Home Health ब्रेन की इस बीमारी से जूझ रहे बिल गेट्स ! बेटी ने पॉडकास्ट में किया खुलासा, जानें इसके लक्षण और ट्रीटमेंट

ब्रेन की इस बीमारी से जूझ रहे बिल गेट्स ! बेटी ने पॉडकास्ट में किया खुलासा, जानें इसके लक्षण और ट्रीटमेंट

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ब्रेन की इस बीमारी से जूझ रहे बिल गेट्स ! बेटी ने पॉडकास्ट में किया खुलासा, जानें इसके लक्षण और ट्रीटमेंट

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Asperger’s syndrome: अमेरिकन बिजनेसमैन बिल गेट्स एस्पर्जर सिंड्रोम से जूझ रहे हैं. इसका खुलासा उनकी बेटी फोएबे गेट्स ने एक पॉडकास्ट में किया है. यह सिंड्रोम ऑटिज्म से जुड़ा हुआ है और इसके कारण मेंटल हेल्थ प्रभा…और पढ़ें

ब्रेन की इस बीमारी से जूझ रहे बिल गेट्स ! बेटी ने पॉडकास्ट में किया खुलासा

अमेरिकन बिजनेसमैन बिल गेट्स एस्पर्जर सिंड्रोम से जूझ रहे हैं.

हाइलाइट्स

  • माइक्रोसॉफ्ट के को-फाउंडर बिल गेट्स एस्पर्जर सिंड्रोम से जूझ रहे हैं.
  • रिसर्च के अनुसार एस्पर्जर सिंड्रोम ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर से जुड़ा है.
  • इसका इलाज बिहेवियरल थेरेपी और सोशल स्किल डेवलपमेंट से होता है.

Bill Gates Asperger’s Syndrome: माइक्रोसॉफ्ट के को-फाउंडर और अमेरिकन बिजनेस टाइकून बिल गेट्स को लेकर एक बड़ी जानकारी सामने आई है. उनकी बेटी फोएबे गेट्स ने अपने पॉडकास्ट Call Her Daddy में खुलासा किया है कि बिल गेट्स एस्पर्जर सिंड्रोम (Asperger’s Syndrome) से जूझ रहे हैं. बिल गेट्स ने भी अपनी नई किताब में बताया था कि अगर वे आज के समय में बड़े हो रहे होते, तो ऑटिज्म डायग्नोज किया जाता. किताब में लिखा है कि वे बचपन में वह सामाजिक संकेतों को समझने में कठिनाई महसूस करते थे और कुछ विषयों में हद से ज्यादा रुचि रखते थे. वे अब भी कभी-कभी अपने पैरों को हिलाते हैं. आज आपको बता रहे हैं कि एस्पर्जर सिंड्रोम क्या है और इससे सेहत किस तरह प्रभावित होती है.

वेबएमडी की रिपोर्ट के मुताबिक एस्पर्जर सिंड्रोम एक न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर है, जो अब आमतौर पर ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) से जुड़ा माना जाता है. एस्पर्जर सिंड्रोम आमतौर पर बचपन में ही सामने आता है, लेकिन इसके लक्षण स्पष्ट रूप से तब दिखाई देने लगते हैं जब बच्चा 3 से 9 साल की उम्र के बीच होता है. इस सिंड्रोम से पीड़ित बच्चे खुद को सामाजिक एक्टिविटीज से जोड़ नहीं पाते हैं और एक फिक्स रूटीन फॉलो करते हैं. इस डिसऑर्डर के कारण लोग दूसरे लोगों से बातचीत करने और इमोशनल एक्सप्रेशन में पीछे रह जाते हैं. ऐसे लोगों का IQ अच्छा होता है, लेकिन वे अलग-थलग महसूस करते हैं.

एस्पर्जर सिंड्रोम के लक्षणों की बात करें, तो इससे जूझ रहे लोगों को सामाजिक संकेतों को समझने में कठिनाई, आंखों से संपर्क न करना, एकतरफा बातचीत, किसी एक विषय में अत्यधिक रुचि, दिनचर्या में बदलाव पसंद न आना और दोहराए जाने वाले व्यवहार शामिल होते हैं. ऐसे बच्चे अक्सर दूसरों से अलग-थलग दिखते हैं और दोस्त बनाने में मुश्किल महसूस करते हैं. हालांकि इसमें लैंग्वेज डेवलपमेंट सामान्य होता है, फिर भी उनके बोलने का तरीका असामान्य या मोनोटोन हो सकता है.

एस्पर्जर सिंड्रोम के कारणों का अभी तक सटीक पता नहीं लगाया जा सका है. हालांकि एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह जेनेटिक और एनवायरनमेंटल फैक्टर्स के कॉम्बिनेशन से हो सकता है. कुछ रिसर्च में यह देखा गया है कि कि एस्पर्जर से प्रभावित लोगों के परिवार में न्यूरोडेवलपमेंटल या मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं ज्यादा होती हैं. गर्भावस्था के दौरान संक्रमण, गर्भ में मस्तिष्क के विकास में गड़बड़ी या जन्म के समय ऑक्सीजन की कमी भी इस सिंड्रोक के संभावित कारण हो सकते हैं.

एस्पर्जर सिंड्रोम के ट्रीटमेंट की बात करें, तो एस्पर्जर का कोई सटीक इलाज नहीं है, लेकिन इसे बिहेवियरल थेरेपी, सोशल स्किल डेवलपमेंट कार्यक्रम, स्पीच थेरेपी और कभी-कभी दवाओं से मैनेज किया जाता है. कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT) से बच्चों को अपनी भावनाओं और व्यवहार को समझने और नियंत्रित करने में मदद मिलती है. साथ ही स्कूल और परिवार की मदद से भी बहुत सुधार संभव होता है. यह एक आनुवांशिक और न्यूरोलॉजिकल स्थिति है, इसलिए इसे पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता है. हालांकि गर्भावस्था के दौरान अच्छा खान-पान, इंफेक्शन से बचाव और मेंटल हेल्थ का ध्यान रखने से एस्पर्जर सिंड्रोम का रिस्क कम किया जा सकता है.

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