Wednesday, December 18, 2024
Google search engine
HomeNationalबहन ने भाई को दिया बेशकीमती रक्षाबंधन गिफ्ट, जान बचाने के लिए...

बहन ने भाई को दिया बेशकीमती रक्षाबंधन गिफ्ट, जान बचाने के लिए दान कर दिया लिवर का हिस्सा


ऐप पर पढ़ें

रक्षाबंधन भाई और बहन के बीच प्यार के बंधन का त्योहार है। इस दिन एक भाई अपनी बहन को सभी बुराइयों से बचाने की कसम खाता है। मगर, मुंबई की 21 वर्षीय एक महिला ने इस पर्व पर नई मिसाल पेश की है। उसने अपने भाई की जान बचाने के लिए राखी गिफ्ट के तौर पर लिवर का एक हिस्सा दान कर दिया। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, 17 साल का राहुल ऑटोइम्यून लिवर सिरोसिस से जूझ रहा था। उसे लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत थी। ऐसे में उसकी बहन नंदिनी ने उसे रक्षाबंधन से पहले जीवन का असाधारण उपहार देने का फैसला किया।

रिपोर्ट के अनुसार, नंदिनी ने अपने भाई के इलाज के लिए लिवर का एक हिस्सा दान कर दिया। बाद में इसे नवी मुंबई में स्थित लिवर ट्रांसप्लांटेशन एंड HPB सर्जरी, मेडिकवर हॉस्पिटल्स के डायरेक्टर डॉ. विक्रम राउत के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने ट्रांसप्लांट किया। डॉ. राउत ने बताया, ‘ऑटोइम्यून लिवर संबंधी रोग है। इसमें रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली लिवर कोशिकाओं के खिलाफ काम करने लगती है। अगर शुरुआती दौर में इसका पता चल जाए तो दवाओं से इलाज किया जा सकता है। हालांकि, जब यह बाद के चरण में पहुंच जाता है तो ट्रांसप्लांट कराना पड़ता है।’

देर से हो पाई बीमारी की पहचान

डॉ. राउत ने बताया कि राहुल के मामले में देखा जाए तो इस बीमारी की पहचान देर से हो पाई। उसे बार-बार ब्लिडिंग और पीलिया जैसी समस्याएं थीं। इसे देखते हुए डॉक्टर्स ने उसे लिवर ट्रांसप्लांट कराने की सलाह दी। उन्होंने कहा, ‘राहुल की मां में HbsAg पॉजिटिव पाया गया। इसलिए उन्हें दाता के रूप में अस्वीकार कर दिया गया। इसके बाद उसकी 21 साल की बहन नंदिनी पाटिल आगे आई। नंदिनी को जांच के बाद इसके लिए योग्य पाया गया। वह भी पीछे नहीं हटी और राखी गिफ्ट के तौर पर लिवर का एक हिस्सा देने का फैसला किया।’

अस्पताल ने इलाज का खर्च भी उठाया

डॉक्टर का कहना था कि अगर राहुल के इलाज में और देरी होती तो उसकी जान जा सकती थी। हालांकि, नंदिनी का लिवर उसके भाई से पूरी तरह मेल खाता था, इसलिए उसने निडर होकर अपने भाई को बचाने के लिए दान कर दिया। यह परिवार वित्तीय परेशानियों से भी जूझ रहा था। ये लोग ट्रांसप्लांट का खर्च उठाने में असमर्थ थे। ऐसे में अस्पताल और धर्मार्थ संगठनों ने राहुल के प्रत्यारोपण का खर्च उठाने का फैसला किया। ट्रांसप्लांट के बाद नंदिनी ने कहा, ‘मेरा भाई मेरे लिए बहुत मायने रखता है। मुझे बहुत खुशी है कि मैंने उसे रक्षाबंधन पर बेशकीमती उपहार दिया। मैं अपने भाई को दूसरा जीवन देने के लिए डॉक्टरों की आभारी हूं, जो अब अपने सपनों को पूरा कर सकता है।’



Source link

RELATED ARTICLES
- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments