Lord Shiva Stories: सनातन परंपरा में पौराणिक कथाओं का अहम स्थान है. इन कथाओं के जरिये हिंदू धर्म के अनुयायियों को देवी-देवताओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाती रही है. इन्हीं पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि श्रीराम की बहन शांता थी. उनके पति श्रृंगी ऋषि थे. वहीं, श्रीकृष्ण की बहन सुभद्रा, एकांगा और महामाया थीं. शिवजी के पुत्र गणेशजी की बहन अशोक सुंदरी, जया, विषहर, दोतलि और शामिलबारी थीं. सूर्यदेव की उपासना करने से उनकी बहन छठ मैया के प्रसन्न होने की कहानी भी खूब सुनाई जाती है.
यमराज की बहन यमुना जी हैं. कहा जाता है कि अगर बहन भाई दूज पर यमुना नदी में खड़े होकर भाई की पूजा करे तो वह दीर्घायु होता है. पौराणिक कथाओं में कई अन्य देवताओं की बहनों का जिक्र भी किया गया है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि भगवान शंकर की बहन कौन थीं? शिवजी की बहन की उत्पत्ति कैसे और क्यों हुई थी? वहीं, भगवान शंकर की बहन की माता पार्वती से झगड़ा होने का जिक्र भी कुछ कथाओं में आता है? क्या आप जानते हैं कि दोनों में किस बात पर झगड़ा हुआ था?
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पार्वतीजी क्यों चाहती थीं, उनके हो एक ननद
भगवान शिव की बहन के बारे में सवाल पूछे जाने पर ज्यादातर लोग यही कहेंगे कि शंकरजी तो अजन्में और अनादि हैं. लिहाजा उनकी कोई बहन कैसे हो सकती हैं? तो आज हम आपको सुनाते हैं भगवान शिव की बहन की उत्पत्ति की कहानी. पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने अपनी एक बहन को माता पार्वती की इच्छा पर उत्पन्न किया था. दरअसल, माता पार्वती की इच्छा थी कि उनकी भी एक ननद होती तो उनका मन लगा रहता. चूंकि, भगवान शिव अजन्मे थे, इसलिए उनकी कोई बहन नहीं थी. ऐसे में माता पार्वती मन की बात मन में रख कर बैठ गईं.
क्यों और कैसे उत्पन्न हुईं शिवजी की बहन
भगवान शिव ने देवी पार्वती के मन की बात जान ली. उन्होंने पूछा कि क्या आपको कोई समस्या है देवी? इस पर पार्वती जी ने कहा कि काश उनकी भी कोई ननद होती. इस पर भगवान शिव ने कहा कि मैं तुम्हें ननद तो लाकर दे दूं, लेकिन क्या ननद के साथ आपकी बन पाएगी. पार्वती जी ने कहा कि आखिर मेरी अपनी ननद से क्यों नहीं बनेगी? भगवान शिव ने कहा कि तो ठीक है देवी, मैं तुम्हें एक ननद लाकर दे देता हूं. उन्होंने अपनी माया से एक देवी को उत्पन्न कर दिया. यह देवी बहुत ही मोटी थीं. उनके पैरों में दरारें भी पड़ी हुई थीं.
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क्या था भगवान शंकर की बहन का नाम
शिवजी ने पार्वती जी से कहा कि यह लो तुम्हारी ननद आ गई. इनका नाम असावरी देवी है. देवी पार्वती अपनी ननद को देखकर बहुत खुश हुईं. उहोंने तुरंत अपनी ननद देवी असावरी के लिए भोजन बनाने लगीं. असावरी देवी स्नान करके आईं और भोजन मांगने लगीं. देवी पार्वती ने भोजन परोस दिया. जब असावरी देवी ने खाना शुरू किया, तो पार्वती जी के भंडार में रखा सारा भोजन खा गईं. उन्होंने महादेव के लिए भी कुछ नहीं छोड़ा. इससे पार्वती जी दुखी हो गईं.
क्यों हुआ पार्वतीजी-देवी असावरी में झगड़ा
देवी पार्वती ने इसके बाद जब ननद को पहनने के लिए नए वस्त्र दिए, तो मोटी असावरी देवी के लिए वे छोटे पड़ गए. फिर पार्वती जी उनके लिए दूसरे वस्त्रों का इंतजाम करने लगीं. इस बीच ननद असावरी देवी को अचानक मजाक सूझा और उन्होंने अपने पैरों की दरारों में पार्वती जी को छुपा लिया. इस पर पार्वती जी का दम घुटने लगा. महादेव ने जब असावरी देवी से पार्वती के बारे में पूछा तो उन्होंने झूठ बोल दिया. जब शिवजी ने दोबारा पूछा तो असावरी देवी हंसने लगीं और जमीन पर पांव पटक दिया. इससे पैर की दरारों में दबी देवी पार्वती बाहर आ गिरीं. इसके बाद पार्वती जी ने महादेव से कहा कि इनका विवाह कर विदा करने की जल्द से जल्द तैयारी करें.
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FIRST PUBLISHED : July 24, 2023, 21:09 IST