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PCOS यानी पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम आजकल एक कॉमन समस्या हो गई है। इसमें महिलाओं की ओवरी से मेल सेक्स हॉरमोन्स जरूरत से ज्यादा मात्रा में निकलते हैं। इस वजह से ओवरी में कई सिस्ट बन जाती हैं। इसके कई साइड इफेक्ट्स होते हैं। जैसे वजन का बढ़ना, बाल झड़ना, पीरियड्स समय पर न आना, ऐक्ने। समस्या जब गंभीर हो जाती है तो कंसीव करने में भी दिक्कत हो सकती है। पीसीओएस के इलाज के साथ लाइफस्टाइल में बदलाव भी बेहद जरूरी हैं। यहां कुछ आयुर्वेदिक उपचार भी हैं जिन्हें आजमाया जा सकता है।
जानें कमाल के 3 टिप्स
पीसीओएस की समस्या को पूरी तरह ठीक होने में दिक्कत आती है लेकिन इसके सिंपटम्स को कंट्रोल किया जा सकता है। आयुर्वेदिक डॉक्टर दीक्षा भावसार अपने इंस्टाग्राम पेज पर इसे कंट्रोल करने के 3 टिप्स बता चुकी हैं। आप इन्हें ट्राई कर सकते हैं…
1. दिन की शुरुआत कच्चे/ऑर्गैनिक शहद से करें। साथ में गुनगुना या रूम टेम्परेचर पर पानी लें। ध्यान रखें, शहद को गरम पानी में न मिलाएं वर्ना यह टॉक्सिक बन जाएगा। शहद सबसे अच्छा फैट बर्नर होता है। यह आपकी मीठा खाने की क्रेविंग को भी खत्म करता है।
2. रोस्टेड फ्लैक्स सीड्स, रोस्टेड तिल और मेथी को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। सोते वक्त इन्हें गरम पानी के साथ पिएं। इससे आपके हॉरमोन्स बैलेंस होंगे।
3. अपने रूटीन में 30 मिनट रोजाना कोई ऐक्टिविटी शामिल करें। आप सूर्य नमस्कार कर सकते हैं। खुली जगह या सूरज की रोशनी में 5 हजार कदम चलें। साइकलिंग, स्वीमिंग, दौड़ना, हाइकिंग, रस्सी कूदना, डांसिंग या कोई भी ऐक्टिविटी जो आप एंजॉय करते हों, कर सकते हैं।
एक चीज ध्यान रखें- हॉरमोनल बैलेंस या पीसीओएस के लिए वजन कम करते वक्त हमेशा स्लो एक्सरसाइज करें। इंटेंस एक्सरसाइज से कॉर्टिसॉल ज्यादा रिलीज होता है जिससे हॉरमोन्स का बैलेंस और बिगड़ सकता है। रोजाना 20 मिनट ब्रीदवर्क करें। आपके लिए कपालभाति, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी प्राणायाम, भस्त्रिका प्राणायाम।