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MBBS Admission 2023: राज्य के मेडिकल कॉलेजों में नामांकन करा चुके एमबीबीएस कोर्स के 804 छात्रों के पंजीयन पर रोक लगा दी गई है। इनका पंजीयन अगले आदेश तक नहीं होगा। नामांकन अब पूरी तरह से अधर में लटक गया है। एमबीबीएस कोर्स में बीसीईसीई ने 30 सितंबर के बाद दाखिला लिया था। बीसीईसीई ने स्ट्रे वैकेंसी के लिए 18 अक्टूबर तक च्वॉइस फिलिंग कराया था। इसमें करीब 59 सीटें बची हुई थी। बीसीईसीई ने स्ट्रे वैकेंसी के लिए काउंसिलिंग पर रोक लगा दी है। अब नेशनल मेडिकल कमिशन (एनएमसी) से पत्र प्राप्ति के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
दूसरी तरफ छात्रों का आरोप है कि बिहार में विलंब से नामांकन की प्रक्रिया शुरू की गई थी। इससे छात्रों का कॅरियर दांव पर लग गया है। इस बाबत बीसीईसीई के ओएसडी ने अनिल कुमार ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग को बिन्दुवार जानकारी उपलब्ध करा दी गई है। सरकार ने भी एनएमसी को पत्र भेज दिया है। फिलहाल 804 नामांकित छात्रों के भविष्य पर संकट के बदल मंडरा रहा है। ओएसडी ने बताया कि पीजी नामांकन और बीडीएस में कई बार तिथि बढ़ाई पर एमबीबीएस के नामांकन की तिथि में ऐसा नहीं किया गया।
अंतिम तिथि के बाद काउंसिलिंग गलत
नेशनल मेडिकल कमिशन यानी एनएमसी के आधिकारिक आदेश में लिखा गया है कि एमबीबीएस सीटों पर प्रवेश के लिए काउंसिलिंग की अंतिम तिथि 30 सितंबर निर्धारित थी। इस तिथि के बाद हुई काउंसिलिंग एनएमसी के आदेश का उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट में भी एनएमसी ने 30 सितंबर तक नामांकन का शिड्यूल दिया है।
सरकारी डेंटल कॉलेज की 75 और निजी डेंटल कॉलेजों की 122 सीटें पर 30 सितंबर के बाद नामांकन हुआ है। एमबीबीएस व डेंटल की 144 सीटें खाली रह गयी हैं।
अपग्रेड के चक्कर में फंसे छात्र
बीसीईसीई का तर्क है कि बिहार में दाखिला समय पर शुरू हुआ। छात्र पहले च्वाइस के आधार पर दाखिला नहीं लेते हैं, हमेशा अपग्रेड के चक्कर में रहते हैं। इससे इतने छात्रों का नामांकन फंसा। हालांकि सरकार प्रयास कर रही है। इसमें कई राज्यों का मामला फंसा हुआ है।