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युद्ध के दौरान अपने बचपन के हीरो, अपने दादा को खोने और होटल में शरणार्थी जीवन बिताने के दौरान पंक्चर फुटबॉल पर किक लगाता लूका, आज अपने उस सपने को पूरा करने की राह पर है, जो 2018 में अधूरा रह गया था।
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