
[ad_1]
हाइलाइट्स
स्टूल में होने वाले परिवर्तन से बच्चे की हेल्थ के बारे में जानकारी मिल सकती है.
स्टूल में अधिक बदलाव होने पर चिकित्सक से संपर्क करना जरूरी होता है.
Child’s Stool Reveals About His Health: बच्चों की सेहत का राज उनकी स्टूल (Stool) में छिपा होता है. सुनने में अजीब है, लेकिन सच है. बच्चे की स्टूल का रंग और शेप उसकी हेल्थ के बारे में बहुत कुछ बताता है. बच्चे के बीमार होने पर चिकित्सक भी सबसे पहले उसकी स्टूल के प्रकार के बारे में पूछते हैं. स्टूल के प्रकार से बच्चे ने क्या खाया, क्या पिया और उसकी दिनचर्या कैसी है ये सब पता लगाया जा सकता है. स्टूल हमारे द्वारा उपयोग किए जाने वाले खाने और पीने के पाचन का अंतिम चरण होता है. जब तक बच्चा मां का दूध पीता है तब तक उसके स्टूल में ज्यादा परिवर्तन नहीं आता लेकिन जब बच्चा आहार खाने लगता है तब धीरे-धीरे उसके स्टूल के टेक्स्चर और कलर में अंतर आने लगता है. बच्चे का स्टूल कब चिंताजनक हो सकता है ये जानकारी हर माता-पिता को होना बेहद जरूरी है. चलिए जानते हैं बच्चे से संबंधित बीमारी और स्टूल के बारे में
यहां जानें जरूरी बातें
द सन की रिपोर्ट के अनुसार बच्चे का स्टूल सामान्य तौर पर भूरे, पीले और हरे रंग का होता है. स्टूल का कलर यदि सफेद, लाल या काला है तो किसी बीमारी का संकेत हो सकता है. इन रंगों का मतलब ये भी है कि बच्चे ने ऐसा कुछ खाया है, जो उसे नहीं खाना चाहिए था. सफेद स्टूल मिल्क डाइट के कारण हो सकता है, या हल्का भूरा और पीला पित्त का संकेत हो सकता है. जबकि काला स्टूल पेट में खून बहने का संकेत हो सकता है. स्टूल का काला रंग मुलेठी या अंगूर खाने से भी हो सकता है.
इन बातों पर भी ध्यान देना जरूरी
बच्चे की सेहत स्टूल की फ्रीक्वेंसी पर भी निर्भर करती है. बच्चे के लिए सप्ताह में कम से कम चार बार स्टूल करना जरूरी है. यदि बच्चा नरम स्टूल करता है तो ये उसकी अच्छी सेहत का संकेत होता है. बच्चा हफ्ते में चार बार पॉटी नहीं करता तो उसे कब्ज की संभावना हो सकती है. वहीं बच्चा एक दिन में कई बार पॉटी करता है तो उसका पेट खराब हो सकता है.
ये भी पढ़ें: सर्दियों में कपड़े साफ करने के लिए आजमाएं ये ट्रिक्स, बिना पानी के भी चमक जाएंगे
कई प्रकार का होता है स्टूल
सामान्य स्टूल तीन से चार प्रकार का होता है जैसे सॉसेज के आकार का, चिकना, दरारों वाला या पतला. डायरिया होने की स्थिति में बच्चा पतले दस्त कर सकता है. जिसमें शरीर का एक्स्ट्रा पानी बाहर निकल जाता है, ऐसे में डॉक्टर से परामर्श करना जरूरी है. बच्चे को स्मूथ पॉटी हो इसके लिए खाने में फाइबर की मात्रा को बढ़ाया जा सकता है. सही ढंग से पेट साफ न होने पर बच्चे के पेट में दर्द और उसे चिड़चिड़ापन हो सकता है. बच्चे के स्टूल के रंग और बनावट से उसकी सेहत का पता लगाया जा सकता है. बच्चे को पेट से संबंधित समस्या होने पर चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
Tags: Health, Lifestyle, Parenting, Parenting tips
FIRST PUBLISHED : December 21, 2022, 07:15 IST
[ad_2]
Source link