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मराठा आंदोलन पर महाराष्ट्र सरकार झुकती नजर आ रही है। एक तरफ जहां राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने माफी मांग ली है, वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे प्रदर्शनकारियों की मांगों पर सहमत हो गए हैं। सीएम शिंदे ने कहा कि आज उच्च स्तरीय बैठक में मराठा समुदाय को आरक्षण देने पर चर्चा हुई। उन्होंने कहा, ‘सरकार इस दिशा में गंभीरता से काम कर रही है। मराठा समुदाय को आरक्षण मिलना चाहिए, यही सरकार का मानना है।’
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बताया कि मामले को लेकर टास्क फोर्स गठित कर दी गई है। उन्होंने कहा, ‘हमारी सरकार ने टास्क फोर्स का गठन किया है। हरीश साल्वे जैसे सीनियर वकील इसका हिस्सा हैं। हमारी सरकार इस मामले पर बड़े पैमाने पर काम कर रही है। जालना में जो कुछ भी हुआ, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे पहले मराठा समुदाय के लोग 58 विरोध-प्रदर्शन कर चुके हैं, मगर उन्होंने कभी भी और कहीं भी कानून व्यवस्था की स्थिति नहीं बिगाड़ने दी।’
शिंदे बोले- जांच रिपोर्ट के हिसाब से होगी कार्रवाई
मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा कि हाल ही में जो घटनाएं हो रही हैं, उसे लेकर कई लोग मराठा समुदाय और विरोध के बहाने राजनीति करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं उनसे राज्य को शांतिपूर्ण बनाए रखने की अपील करता हूं और यही हमारा कर्तव्य है। एएसपी का जिले से बाहर ट्रांसफर कर दिया गया है और एक अधिकारी सस्पेंड भी हुआ है। इस घटना की जांच की जा रही है। समिति की ओर से जांच रिपोर्ट आने वाली है। रिपोर्ट के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।’
शिंदे ने लाठीचार्ज पर राज्य सरकार की ओर से जताया खेद
इससे पहले, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पुलिस के लाठीचार्ज पर राज्य सरकार की ओर से खेद जताया। उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी शीर्ष अधिकारी ने पुलिस को लाठीचार्ज का आदेश नहीं दिया था। गृह विभाग का कार्यभार भी संभाल रहे फडणवीस ने कहा, ‘इस तरह के निर्णय (पुलिस बल का प्रयोग आदि) स्थानीय स्तर पर लिए जाते हैं। महाराष्ट्र सरकार कुछ दिन पहले जालना जिले में पुलिस की ओर से किए गए बल प्रयोग पर खेद व्यक्त करती है।’
मराठा आरक्षण के दौरान क्यों भड़की हिंसा
बता दें कि मराठा आरक्षण की मांग को लेकर जालना जिले के अंतरवाली सारथी गांव में भूख हड़ताल पर बैठे एक व्यक्ति को अधिकारियों ने शुक्रवार को अस्पताल में भर्ती कराने की कोशिश की। इसका प्रदर्शनकारियों ने विरोध किया और हिंसा भड़क गई थी। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े थे। इस हिंसा में 40 पुलिसकर्मियों सहित कई व्यक्ति घायल हुए थे और राज्य परिवहन की 15 से अधिक बसों में आग लगा दी गई थी।
(एजेंसी इनपुट के साथ)