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Rain in Uttar-Pradesh: मौसम के रुख में हो लगातार हो रहे परिवर्तन और असामान्य बारिश ने सरकार के सामने भी चुनौती खड़ी कर दी है। इसकी वजह से शासन को सही आंकड़े नहीं मिल पा रहे हैं। इस समस्या को आजमगढ़ के उदाहरण से समझा जा सकता है। मानसून के सीजन में पिछले कुछ वर्षों से जिले में कहीं झमाझम बारिश तो कहीं सिर्फ फुहारें पड़ रही हैं। ऐसे में अब शासन ने गांव स्तर से बारिश का आंकड़ा जुटाने का प्लान तैयार किया है। ब्लाक स्तर ऑटोमैटिक रेन गेज और तहसील स्तर पर ऑटोमैटिक वेदर स्टेशन का निर्माण कराया जाएगा। इन यंत्रों के लगने के बाद ब्लाक स्तर से सभी गांवों में होने वाली बारिश का सही आंकड़ा आसानी से मिल जाएगा।
आजमगढ़ में इस बार दस सितंबर तक कुल 350 मिमी बारिश हुई है, लेकिन तहसील स्तर पर बारिश के आंकड़ों में काफी अंतर है। कहीं सौ मिमी तो कहीं इससे भी कम बारिश हुई। भारतीय मौसम विज्ञान केंद्र और जिला स्तर पर दर्ज बारिश के आकंड़ों में भी अंतर आ रहा है। पिछले तीन-चार वर्षों से यही हालात बने हुए हैं। कई स्थानों पर तो एक किलोमीटर के दायरे में भी बारिश के आंकड़ों में अंतर है। आसपास के गांवों में भी अलग-अलग ढंग से बारिश हो रही है।
ऑटोमैटिक रेन गेज और वेदर स्टेशन का निर्माण होने के बाद बारिश का सही आंकड़ा मिल सकेगा। इसके बाद शासन को जिलास्तर से ही कम बारिश और सूखाग्रस्त इलाकों के बारे में आसानी से जानकारी हो सकेगी। फिर प्रभावित किसानों को मुआवजा समेत अन्य तरह की मदद करने में काफी आसानी होगी। शासन को सूखाग्रस्त इलाकों के बारे में अलग से सर्वे कराने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। किसानों को भी काफी राहत होगी। भूगर्भ जल की स्थिति के बारे में भी जानकारी जुटाकर जल संरक्षण के लिए बेहतर प्रयास किए जा सकेंगे।
हर ब्लॉक में लगाए जाएंगे चार-चार ऑटोमैटिक रेन गेज
गांव-गांव से बारिश का आंकड़ा जुटाने के लिए ब्लाक स्तर पर चार-चार ऑटोमैटिक रेन गेज का निर्माण कराया जाएगा। इसके लिए 50 मीटर फ्री एरिया की जरूरत होगी। पांच मीटर लंबी और पांच मीटर चौड़ी जगह में इसका निर्माण होगा। शासन के आदेश पर राजस्व विभाग ऑटोमैटिक रेन गेज के लिए जमीन की तलाश करने में जुटा है।
तहसीलस्तर पर दो-दो ऑटोमैटिक वेदर स्टेशन बनेंगे
बारिश का सही आंकड़ा जुटाने के लिए तहसील स्तर पर भी दो दो-दो ऑटोमैटिक वेदर स्टेशन बनेंगे। इसके लिए दस मीटर लंबी और दस मीटर चौड़ी सौ मीटर जमीन की जरूरत होगी। आसपास आबादी, विद्युत उपकेंद्र और तार नहीं होना चाहिए। इससे बारिश के साथ ही लू और हवा के बारे में भी जानकारी मिल सकेगी। एक ऑटोमैटिक वेदर स्टेशन बनाने में करीब साढ़े तीन से चार लाख रुपये खर्च होंगे। इसके लिए भी जमीन की तलाश की जा रही है।
भारतीय मौसम विज्ञान केंद्र करेगा निगरानी
ब्लॉक स्तर पर बनने वाले ऑटोमैटिक रेन गेज और तहसील स्तर पर ऑटोमैटिक वेदर स्टेशन की भारतीय मौसम विज्ञान केंद्र से निगरानी की जाएगी। इससे जिलेस्तर से भी बारिश का सही आंकड़ा जुटाया जा सकेगा। आईएमडी और जिलास्तर के आंकड़ों में अंतर नहीं आएगा। ऐसे में सरकार को सही रिपोर्ट मिल सकेगी। इसके अलावा मंदुरी एयरपोर्ट पर आठ करोड़ की लागत से डाप्लर रडार भी लगाया जाएगा। जिससे मौसम के बारे में सटीक जानकारी मिल सकेगी।
क्या बोले विशेषज्ञ
आपदा विशेषज्ञ चंदन कुमार ने कहा कि ब्लॉक स्तर ऑटोमैटिक रेन गेज और तहसील स्तर पर ऑटोमैटिक वेदर स्टेशन का निर्माण कराया जाना है। इसके लिए जमीन की तलाश की जा रही है। शासन स्तर से मिले निर्देशों के मुताबिक आगे की कार्रवाई की जाएगी।