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Datura Plant Benefits: धतूरा एक औषधीय पौधा है जिसका उपयोग आयुर्वेद में होता है. आयुर्वेदिक डॉक्टर नरेंद्र कुमार के अनुसार, यह दर्द निवारक और एंटी-इंफ्लेमेटरी है. धार्मिक दृष्टि से भगवान शिव को प्रिय है.
धार्मिक दृष्टि से धतूरा भगवान शिव को अत्यंत प्रिय माना जाता है
जयपुर. प्रकृति में ऐसे अनेकों पेड़ पौधे पाए जाते हैं जो आयुर्वेद और हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण है. बहुत से वनस्पति का उपयोग तो हमारी दादी नानिया पुराने समय में बीमारी भगाओं नुस्खों में करती थी. ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी इनका उपयोग होता आ रहा है. ऐसा ही एक पौधा है धतूरा. यह एक औषधीय पौधा है जो आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा के लिए बहुत उपयोगी है. इस पौधे के पत्ते, बीज, फूल और जड़ों का उपयोग रोगों के इलाज के लिए किया जाता है.
आयुर्वेदिक डॉक्टर नरेंद्र कुमार ने बताया कि धतूरा दर्द निवारक, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-स्पास्मोडिक गुणों से भरपूर होता है. धार्मिक दृष्टि से धतूरा भगवान शिव को अत्यंत प्रिय माना जाता है और इसे शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है. धर्म विशेषज्ञ चंद्रप्रकाश ढांढण ने बताया कि कई तांत्रिक अनुष्ठानों में भी इसका प्रयोग होता है.
दादी-नानी के नुस्खों में उपयोग
आयुर्वेदिक डॉक्टर नरेंद्र कुमार ने बताया कि पुराने समय से अब तक दादी-नानी के नुस्खों में धतूरा का उपयोग सर्दी-खांसी, दमा, जोड़ों के दर्द और त्वचा रोगों के लिए किया जाता है. 85 साल दादी शारदा देवी ने बताया कि धतूरा के पत्तों को गर्म करके सूजन वाले स्थान पर बांध लें तो आराम मिलता है. इसके अलावा उन्होंने बताया कि अस्थमा के मरीजों को धतूरे के पत्तों का धुआं दिया जाता है.
दादी ने बताया कि दांत दर्द में धतूरे की जड़ का उपयोग किया जाता है. उन्होंने ने बताया कि धतूरे का फल पौधे पर आमतौर पर बरसात के मौसम (जुलाई-सितंबर) में लगता है. यह कांटेदार और हरे रंग का होता है, जो पकने पर भूरा हो जाता है. घरेलू उपयोग में धतूरा का तेल बनाकर जोड़ों के दर्द में मालिश के लिए प्रयोग किया जाता है. इसके अलावा, इसकी पत्तियों का पेस्ट बनाकर फोड़े-फुंसियों पर लगाया जाता है.
धतूरे के धार्मिक महत्व
धर्म विशेषज्ञ चंद्रप्रकाश ढांढण ने बताया कि धतूरे को भगवान शिव का प्रिय पौधा माना जाता है. इसे शिव का फूल भी कहा जाता है, क्योंकि शिव को धतूरे के फूल, पत्ते और फल चढ़ाए जाते हैं. उन्होंने बताया कि जब समुद्र मंथन के दौरान विष निकला, तो शिव ने उसे पीकर संसार की रक्षा की. इस प्रक्रिया में उनके शरीर से गिरे पसीने की बूंदों से धतूरे का पौधा उत्पन्न हुआ. धतूरे के फूल और फलों का उपयोग शिवलिंग पर चढ़ावे के रूप में किया जाता है. विशेषकर शिवरात्रि और सावन मास में. तांत्रिक साधनाओं में इसे शक्ति प्राप्ति और मोक्ष के लिए प्रयोग किया जाता है.

with more than 4 years of experience in journalism. It has been 1 year to associated with Network 18 Since 2023. Currently Working as a Senior content Editor at Network 18. Here, I am covering hyperlocal news f…और पढ़ें
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Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.