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फर्जी डिग्री की बदौलत रूस, चीन, यूक्रेन जैसे देशों के मेडिकल कॉलेज में नामांकन लेने के मामले में सीबीआई की नई दिल्ली स्थिति विशेष इकाई ने इस मामले में एफआईआर दर्ज की है। इसके बाद छापेमारी के साथ ही समुचित जांच की प्रक्रिया शुरू की गयी है। सभी आरोपियों पर आपराधिक षड्यंत्र की धारा- 120बी के अलावा 420, 467, 468 और 471 तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की सुसंगत धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। मामले में 73 छात्रों के अलावा संबंधित लोकसेवकों और दलाल की भूमिका निभाने वाले कुछ बाहरी लोग समेत अन्य को अभियुक्त बनाया गया है।
ऐसे उजागर हुआ पूरा मामला
छात्रों ने विदेशों खासकर चीन, रूस, यूक्रेन, अरमेनिया, नेपाल, किर्गिस्तान जैसे देशों के अलग-अलग शहरों में मौजूद विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में फर्जी प्रमाण-पत्रों के आधार पर एडमिशन ले लिया। यहां से एमबीबीएस या एमडी की डिग्री प्राप्त करने के बाद अपने देश लौटे। यहां आकर इन्हें नेशनल बोर्ड ऑफ एक्जामिनेशन इन मेडिकल साइंस की तरफ से आयोजित फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जाम (एफएमजीई) की परीक्षा को पास करना अनिवार्य था, लेकिन ऐसे 73 छात्र इसे पास करने में फेल हो गये। इसके बाद इस पूरे मामले की जांच करने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अवर सचिव सुनील कुमार गुप्ता ने सीबीआई को लिखित आवेदन दिया। जांच के दौरान इन छात्रों का नामांकन ही फर्जी डिग्री पर होने की बात सामने आयी।
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इनके नाम फर्जीवाड़ा में
बिहार मेडिकल काउंसिल से निबंधन कराने वालों में तमिलनाडु के चीयर्स सैमुअल और विग्नेष वेलइकन्नू भी शामिल है। विशाखापटनम के गोरिया वेंटकराजा वामसी, तेलंगाना के राकेश गुदीमाला, दिल्ली के अनवर तकिम, बोकारो के मुकेश कुमार व गाजियाबाद का मनोज कुमार, बिहारशरीफ के सोहसराय के बड़ी पहाड़ी के सुधीर कुमार, हाजीपुर के बागमली का शिवली सईद, बेतिया के बरवट पसरैन का मो. जावेद आलम, पटना के पुनाईचक की सुनीता सिन्हा, पटना के कंकड़बाग का अभिनव आनंद शामिल हैं।
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