लखीमपुर खीरी में किसानों को कार से कुचलने के आरोपी आशीष मिश्रा की बेल की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत से जदवाब मांगा है। शीर्ष अदालत ने लखीमपुर खीरी के एडिशनल सेशन जज से कहा कि वह रिपोर्ट दाखिल कर बताएं कि इस मामले में ट्रायल कब पूरा होगा। यही नहीं शीर्ष अदालत ने यह भी पूछा है कि आखिर मिश्रा को बिना बेल के कब तक जेल में रखा जा सकता है। केस की सुनवाई कर रहे जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, ‘इस अदालत की निगरानी में हम जांच से लेकर आरोप तय होने तक पहुंच चुके हैं। इस मामले में 200 गवाह हैं, जिनके बयान दर्ज किए जाने हैं। ऐसे में यह सवाल उठता है कि कब तक बिना बेल के जेल में रखा जा सकता है।’
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, ‘एक ऐसे मामले में जिसमें एक समयसीमा के अंदर ट्रायल पूरा हो जाना चाहिए, उसमें किस स्टेज पर जाकर बेल देनी चाहिए। आखिर कब तक आरोपी को हिरासत में रखा जा सकता है? किसी भी मामले में पहले से ही कुछ भी जज नहीं करना चाहिए।’ अदालत की इस टिप्पणी पर पीड़ितों के वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि आशीष मिश्रा के केस में कुछ भी स्पेशल नहीं है। उन्होंने कहा कि जब निचली अदालत और हाई कोर्ट से आरोपी की बेल रद्द हो गई हो तो आमतौर पर ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट की ओर से दखल नहीं दिया जाता।
‘बेहद ताकतवर है आशीष मिश्रा, जेल से निकलने पर हो सकती है घटना’
दवे ने कहा कि यह ऐसा मामला नहीं है, जिसमें आरोपी के अधिकार पर विचार किया जाए। इस मामले के तीन गवाहों पर पहले ही हमले हो चुके हैं। ये वे लोग हैं, जो बेहद ताकतवर हैं। आशीष मिश्रा चाहते थे कि मैं जाऊं और आंदोलन कर रहे किसानों को सबक सिखा दूं। इस पर अदालत ने कहा कि आशीष मिश्रा हमारे ही आदेश के चलते जेल में है। इसी साल अप्रैल में जस्टिस कांत की बेंच ने आशीष मिश्रा की बेल रद्द कर दी थी, जो इलाहाबाद हाई कोर्ट से मिली थी। इसके जवाब में दवे ने कहा कि आशीष मिश्रा अब भी हिरासत में इसलिए हैं क्योंकि कानून ऐसा कहता है।
सुप्रीम कोर्ट ने बेल की अर्जी पर सुनवाई के लिए तय की तारीख
पीड़ितों के वकील ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति पहले से रची साजिश के तहत निर्दोषों का कत्ल कर सकता है तो फिर वह बेल मिलने के बाद भविष्य में किसी और घटना को भी अंजाम दे सकता है। उन्होंने कहा कि यह मामला जघन्य अपराध का है, इसलिए आशीष मिश्रा को बेल नहीं दी जानी चाहिए। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्रा की बेल वाली अर्जी पर सुनवाई के लिए 11 जनवरी की तारीख तय की है। गौरतलब है कि 3 अक्टूबर को लखीमपुर में आंदोलनकारी किसानों को कार से कुचले जाने की घटना हुई थी, जिसमें 4 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद भड़के लोगों के हमले में तीन भाजपा कार्यकर्ताओं समेत 4 अन्य लोग मारे गए थे।