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Brahmos Cruise Missile: पहलगाम टेरर अटैक के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च कर न केवल पाकिस्तान को उसकी औकात बताई, बल्कि पूरी दुनिया को अपनी ताकत भी दिखाई. आज के दिन ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल का नाम हर किसी की जु…और पढ़ें

राफेल फाइटर जेट बनाने वाली फ्रांस की डिफेंस कंपनी दसॉल्ट ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल के कॉम्बिनेशन के लिए तैयार हो गई है. (फोटो: पीटीआई)
हाइलाइट्स
- ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल के प्रचंड प्रहार से पाकिस्तान की हालत खराब हो गई
- कई देशों ने ब्रह्मोस खरीदने की इच्छा जताई है, डिफेंस एक्सपोर्ट को बढ़ावा
- अब दुनिया की सबसे खतरनाक मिसाइल में से एक ब्रह्मोस राफेल में भी फिट होगी
नई दिल्ली. पहलगाम में पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों के नरसंहार के बाद भारत ने दोषियों को मिट्टी में मिलाने की बात कही थी. 22 अप्रैल की वीभत्स घटना का बदला लेने और आतंकवादियों के साथ ही उनको संरक्षण देने वाले उनके आका को सबक सिखाने के लिए भारतीय फौज ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया. भारत के रणबांकुरों ने 30 मिनट से भी कम के समय में पीओके और पाकिस्तान में स्थित आतंकवादियों के अड्डों को मिट्टी में मिला दिया. इसके बाद पाकिस्तान ने इंडियन मिलिट्री, एयरबेस और सिविलियन इलाकों को टारगेट करने का प्रयास किया था. इंडियन एयरफोर्स ने जवाबी एक्शन में पाकिस्तान के 11 एयरबेस को तबाह कर दिया. भारत ने पहली बार ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल का इस्तेमाल किया. सुखोई-30 फाइटर जेट के जरिये ब्रह्मोस मिसाइल से अटैक किया गया. भारत के प्रचंड प्रहार से पाकिस्तान तो घुटनों पर आ ही गया, दुनिया भी भौंचक्की रह गई. अब इसी ब्रह्मोस मिसाइल को लेकर बड़ी खबर सामने आई है, जिससे दुश्मनों का दहलना नैचुरल है.
दुश्मनों का महाकाल
ब्रह्मोस मिसाइल की रेंज 290 से 450 किलोमीटर है. (पीटीआई)
ब्रह्मोस-NG और राफेल की जोड़ी
जानकारी के अनुसार, राफेल की निर्माता कंपनी दसॉल्ट के साथ इस फाइटर जेट में ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल को इंटिग्रेट करने पर सहमति बन गई है. इसके बाद भविष्य में अब राफेल जेट में ब्रह्मोस-NG को फिट किया जा सकेगा. ब्रह्मोस-NG का मतलब ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल का नेक्स्ट जेनरेशन वैरिएंट है. यह वैरिएंट फिलहाल डेवलपिंग फेज में है. साल 2025 के अंत में या फिर 2026 के शुरुआती महीनों में इस प्रोजेक्ट को पूरा कर लेने की संभावना है. DRDO की ओर से डेवलप किए जा रहे ब्रह्मोस-NG के ऑपरेशन के लिए फिट होने के बाद राफेल के साथ इसे इंटिग्रेट करने का काम शुरू कर दिया जाएगा.
ऑपरेशन सिंदूर में खली थी कमी
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान पर ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल से अटैक किया गया था. एयरफोर्स ने इसके लिए सुखोई-30 लड़ाकू विमान का इस्तेमाल किया था. यदि राफेल जेट ब्रह्मोस को ले जाने में सक्षम होता तो दुश्मन को और गहरा जख्म दिया जा सकता था. अब राफेल और ब्रह्मोस-NG के इंटिग्रेशन के काम में और तेजी आने की संभावना है. बता दें कि ब्रह्मोस-NG पहले के मुकाबला कम वजनी, स्लीक और ज्यादा घातक है. कम वजन के चलते फाइटर जेट में ज्यादा संख्या में मिसाइल को ले जाना संभव हो सकेगा. एयरफोर्स ने डीआरडीओ को 400 ब्रह्मोस-NG मिसाइल का ऑर्डर दिया है. इसका कुल मूल्य तकरीबन 8000 करोड़ रुपये है.

बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु…और पढ़ें
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