Home Health बुजुर्गों को पार्किंसन डिजीज का खतरा ज्यादा, 5 लक्षण न करें नजरअंदाज, ऐसे रखें ख्याल

बुजुर्गों को पार्किंसन डिजीज का खतरा ज्यादा, 5 लक्षण न करें नजरअंदाज, ऐसे रखें ख्याल

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बुजुर्गों को पार्किंसन डिजीज का खतरा ज्यादा, 5 लक्षण न करें नजरअंदाज, ऐसे रखें ख्याल

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हाइलाइट्स

पार्किंसन डिजीज को दवाओं के सहारे कुछ हद तक रोका जा सकता है.
किसी भी तरह का इलाज पार्किंसन डिजीज को रिवर्स नहीं कर सकता है.

Parkinson’s Disease Symptoms & Treatment: उम्र बढ़ने के साथ लोगों को कई गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ने लगता है. 50 या 60 साल की उम्र को पार करने के बाद लोगों को ब्रेन से जुड़ी पार्किंसन डिजीज (Parkinson’s Disease) का जोखिम बढ़ जाता है. पार्किंसन ब्रेन से जुड़ी एक बीमारी है, जो ज्यादा उम्र के लोगों को बुरी तरह प्रभावित करती है. यह एक ऐसी बीमारी है, जो किसी व्यक्ति को अपना शिकार बना ले, तो जिंदगीभर इस परेशानी से जूझना पड़ता है. इसे किसी भी दवा से पूरी तरह कंट्रोल नहीं किया जा सकता है. अगर शुरुआत में ही लक्षण पहचानकर इलाज शुरू कर दिया जाए, तो यह बीमारी कुछ हद तक कंट्रोल हो सकती है. आज न्यूरोलॉजिस्ट से जानेंगे कि पार्किंसन डिजीज की वक्त रहते कैसे पहचान की जाए और इसका इलाज क्या है.

नई दिल्ली के मूलचंद हॉस्पिटल के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. नीरज कुमार के अनुसार पार्किंसन ब्रेन से जुड़ी एक प्रोग्रेसिव डिजीज है, जिसकी वजह से लोगों के ब्रेन की सेल्स डीजेनरेट होना शुरू हो जाती हैं. इस वजह से मरीज के काम करने में धीमापन आ जाता है. उनके हाथ कांपने लगते हैं और कभी भी गिरने का खतरा पैदा हो जाता है. इसके अलावा उन्हें भूलने की समस्या होने लगती है और कई बिहेवियरल इश्यूज भी हो सकते हैं. पार्किंसन डिजीज 50 से 60 साल की उम्र के बाद होने वाली डिजीज है. इसका सबसे ज्यादा असर सीनियर सिटीजन्स पर देखने को मिलता है. कम उम्र के लोगों को रेयर केसेस में ही यह बीमारी होती है. पार्किंसन एक खतरनाक बीमारी है, जो लोगों की आम जिंदगी को बुरी तरह प्रभावित करती है. इसका सही समय पर इलाज बेहद जरूरी है.

पार्किंसन डिजीज के प्रमुख लक्षण

– दैनिक काम करने में बेहद धीमापन आना
– हाथों में कंपन होना या हाथ हिलना
– अचानक बैलेंस बिगड़कर जमीन पर गिरना
– छोटी-छोटी चीजों को भी भूलने की आदत होना
– व्यवहार में तेजी से बदलाव आना

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क्या है पार्किंसन की वजह और इलाज?

डॉ. नीरज कुमार कहते हैं कि आज तक पार्किंसन डिजीज की सटीक वजह के बारे में पता नहीं चल सका है. इस बीमारी के कुछ जेनेटिक फैक्टर हो सकते हैं. इसे कई अन्य केमिकल्स से भी एसोसिएट किया जाता है, हालांकि सही वजह किसी को नहीं पता. जिन लोगों की पार्किंसन डिजीज की फैमिली हिस्ट्री होती है, उन्हें इसका खतरा अन्य लोगों की तुलना में कई गुना ज्यादा होता है. इस बीमारी का कोई बचाव नहीं है. पार्किंसन डिजीज को दवाओं के सहारे कुछ हद तक कंट्रोल किया जा सकता है. जब डिजीज ज्यादा बढ़ जाती है, तब ऑपरेशन किया जा सकता है. हालांकि इसे रोका नहीं जा सकता है और ना ही रिवर्स किया जा सकता है. यह बीमारी यंग लोगों को रेयर केसेस में ही होती है.

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पार्किंसन के मरीजों का ऐसे रखें ख्याल

– ऐसे मरीजों को हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने में मदद करें
– मरीजों को बीमारी के लक्षणों के बारे जागरूक करें
– लक्षण दिखने पर बुजुर्गों का सही समय पर इलाज कराएं
– ऐसे मरीजों को फिजिकली और मेंटली एक्टिव रहने में मदद करें
– पेशेंट्स को समय पर दवा दें और उन्हें हेल्दी खाना खिलाएं

Tags: Health, Lifestyle, Senior Citizens, Trending news

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