आधी सदी बीत जाने के बाद भी पाकिस्तान भारत का दिया वह जख्म भुला नहीं पा रहा है जो कि 1971 में दिया गया था। अब हाल यह है कि सियासी और सैन्य पक्ष एक दूसरे पर इस हार का ठीकरा फोड़ते नजर आ रहे हैं। पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने कहा है कि 1971 की हार सेना की एक प्रचंड विफलता थी। बता दें कि पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बादवा ने इस हार का ठीकरा राजनेताओं पर फोड़ा था। बिलावल के इस बयान को उसी का जवाब माना जा रहा है।
पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के 55 वें स्थापना दिवस के मौके पर बिलावल भुट्टो ने अपने दादा जुल्फिकार अली भुट्टो को याद किया। डॉन अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा, जुल्फिकार अली भुट्टो ने तब सत्ता संभाली थी जब पाकिस्तान की आवाम सारी उम्मीदें खो चुकी थी। उन्होंने राष्ट्र का पुनर्निमाण किया, आत्मविश्वास लौटाया और 90 हजार सैनिकों को वापस लाए जिन्हें सैन्य विफलता की वजह से युद्ध बंदी बना लिया गया था। यह सब तभी संभव हो पाया जब राजनैतिक उम्मीद थी।
बता दें कि अपने रिटायरमेंट के मौके पर जनरल बाजवा ने कहा था कि पूर्वी पाकिस्तान की हार एक राजनैतिक विफलता थी। उन्होंने कहा था कि सैनिकों के बलिदान को कभी देश में सम्मान नहीं दिया गया। उन्होंने इस बात से भी इनकार कर दिया था कि युद्ध के बाद 92 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्म समर्पण कर दिया था। उन्होंने कहा कि सिर्फ 34 हजार जवानों ने सरेंडर किया था. बाकी लोग सरकारी विभागों के थे।
जनरल बाजवा ने कहा था, मैं रेकॉर्ड सही करना चाहता हूं। पहली बात पूर्वी पाकिस्तान की हार सेना की नहीं बल्कि राजनीति की विफलता थी। लड़ाई करने वाले सैनिका 92 हजार नहीं बल्कि 34 हजार थी। बाकी लोग अलग-अलग सरकारी विभागों से थे।