Monday, July 8, 2024
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भगवान राम को 14 वर्ष का ही वनवास क्यों? कैकेयी को ऋषि दुर्वासा ने दिया था वरदान, पढ़ें पौराणिक कथा


हाइलाइट्स

रामायण में भगवान राम को 14 वर्षों का वनवास भोगना पड़ा था.
महाभारत में पांडवों को 13 वर्ष का वनवास और 1 वर्ष का अज्ञातवास झेलना पड़ा था.

Ramayana Story : हिंदू धर्म में रामायण को बहुत ही पवित्र ग्रंथ माना जाता है. रामायण में भगवान राम के जीवन का उल्लेख मिलता है. रामायण का सार तो सभी लोग जानते हैं, लेकिन रामायण में कई ऐसी कहानियां हैं. जिनके बारे में बहुत ही कम लोगों को मालूम है. इन्हीं कहानियों में से एक कहानी है राजा दशरथ की पत्नी कैकेयी को वरदान मिलने से जुड़ी. इस वरदान के कारण ही कैकेयी ने प्रभु राम को 14 साल के वनवास पर भेजा था. कैकेयी अपने बेटे भरत से बहुत ज्यादा प्रेम करती थी. उन्हें राम से बहुत सी आशाएं भी थीं, फिर सवाल यह उठता है कि आखिर उन्होंने क्यों राम को 14 वर्षों के वनवास पर भेजा. भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु विशेषज्ञ पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा कैकेयी को मिले इस वरदान के बारे में बता रहे हैं.

युद्ध में घायल हो गए थे दशरथ

राजा दशरथ के विवाह के पहले कैकेयी महर्षि दुर्वासा की सेवा किया करती थीं. कैकेयी की सेवा से प्रसन्न होकर महर्षि दुर्वासा ने कैकेयी का एक हाथ वज्र का बना दिया था और आशीर्वाद दिया था कि भविष्य में भगवान तुम्हारी गोद में खेलेंगे. समय बीतता गया और कैकेयी का विवाह राजा दशरथ के साथ हुआ. कई सालों के बाद स्वर्ग में देवासुर संग्राम प्रारंभ हो गया. देवराज इंद्र ने राजा दशरथ को सहायता के लिए बुलाया. रानी कैकेयी भी महाराज की रक्षा के लिए सारथी बनकर देवासुर संग्राम में पहुंची थी. युद्ध के दौरान महाराज दशरथ के रथ के पहिए की कील निकल गई, और रथ लड़खड़ाने लगा, ऐसे में कैकेयी ने कील की जगह अपनी उंगली लगा दी और महाराज की जान बचा ली.

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राजा दशरथ, कैकेयी के युद्ध भूमि में साहस से बहुत प्रसन्न हुए और उन्हें तीन वरदान मांगने के लिए कहा कैकई ने उस समय प्रेमवश कह दिया कि इसकी जरूरत नहीं है. अगर कभी जरूरत होगी तो मांग लूंगी. कैकई ने राजा दशरथ को इसी वरदान के जाल में फंसा लिया और राम के लिए 14 वर्ष का वनवास मांग लिया, लेकिन राम के लिए कैकेयी ने 14 वर्ष का वनवास ही क्यों मांगा. इसके पीछे कई अनेक राज हैं.

14 वर्षों का ही वनवास क्यों ?

कैकेयी ने ही भगवान राम के लिए 14 वर्ष का वनवास मानकर यह समझाया कि व्यक्ति युवावस्था में अपनी 14 यानी पांच ज्ञानेंद्रियां, पांच कर्मेंद्रियां और मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार को बस में रखेगा तभी अपने अंदर के घमंड और रावण को मार पाएगा.

कैकेयी को था राम पर भरोसा

जिस समय ये घटना अयोध्या में घट रही थी उस समय रावण की आयु में केवल 14 वर्ष ही शेष बचे थे. यह बात कैकेयी जानती थी. यह घटना तो अयोध्या में घट रही थी, लेकिन इसकी योजना देवलोक में बनी थी. कैकेयी को राम पर भरोसा था, लेकिन दशरथ को नहीं, क्योंकि वह राम के साथ पुत्र मोह में बंधे हुए थे.

भगवान राम ने की थी योजना तैयारी

भगवान राम, श्री हरि विष्णु के अवतार थे. यह सारी योजना उन्हीं की बनाई हुई थी. इस योजना में भगवान राम ने सरस्वती से मंथरा की मती में अपनी योजना डलवाई. मंथरा ने कैकेयी को वही सब सुनाया और समझाया. जो सरस्वती करवाना चाहती थीं. इसके सूत्रधार स्वयं भगवान, श्री हरी विष्णु थे. उन्होंने ही यह योजना तैयार की थी.

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राम से यह चाहती थीं कैकेयी

कैकेयी यह जानती थीं कि यदि राम अयोध्या के राजा बन गए, तो रावण का वध नहीं होगा. इसके लिए वन में तप करना जरूरी था. कैकेयी चाहती थी, कि राम केवल अयोध्या के ही सम्राट ना बने रह जाएं. वह विश्व के समस्त प्राणियों के हृदय के सम्राट बनें. इसके लिए राम को अपनी समस्त शोधित इंद्रियों और अंतः करण को तप के द्वारा सिद्ध करना होगा.

शनि की चाल से 14 साल

रामायण और महाभारत दोनों में ही 14 वर्ष के वनवास की बात सामने आती है. रामायण में भगवान राम को 14 वर्षों का वनवास भोगना पड़ा था. जबकि महाभारत में पांडवों को 13 वर्ष का वनवास और 1 वर्ष का अज्ञातवास झेलना पड़ा था. इसके पीछे ग्रह गोचर भी मायने रखते हैं. उन दिनों मनुष्य की आयु आज के जमाने से काफी ज्यादा हुआ करती थी. इसलिए ग्रहों की दशा भी ज्यादा होती थी. शनि चालीसा में उल्लेख मिलता है, ‘राज मिलत बन रामहि दीन्हा। कैकइहूं की मति हरि लीन्हा।।’ यानी शनि की दशा के कारण कैकेयी की मति मारी गई और भगवान राम को शनि के समय अवधि में वन-वन भटकना पड़ा. उसी समय रावण पर भी शनि की दशा आई और वह राम के हाथों मारा गया. शनि ने अपनी दशा में 1 को कीर्ति दिलाई और दूसरे को मुक्ति.

Tags: Dharma Aastha, Lord Ram, Ramayana



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