Book Review: बाल गीत लिखना कितना कठिन है यह केवल बच्चों के कवि जानते हैं. जिन्होंने कभी बच्चों के लिए नहीं लिखा वे महसूस नहीं कर सकते कि बाल कविताएं लिखना वाकई कितना मुश्किल भरा काम है. आए दिन बालकवि दिविक रमेश इस तरह की चर्चाएं करते रहते हैं जिस पर मेरी भी सहमति है. मैंने भी बच्चों के सिद्ध कवियों के बीच रहकर देखा है कि उनकी साधना कितनी अटूट और अबाध चलती है, तब उनके भीतर से बाल गीत फूटते हैं जो बच्चों के मन में गहरी छाप छोड़ते हैं और आजीवन उन्हें याद रहते हैं.
ऐसे ही कुछ मीठे बालगीतों की एक पुस्तक ‘मुझे सिखाती मेरी नानी’ प्रभात प्रकाशन से प्रकाशित हुई है जिसकी रचनाकार हैं डॉ. भावना शेखर. बच्चों के मनोविज्ञान और मिजाज को छूती हुई आज के जमाने में बच्चों को कैसे बाल कविताओं के माध्यम से सीख और प्रेरणा दी जाए. इस तरह उन्होंने इस संग्रह में बहुत सारी बाल कविताएं सहेजी हैं. मीठी बोली, बचपन, मेरा भारत, चीं चीं, बारिश, आज को संवारो, नदी, मदारी, मुझे सिखाती मेरी नानी, सब का हिस्सा, मेरी दादी, रात की रानी, शिकारी और कबूतर, इतवार, जल है कुदरत का वरदान, प्यासा कौवा, नीला रंग, वनजीवों की रक्षा और पैसों का पेड़ जैसी कविताएं यहां पर उन्होंने संग्रहीत की हैं.
जैसा कि मैंने कहा, ये वास्तव में बड़ी मीठी बाल कविताएं हैं. स्त्री कवियों के पास जो ममता का खजाना होता है, जो मातृ बोध होता है वह तो सहज ही होता है; उसमें भी अगर कोई लेखिका अध्यापिका रही है तो उसे बच्चों की रुचियां और उनके मिजाज का पता होता है. उन्हें क्या चाहिए, किस तरह उनके लिए बाल कविताएं लिखी जाएं, कैसे उनका मन बहलाया जाए. इसमें वह प्रवीण और पटु होती हैं. अध्यापिका भावना शेखर इन बाल कविताओं में वे बचपन की बातें लिखती हैं. अपने देश के बारे में लिखती हैं. कुछ कहानियां जो अरसे से बच्चों के बीच प्रचलित हैं उन्हें फिर से छंद बद्ध करती हैं. इस तरह वे यहां पर अच्छी बाल कविताओं की प्रणेता नजर आती हैं. केवल पांच पदों में भारत पर लिखकर उन्होंने जैसे अपने देश की पूरी झांकी रच दी है. देखें–
सबसे सुंदर भारत मेरा
सबसे सुंदर देश
भांत भांत की बोली इसकी
रंग-बिरंगा भेष।
सर पर श्वेत हिमालय देखो
इसे ताज पहनाए
नीचे छल छल सागर हरदम
पैरों को नहलाये
ज्ञानेश्वर मुले के संस्मरण ‘मैं जहां-जहां चला हूं’ में कथा रिपोर्ताज की सी आभा नजर आती है- ओम निश्चल
इसी तरह भावना शेखर ने ‘बारिश’ पर केवल एक पद लिखा है. एक पद का बाल गीत और उसमें पूरी बारिश का चित्रण मन में उभर आता है:-
बारिश आई पानी बरसा
बिजली कड़की बादल गरजा
छाता लेकर पापा निकले
कोट पहनकर बच्चे दौड़े
मम्मी लाई चाय पकौड़े।
सारी बातें केवल पांच पंक्तियों में. इसी तरह ‘काल करे सो आज कर’- कबीर की इस सीख को वे बच्चों के लिए इस कविता में पिरोते हुए कहती हैं: —
बीते दिन जो खोया हमने
उसकी याद मिटाओ
हर दिन समझो पहला दिन है
सुंदर उसे बनाओ
कल का दिन किसने है दिखा
आज को गले लगाओ।
भावना शेखर ‘मदारी’ के खेल को एक बाल कविता में बड़ी ही खुबसूरती से बच्चों के सामने रखती हैं. ‘नदी’ पर कितनी खूबसूरत पंक्तियां रची हैं-
नदी हूं नदी मैं बादल की बेटी
छल छल मैं कल कल
पल-पल मैं बहती
उतरती जमीं पर उछलकर उछलकर
समतल में बहती सजग मैं संभल कर।
‘शिकारी और कबूतर’ की कहानी हम सब ने बचपन में सुनी है. इसे पढ़ते हुए मेरा बाल मन भी चकित हो उठा: —
एक शिकारी खेत में आया
दाना फेंका जाल बिछाया
दाने चुगने आए कबूतर
रह गए किंतु जाल में फंसकर।
और अंत में लिखती हैं—
चूहे उनके प्यारे यार
कुतरा सब ने मिलकर जाल
बंद कबूतर हुए आजाद
मिलकर रहना रखना याद।
ऐसे बेहतरीन गीतों के रचयिता हैं भावना शेखर. उन्होंने ‘प्यासा कौवा’ की कहानी भी लिखी है जिसे हम सब बचपन में पढ़ चुके हैं और कई बड़े कवियों की रचनाएं भी इस विषय पर हमने पढ़ी हैं. ध्यातव्य यह कि रचनाओं में उन्होंने किस सलीके से अपनी बात कही है. बल्कि बीच में सीख भी उन्होंने इस तरह से दी है कि वह लगता नहीं कि बच्चों के लिए उपदेश है. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति जिस तरह जल और पर्यावरण संरक्षण के लिए संदेश बच्चों को देना चाहती है उस संदेश पर आधारित कविताएं भी इस संग्रह में हैं. जैसे ‘जल है कुदरत का वरदान’. इसका आखिरी पद है–
आओ आज प्रतिज्ञा कर लें
कभी न जल को मलिन करेंगे
नदियां हैं हम सब की माता
माता का दुख दूर करेंगे।
बहुत अच्छी कविता है यह. लेकिन मैं लिखता तो शायद इस पद को इस तरह लिखता कि:
नदियां हैं हम सब की माएं
मांओं का दुख दूर करेंगे.
कहना न होगा कि प्रभात प्रकाशन ने बच्चों के साहित्य में मजबूती से कदम रखा है. पुस्तकों के विविध विषयों के जितने विविध आयाम हो सकते हैं, प्रभात प्रकाशन ने उसे अपने प्रकाशन का लक्ष्य माना है. ‘मुझे सिखाती मेरी नानी’ छापकर उन्होंने बच्चों के लिए एक बेहतरीन संग्रह प्रस्तुत किया है.
पुस्तकः मुझे सिखाती मेरी नानी (बाल गीत)
लेखकः भावना शेखर
प्रकाशनः प्रभात प्रकाशन
मूल्यः 150 रुपये
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Tags: Books, Hindi Literature, Hindi Writer, Literature
FIRST PUBLISHED : October 2, 2023, 12:15 IST