Home National बिहार चुनाव से पहले ईडी और IT की पड़ने वाली है रेड… निशाने पर बड़े IAS अधिकारी या राजनेता?

बिहार चुनाव से पहले ईडी और IT की पड़ने वाली है रेड… निशाने पर बड़े IAS अधिकारी या राजनेता?

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पटना. क्या बिहार चुनाव से पहले राज्य में ईडी (ED) और इनकम टैक्स (Income Tax) का फिर से छापा पड़ने वाला है? क्या आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव से जुड़े मामले फिर से खंगाले जाएंगे? या फिर बिहार सरकार के कुछ भ्रष्ट विभागों के आईएएस अधिकारियों, इंजीनियरों और कर्मचारियों पर फिर से ईडी का डंडा चलने वाला है? बीते कुछ दिनों से बिहार के सियासी गलियारे में यह चर्चा का विषय बना हुआ है. हालांकि, बिहार में 2025 के विधानसभा चुनावों से पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर विभाग (आईटी) के छापों की कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है, लेकिन बीते कुछ सालों में चुनावी राज्यों में देखे गए पैटर्न के आधार पर ऐसी गतिविधियों की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता.

हाल के महीनों में, ईडी ने बिहार में कुछ सरकारी अधिकारियों और नेताओं, जैसे मुख्य अभियंता तारकेश्वर दास और पूर्व आरजेडी मंत्री आलोक कुमार मेहता के कई ठिकानों पर छापे मारे हैं. बीते साल राज्य के चर्चित आईएएस अधिकारी संजीव हंस की भी गिरफ्तारी हुई है. हाल के वर्षों में विपक्षी पार्टियां आरोप लगाती रही हैं कि चुनावों से पहले जांच एजेंसियों की गतिविधियां अक्सर विपक्षी नेताओं को निशाना बनाती हैं, जिसे विपक्ष राजनीतिक प्रतिशोध के रूप में देखता है. विपक्ष का दावा है कि केंद्र सरकार इन एजेंसियों का दुरुपयोग करती है, जबकि सरकार इसे कानून का पालन बताती है.

क्या बिहार चुनाव से पहले ईडी का फिर होगा एक्शन?
हालांकि बिहार में 2025 के चुनावों से ठीक पहले ईडी और आईटी छापों की कोई पुष्ट जानकारी नहीं है, लेकिन मार्च 2025 में बिहार बिल्डिंग निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता तारकेश्वर दास के आवास पर ईडी ने छापा मारा, जहां 11.64 करोड़ रुपये की नकदी बरामद हुई. यह छापा एक टेंडर घोटाले से जुड़ा था. इसी तरह, जनवरी 2025 में, पूर्व आरजेडी मंत्री आलोक कुमार मेहता से जुड़े 19 स्थानों पर छापेमारी की गई. ये कार्रवाइयां विशिष्ट मामलों से संबंधित थीं, लेकिन इनका समय चुनावों के करीब होने के कारण सवाल उठता है.

क्या इनकम टैक्स अधिकारियों और नेताओं की कुंडली खंगालेगी?
वर्तमान में, यह स्पष्ट नहीं है कि कौन से नेता या नौकरशाह निशाने पर हो सकते हैं. हालांकि, विपक्षी दलों, विशेष रूप से आरजेडी और कांग्रेस के नेताओं पर छापों की संभावना अधिक है, क्योंकि अन्य राज्यों में भी विपक्षी नेताओं को निशाना बनाया गया है. नौकरशाहों में वे अधिकारी शामिल हो सकते हैं, जो बड़े सरकारी प्रोजेक्ट्स या टेंडर प्रक्रियाओं से जुड़े हैं. ईडी सूत्रों की मानें तो कुछ बड़े अधिकारी जांच के दायरे में भी हैं. खासकर भवन निर्माण, स्वास्थ्य और पीएचईडी जैसे विभागों के टेंडर प्रक्रियाओं में जबरदस्त धांधली की चर्चा लोगों के जुबान पर है. सात निश्चय योजनाओं में धांधली की बात तो केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान कई बार उठा चुके हैं.

बीते कुछ सालों से क्या रहा है पैटर्न?
जानकार बताते हैं कि चुनावों से पहले ईडी और आईटी की गतिविधियां बढ़ना एक आम बात हो गई है. उदाहरण के लिए, 2024 में झारखंड और महाराष्ट्र के चुनावों से पहले विपक्षी नेताओं पर छापे पड़े थे. यह पैटर्न बिहार में भी दोहराया जाए तो हैरानी की बात नहीं होगी. खासकर, तब जब बिहार में हाल के दिनों में भ्रष्टाचार की आंच बिहार के कई आईएएस और आईपीएस अधिकारियों तक पहुंची है. ऐसे में राज्य सरकार और मोदी सरकार चुनावी साल में छवि को दुरुस्त करने के लिए ईडी और आईटी रेड की हरी झंडी दे तो हैरानी की बात नहीं होगी.

कुल मिलाकर बिहार चुनाव 2025 में भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा बनने जा रहा है. जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर इस मुद्दे को जोर-शोर से उठा रहे हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जो लंबे समय से सुशासन के प्रतीक के रूप में जाने जाते हैं, बिहार चुनाव से पहले अगर भ्रष्टाचार पर बड़ी कार्रवाई की छूट दे सकते हैं. सूत्रों की मानें तो स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग, शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग और पंचायती राज जैसे विभागों के टेंडर प्रक्रियाओं में गंभीर अनियमितता की शिकायत ईडी को मिली है. ऐसे में अगर आने वाले दिनों मे ईडी या इनकम टैक्स बड़ी कार्रवाई शुरू कर दे तो हैरानी नहीं होगी.



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