यह क्षेत्र स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र की अमेरिकी रणनीति के लिए बेहद अहम है जो चीन की महत्वाकांक्षाओं के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। भारत और इंडोनेशिया के बीच में स्थित यह दुनिया की सबसे बड़ी खाड़ी है। इसके तटीय देश बांग्लादेश, म्यांमार और श्रीलंका हैं। व्यापार, कूटनीति और सुरक्षा में इसके महत्व को देखते हुए पूर्व और पश्चिम की बड़ी-बड़ी शक्तियां- जैसे, चीन, जापान, अमेरिका और रूस- इस क्षेत्र की ओर खींची चली आ रही हैं। भारत तटीय देशों की सैन्य ताकत बढ़ा रहा है क्योंकि वह बंगाल की खाड़ी को अपने प्रभाव क्षेत्र के रूप में देखता है।
चीन की मदद से बनाया सबमरीन बेस
हालांकि क्रय शक्ति के मामले में चीन ने भारत को पीछे छोड़ दिया है। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कॉक्स बाजार में स्थित देश का पहला सबमरीन स्टेशन ‘बीएनएस शेख हसीना’ खोला है। यह ‘अत्याधुनिक’ सबमरीन बेस चीन की मदद से सितंबर 2019 में साइन किए गए एक समझौते के अनुसार बनाया गया है। यहां छह पनडुब्बी और आठ नौसैनिक पोत एक बार में बर्थ कर सकते हैं। बांग्लादेश की पीएम ने कहा कि चूंकि उनके देश के पास दो पनडुब्बियां हैं, इसलिए यह स्टेशन बांग्लादेश को अपने समुद्री संसाधनों और ‘बंगाल की खाड़ी’ से गुजरने वाले जहाजों को भी सुरक्षित रखने में मदद करेगा।
भारत को किस बात का खतरा?
चूंकि बांग्लादेश ने इस स्टेशन का निर्माण चीन की मदद से किया है इसलिए एक दिन यहां चीनी पनडुब्बियां भी डॉक कर सकती हैं। सबमरीन बेस के रखरखाव और ऑपरेशनल असिस्टेंस के लिए भी चीनी कर्मचारियों की जरूरत होगी। भारत के पूर्वी नौसेना कमान से इसकी निकटता को देखते हुए चिंता जताई जा रही है, जहां एक परमाणु पनडुब्बी का निर्माण किया जा रहा है। खतरा इस बात का है कि बंगाल की खाड़ी में बांग्लादेश की नौसेना को चीन की मदद क्षेत्र में चीनी पनडुब्बी गतिविधियों को बढ़ावा देगी और खुफिया जानकारी इकट्ठा करने के लिए एक मोर्चे के रूप में काम करेगी।