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बिहार में विश्वविद्यालयों की ऑनलाइन निगरानी होगी

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बिहार में विश्वविद्यालयों की ऑनलाइन निगरानी होगी

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राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने शुक्रवार को कहा कि बिहार में विश्वविद्यालयों की ऑनलाइन निगरानी होगी। राजभवन से एप के जरिए निगाह रखी जाएगी। पूर्णिया विश्वविद्यालय में सीनेट की बैठक की अध्यक्षता करते हुए राज्यपाल ने कहा कि कामकाज में पारदर्शिता होनी चाहिए। सभी विश्वविद्यालय में कामकाज में इसकी आवश्यक्ता है। राजभवन की तरफ से हमारा प्रयास है कि आज के टेक्नोलॉजी को ध्यान में रखकर एक एप का निर्माण किया जाये जिससे राजभवन सीधा अपने विश्वविद्यालय के संपर्क में रहेगा। इससे पता चलेगा कि कुलपति का कार्यालय अभी क्या कर रहा है। कुलसचिव का कार्यालय रीयल टाइम में क्या कर रहा है। परीक्षा नियंत्रक क्या कर रहे हैं। राजभवन को पता चलेगा कि विश्वविद्यालय में क्या चल रहा है। आरोप-प्रत्यारोप होता रहता है। यह गलत हो रहा है। यह ठीक नहीं हो रहा है। आपको भी पता चलेगा कि हमारे विश्वविद्यालयों में क्या हो रहा है। थोड़ा भी संशय नहीं हो। सभी शंका व आशंका को हम निरस्त करना चाहते हैं। इससे पहले पूर्णिया पहुंचने पर कुलपति प्रो. राजनाथ यादव ने मिथिला पाग पहनाकर उनका स्वागत किया।

उन्होंने कहा कि बिहार में एक लाख विद्यार्थियों पर केवल सात महाविद्यालय है, जबकि देश में औसतन एक लाख विद्यार्थियों पर 30 महाविद्यालय होना चाहिए। इस पर ध्यान देने की आवश्यक्ता है, तभी राज्य में शिक्षा का स्तर ऊंचा हो पाएगा। विश्वविद्यालय ठीक से सोचेगा तो 15 से 20 महाविद्यालय तक जाने की आवश्यकता है, तब यहां शिक्षा का स्तर बदल जायेगा। ये बातें राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने शुक्रवार को पूर्णिया विश्वविद्यालय में सीनेट की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही।

राज्यपाल ने कहा कि हमारी परीक्षाएं, बाद में इसके रिजल्ट, इवेल्यूशन, मार्कशीट इसके लिए हमारे यहां एजेंसी हैं। जब मैं बिहार आया तो मेरे मन में यही प्रश्न था कि एजेंसी की क्या जरूरत है। विश्वविद्यालय को जो करना चाहिए वह हम काम हमने आउटसोर्सिंग के लिए सोचा है। यहां के सेशन-रिजल्ट डिले हो रहे हैं। परीक्षाएं लंबित हो रही हैं। जानने का प्रयास किया तो पता चलेगा कि आउटसोर्सिंग एजेंसी हैं जो ऊंचे स्तर पर जाकर ब्लैकमेलिंग करती है। हमारे विश्वविद्यालय के कर्मचारी हैं उन्हें ट्रेंड करने की आवश्यक्ता थी। ऐसा एजेंसी जानबूझकर नहीं करती।

अनुदान का पैसा इधर से उधर नहीं होना चाहिए :

राज्यपाल ने कहा कि एडमिशन कॉलेज स्तर पर होना चाहिए। एक जिले के बच्चे को दूसरे जिला जाना पड़ रहा है। सभी विश्वविद्यालयों में इस तरह की गलत पद्धति को रोकना है। आने वाले समय में अपने-अपने स्तपर नामांकन हो तो समस्या नहीं आएगी। एक भी पैसा अनुदान का इधर से उधर नहीं होना चाहिए।

राज्यपाल ने कहा कि प्रमोशन के बारे में विषय आया है। राजभवन से सभी विश्वविद्यालयों को लिखा है कि किसी भी टीचिंग व नान टीचिंग स्टाफ का प्रमोशन करना है तो शेड्यूल बनाकर करना चाहिए। अपने मन से नहीं करें। सेवा करने वालों का समय पर प्रमोशन होना चाहिए। वर्ष में इस संबंध में दो बार बैठक कीजिए। प्रोन्नति उनका हक है, हमारी दया नहीं है। सात विश्वविद्यालयों में कुलपति नियुक्त करना था। चर्चा के दौरान पता चला कि समय पर प्रमोशन न होने के चलते कई आवेदन नहीं कर पाए।

हर साल विश्वविद्यालय में सौ शोध पत्र आना चाहिए :

विश्वविद्यालय को कॉलेज नहीं बनाएं। विश्वविद्यालय रिसर्च के लिए होता है। एक विश्वविद्यालय में हर साल में सौ शोध पत्र आना चाहिए। पीएचडी, डाक्टरेट, रिसर्च करें। इसका समाज, देश व मानवता को लाभ मिले। विश्वविद्यालय इसके लिए होता है। जब जाकर लगेगा कि विश्वविद्यालय फंक्शनल है। सीनेट के बैठक में उठाए गए विषयों को मैंने नोट किया है। सीनेट व अकेडमिक की एक और बैठक होनी चाहिए। इसको टालने की आवश्यकता नहीं है। विश्वविद्यालय का स्तर बढ़ाना हम सब की जिम्मेदारी है।

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