीवरी के बाद भी मां को कैल्शियम की जरूरत ज्यादा होती है क्योंकि इस समय मां ब्रेस्टफीडिंग कराती है. ऐसे में अगर महिलाओं में विटामिन डी की कमी हो तो बच्चे को दूध कम मिल पाता है.

प्रेग्नेंसी में विटामिन डी की कमी से नुकसान

रिसर्च के मुताबिक अगर प्रेग्नेंसी में विटामिन डी की कमी हो जाए तो महिला में प्रीक्लेंप्सिया (preeclampsia) बीमारी हो सकती है. प्रीक्लेंप्सिया प्रेग्नेंट महिलाओं में 5 महीनों के बाद होता है. इसमें प्रेग्नेंट महिला में ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है. इससे कैल्शियम के अवशोषण में भी दिक्कत होने लगती है. इस कारण महिलाओं में बोन की क्षति होने लगती है और वजन भी बढ़ने लगता है. इस समय विटामिन डी की कमी से मांसपेशियां कमजोर होने लगती है. इससे पेट में बच्चों पर बुरा असर होता है. यहां तक कि पेट में पल रहे बच्चे का भी बीपी बढ़ सकता है. इससे हार्ट फेल्योर का खतरा भी हो सकता है. अगर बच्चा पैदा लिया तो उसमें रिकेटस की बीमारी हो सकती है. यानी हड्डियां टेढ़ी-मेढ़ी होंगी और दांतों का विकास नहीं होगा. वहीं बोन डेंसिटी बहुत कम होगी. यानी विटामिन डी की कमी से प्रेग्नेंट महिलाओं के साथ-साथ पेट में पल रहे बच्चे को भी काफी नुकसान होगा.

विटामिन डी की कमी कैसे पूरा करें

विटामिन डी को सबसे अधिक सूरज की रोशनी से प्राप्त किया जा सकता है. इसके लिए सूर्य की रोशनी में रहें. हालांकि सीमित समय तक ही सूरज की रोशनी में रहें. वहीं कुछ फूड से भी विटामिन डी को प्राप्त किया जा सकता है. टूना, सेलमन, सार्डिन जैसी ज्यादा तेल वाली मछलियों से विटामिन डी मिलता है. वहीं अंडे में भी विटामिन डी होता है. इसके अलावा यदि आप बेजिटेरियन हैं तो बादाम, सूरजमुखी के बीज, अलसी के बीज, संतरा, सोया आदि से विटामिन डी को प्राप्त कर सकते हैं.

इसे भी पढ़ें-सांसों की बीमारियों में सोने जितना असरदार है इस लकड़ी की छाल, अन्य भी कई बेमिसाल फायदे, पर दुर्लभ है पौधा

इसे भी पढ़ें-क्यों हो जाता है किडनी फेल, किसे है ज्यादा खतरा, खतरे की घंटी बजने से पहले कैसे पहचानें संकेत, जानें सब कुछ

Tags: Health, Health tips, Lifestyle



Source link

RELATED ARTICLES
- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments