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भाजपा ने हाल ही में लोकसभा चुनाव में पार्टी की संभावनाओं का आकलन करने के लिए एक सर्वेक्षण कराया था। इसमें महाराष्ट्र की 48 सीटों में से अधिकांश पर जीतने की अच्छी संभावना नहीं होने का अनुमान लगाया गया। इसको देखते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आम चुनावों में बड़े नेताओं को मैदान में उतारने की योजना बनाई है। उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, पार्टी के मुंबई प्रमुख आशीष शेलार, राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े और विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर उन एक दर्जन दिग्गजों में शामिल हो सकते हैं, जिन्हें अगले साल की शुरुआत में होने वाले लोकसभा चुनावों में मैदान में उतारा जाएगा।
रवीना टंडन के नाम पर विचार
आंतरिक चर्चा का हिस्सा रहे एक पार्टी पदाधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार, देवेंद्र फडणवीस को मुंबई उत्तर पूर्व निर्वाचन क्षेत्र से मैदान में उतारा जा सकता है। वहीं शेलार पार्टी की मुंबई उत्तर मध्य से सांसद पूनम महाजन की जगह लेने सकते हैं। पार्टी इस निर्वाचन क्षेत्र के लिए बॉलीवुड अभिनेत्री रवीना टंडन के नाम पर विचार कर रही थी, लेकिन नेतृत्व की राय है कि अपेक्षाकृत कठिन सीट जीतने के लिए शेलार बेहतर उम्मीदवार हो सकते हैं। तावड़े पार्टी के लिए तुलनात्मक रूप से सबसे अनुकूल सीट ‘मुंबई उत्तर’ से उम्मीदवार हो सकते हैं।
इसके अलावा, जब मुंबई दक्षिण की बात आती है तो नार्वेकर पार्टी की पहली पसंद हैं। पार्टी की ओबीसी चेहरा और असंतुष्ट नेता पंकजा मुंडे को उनकी दो बार की मौजूदा सांसद बहन प्रीतम मुंडे के स्थान पर बीड निर्वाचन क्षेत्र से मैदान में उतारे जाने की संभावना है। हालांकि, पार्टी पुणे निर्वाचन क्षेत्र के लिए एक उपयुक्त उम्मीदवार नहीं ढूंढ पाई है। अगर पार्टी को कोई बेहतर नाम नहीं मिलता है तो उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल के नाम पर विचार किया जा सकता है।
“महाजन इस सीट से चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं”
राज्य के दो वरिष्ठ मंत्रियों को भी लोकसभा चुनाव में उतारे जाने की संभावना है। ग्रामीण विकास मंत्री गिरीश महाजन को जलगांव के रावेर निर्वाचन क्षेत्र से पार्टी द्वारा चुना जा सकता है, जहां राकांपा नेता एकनाथ खडसे की बहू रक्षा खडसे पार्टी की मौजूदा विधायक हैं। जलगांव के एक नेता ने कहा, “महाजन इस सीट से चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं हैं और उन्होंने पार्टी नेतृत्व को बताया है कि रक्षा खडसे को फिर से उम्मीदवार बनाया जाए क्योंकि जिले के दो प्रमुख समुदाय गुर्जर और लेवा-पाटिल उनका समर्थन करते हैं क्योंकि उन्होंने लेवा पाटिल से शादी की है। जबकि महाजन गुर्जर समुदाय से आते हैं इसलिए उनको लेवा पाटिल से समर्थन नहीं मिल सकता है।” गौरतलब है कि शरद पवार के नेतृत्व वाला राकांपा गुट एकनाथ खडसे को मैदान में उतार सकता है जो क्षेत्र के प्रमुख लेवा-पाटिल नेता हैं। चंद्रपुर में, वन मंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेता सुधीर मुनगंटीवार वह चेहरा हो सकते हैं जिस पर पार्टी को भरोसा है।
देवेंद्र फडणवीस के नाम पर होगा बड़ा फैसला
बड़ा फैसला देवेंद्र फडणवीस के बारे में होगा जो वस्तुतः राज्य में गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं। यह राज्य की राजनीति से राष्ट्रीय राजनीति में उनके जाना का भी संकेत हो सकता है। हालांकि पार्टी के साथ-साथ राज्य के राजनीतिक हलकों में यह पहले से ही ज्ञात है कि फडनवीस किसी समय राष्ट्रीय राजनीति में शिफ्ट हो जाएंगे। पार्टी की ओर से पहला संकेत अब आया है, क्योंकि उम्मीदवारों पर विचार-विमर्श जारी है। जानकारी के मुताबिक, फडनवीस मुंबई उत्तर पूर्व में उम्मीदवार होंगे, जो मुलुंड से चेंबूर तक मुंबई के पूर्वी उपनगरों को कवर करता है और वर्तमान में पार्टी सांसद मनोज कोटक इसका प्रतिनिधित्व करते हैं। उनका मुकाबला शिवसेना के उम्मीदवार से हो सकता है, हालांकि पिछले कुछ चुनावों में यह मुकाबला राकांपा से रहा है।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “दिलचस्प बात यह है कि राज्य के किसी भी नेता को लोकसभा के जरिए दिल्ली जाने में कोई दिलचस्पी नहीं है। ये सभी राज्य की राजनीति में बने रहने और अगले साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों के बाद पार्टी के दोबारा सत्ता में आने पर मंत्री बनने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनमें से अधिकांश ने पहले ही पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को इसके बारे में बता दिया है। लेकिन इसका कोई फायदा नहीं होगा। हालांकि, पार्टी नेतृत्व लोकसभा चुनावों में पार्टी की संभावनाओं को बेहतर करने के लिए उन दिग्गजों को मैदान में उतारने के लिए प्रतिबद्ध है जो वर्षों से राज्य की राजनीति में सक्रिय हैं।”
बहन को रिप्लेस नहीं करेंगी पंकजा
पंकजा मुंडे ने हाल ही में कहा है कि वह अपनी छोटी बहन को लोकसभा उम्मीदवार के रूप में रिप्लेस नहीं करना चाहेंगी क्योंकि उन्हें राज्य की राजनीति में रुचि है। इसी तरह, फडनवीस या शेलार भी लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए बहुत उत्सुक नहीं हैं। स्वतंत्र एजेंसियों के माध्यम से पार्टी द्वारा कराए गए सर्वेक्षणों में, उसे अपने सत्तारूढ़ सहयोगियों शिवसेना (एकनाथ शिंदे) और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के नेतृत्व वाले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी गुट के साथ 24 से 28 सीटें जीतने का अनुमान लगाया गया है। यह आंकड़ा 2019 में अपनी तत्कालीन सहयोगी शिवसेना के साथ जीती गई 42 की मौजूदा संख्या से काफी कम है। बीजेपी ने 23 और सेना ने 18 सीटें जीतीं थीं। सेना के 18 सांसदों में से 13 शिंदे खेमे के साथ हैं।
पार्टी ने इनमें से अधिकांश संभावितों को आम चुनावों के लिए खुद को तैयार करने के लिए स्पष्ट रूप से कह दिया है। एक वरिष्ठ नेता के अनुसार, पार्टी ने उसी समय चंद्रकांत पाटिल, मुनगंटीवार, महाजन जैसे वरिष्ठों को राज्य मंत्रिमंडल से बाहर रखने की योजना बनाई थी, जब उन्होंने शिवसेना के शिंदे गुट के साथ सरकार बनाई। उनसे लोकसभा चुनाव की तैयारियों के लिए खुद को समर्पित करने के लिए कहा था। नेता ने कहा, “योजना रद्द कर दी गई, नेताओं को शामिल किया गया, इस शर्त के साथ कि उन्हें लोकसभा चुनाव के लिए तैयारी करनी होगी।”
दक्षिण मुंबई सीट जीतना काफी मुश्किल
एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा, “दक्षिण मुंबई सीट जीतना काफी मुश्किल है क्योंकि इसमें विभिन्न प्रकार के मतदाता वर्ग शामिल हैं। मालाबार हिल में उच्च वर्ग के मतदाताओं से लेकर परेल, कालाचौकी की मलिन बस्तियों तक और विशिष्ट भाजपा समर्थक गुजराती भाषी मतदाताओं से लेकर सेना समर्थक मराठी भाषी मतदाताओं तक सभी बड़े प्रभावी वोटर हैं। नार्वेकर के अलावा, कौशल विकास मंत्री मंगलप्रभात लोढ़ा संभावित उम्मीदवार के रूप में मैदान में हैं, लेकिन मराठी भाषी मतदाताओं के प्रभुत्व वाले चॉल और जर्जर इमारत में मतदाताओं द्वारा उन्हें स्वीकार किए जाने की संभावना नहीं है। नार्वेकर निर्वाचन क्षेत्र के लिए एक आदर्श उम्मीदवार हैं।”
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