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जस्टिस शेषशायी ने कहा, ‘समान नागरिकों वाले देश में छुआछूत को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। भले ही इसे ‘सनातन धर्म’ के सिद्धांतों के भीतर कहीं न कहीं अनुमति के तौर पर देखा जाता है।’
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जस्टिस शेषशायी ने कहा, ‘समान नागरिकों वाले देश में छुआछूत को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। भले ही इसे ‘सनातन धर्म’ के सिद्धांतों के भीतर कहीं न कहीं अनुमति के तौर पर देखा जाता है।’
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