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हर लड़की को एक समय के बाद पीरियड्स शुरू हो जाते हैं. इसका होना जरूरी भी है. लेकिन आजकल बच्चियों को कम उम्र में ही यह शुरू होने लगे हैं. अर्ली पीरियड्स होना क्या खतरनाक तो नहीं, क्या इसे टाला जा सकता है? दरअसल अ…और पढ़ें
कम उम्र में पीरियड्स शुरू होने की वजह तनाव हो सकता है (Image-Canva)
Prevent early periods in girls: जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, जिंदगी में कई पड़ाव आते हैं. बच्चे भी प्यूबर्टी के बाद जवान होने लगते हैं. एक जमाना था जब बच्चियों के पीरियड्स 12-13 साल की उम्र से शुरू हो जाते थे लेकिन अब यह बहुत छोटी उम्र में ही होने लगे हैं. यह बदलाव अचानक नहीं आया है. अगर पैरेंट्स बच्चियों के लाइफस्टाइल को सुधारें तो अर्ली पीरियड्स को टाला जा सकता है.
बच्चियों में बढ़ रहा है मोटापा
दिल्ली के सीके बिड़ला अस्पताल में डिपार्टमेंट ऑफ आब्सटैट्रिक्स एंड गाइनीकोलॉजी में प्रमुख कंसल्टेंट डॉ. त्रिप्ति रहेजा कहती हैं कि आजकल 9-10 साल की उम्र में ही बच्चियों को पीरियड्स शुरू होने लगे हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह खराब लाइफस्टाइल है जिसकी वजह से हमारे देश में ज्यादातर बच्चियां मोटापे का शिकार हैं. उनका खेलना-कूदना कम या बंद हो गया है. फैट की वजह से बॉडी में एस्ट्रोजन हार्मोन रिलीज होता है जिसकी वजह से जल्दी पीरियड्स शुरू हो जाते हैं.
जंक फूड का बढ़ता चलन
आजकल हर माता-पिता अपने बच्चे को पिज्जा, बर्गर, फ्रेंच फ्राइज जैसे जंक और प्रोसेस्ड फूड खिलाते हैं. इनमें एक BPA (Bisphenol A) नाम का केमिकल मिलता है जो प्लास्टिक से बनता है क्योंकि उनकी पैकिंग और स्टोरेज में प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है. अगर बच्चियां इस तरह की चीजों को ज्यादा खाए तो उनके शरीर में हार्मोनल चेंज होने लगते हैं. दरअसल BPA एस्ट्रोजन केमिकल की तरह दिखता है, इसका रिएक्शन भी ऐसा ही होता है जिससे बॉडी कंफ्यूज हो जाती है और पीरियड्स कम उम्र में शुरू हो जाते हैं.
दूध-सब्जी है कारण
आजकल बच्चे जो दूध पी रहे हैं, वह गाय-भैंसों से मिलता है. उन जानवरों को हार्मोन्स के इंजेक्शन लगाए जाते हैं जो बच्चियों के शरीर में आसानी से दूध पीने पर प्रवेश कर जाते हैं और उन्हें समय से पहले पीरियड्स शुरू कर देते हैं. वहीं सब्जियों में पेस्टिसाइड मिलाते हैं, जिससे यह समस्या ट्रिगर कर सकती है. आचार में हाई सोडियम और केमिकल होते हैं, वहीं मीठे में रिफाइंड शुगर इस्तेमाल होती है जो मोटापे को बढ़ाती है और हार्मोन्स को डिस्टर्ब करती है.
एडल्ट कंटेंट भी एक वजह
आजकल हर बच्चे को मोबाइल चलाना आता है. वह मोबाइल पर सोशल मीडिया या ओटीटी के जरिए ऐसी वीडियो, रील या फिल्म देखते हैं जिसमें एडल्ट कंटेंट होता है. पैरेंट्स भी इस बात से बेखबर रहते हैं कि बच्चा मोबाइल पर क्या देख रहा है. इस तरह के कंटेंट से उनकी साइकोलॉजी बदल रही है और इस वजह सेहार्मोन भी जल्दी बदल जाते हैं और अर्ली प्यूबर्टी आ जाती है.
नेल पेंट और परफ्यूम से बच्चियों को बचाएं
अक्सर बेटियां मां को देखकर मेकअप करना शुरू कर देती हैं. वह नेलपॉलिश और परफ्यूम बहुत शौक से लगाती हैं. यह सभी प्रोडक्ट कई तरह के हानिकारक केमिकल से बनते हैं जो हार्मोन्स के संतुलन को गड़बड़ा देते हैं. हालांकि स्किन के कॉन्टेक्ट में केमिकल का एब्जॉर्ब होना खाने के मुकाबले कम होता है.
बेटियों से खुलकर करें बात
मां हो या पिता, हर पैरेंट को बच्चियों की देखभाल करने के साथ उन्हें पीरियड्स के बारे में खुलकर बात करनी चाहिए. चूंकि आजकल पीरियड्स कम उम्र में होने लगे हैं इसलिए जब बेटियां 7-8 साल की हो जाएं तो उनसे इस विषय पर बात करनी चाहिए. उन्हें खेल के जरिए या कहानी सुनाकर इसके बारे में बताएं. उनसे अपना अनुभव साझा करें. इसके अलावा सैनिटरी पैड कैसे लगाते हैं, इस समय खुद की सफाई कैसे रखते हैं, हाइजीन कैसी होनी चाहिए, सब चीजों के बारे में बताना चाहिए.